मीसा के तहत राजनीतिक बंदियों को राहत, उड़ीसा उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका खारिज की, कहा- नहीं दे सकते निर्देश
उड़ीसा उच्च न्यायालय ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दी है जिसमें आंतरिक सुरक्षा रखरखाव अधिनियम (मीसा) के तहत गिरफ्तार और जेल में बंद राजनीतिक कैदियों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा के साथ-साथ वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी।

अनुगुल, संतोष कुमार पांडेय। उड़ीसा उच्च न्यायालय ने 1975 से 1977 तक आपातकाल के दौरान आंतरिक सुरक्षा रखरखाव अधिनियम (मीसा) के तहत गिरफ्तार और जेल में बंद राजनीतिक कैदियों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा के साथ-साथ वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिका सोमवार को खारिज कर दी।
कोर्ट ने निर्देश देने से किया इंकार
जरूरी स्थिति राजबंदी अभियान के कार्यकारी अध्यक्ष अधिवक्ता चितरंजन मोहंती ने याचिका दाखिल की थी। अदालत ने 10 नवंबर, 2022 को मुख्य सचिव को उनके प्रतिनिधित्व के जवाब में 30 नवंबर, 2022 को याचिकाकर्ता को भेजे गए जवाब पर विचार करते हुए कोई भी निर्देश देने से इनकार कर दिया।
विभाग के पास नहीं है बंदियों की सूची
वित्त विभाग ने कहा कि आपातकाल के दौरान मीसा के तहत राजनीतिक बंदियों की कोई सूची विभाग के पास उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा, विभाग के पास स्वतंत्रता सेनानियों के विपरीत आपातकाल के राजनीतिक कैदियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए कोई योजना या प्रावधान नहीं है।
अदालत इस वजह से नहीं जारी कर सकता निर्देश
मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति एमएस रमन की खंडपीठ ने कहा कि यदि वास्तव में सहायता की कोई योजना नहीं है तो अदालत इस संबंध में कोई निर्देश जारी नहीं कर सकती है। याचिकाकर्ता के वकील सुकांत कुमार नायक ने जोर देकर कहा कि चूंकि प्रतिनिधित्व मुख्य सचिव को संबोधित किया गया था, तो जबाब वही दे सकते हैं न कि वित्त विभाग। हालांकि, पीठ ने कहा कि अदालत सहमत होने में असमर्थ है क्योंकि जो विभाग इस मुद्दे को देख रहा है उसे जवाब देना है कि वर्तमान मामले में क्या हुआ है।
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