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    ओडिशा हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: तहसीलदार को निर्देश, शहीद की विधवा को जल्‍द उपलब्‍ध कराए भूमि रिकॉर्ड

    By Jagran NewsEdited By: Arijita Sen
    Updated: Tue, 21 Feb 2023 12:38 PM (IST)

    ओडिशा उच्च न्यायालय ने फिर से एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए छत्रपुर तहसीलदार को निर्देश दिया है कि वह 1971 भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए जवान की विधवा की भूमि से संबंधित परेशानी को डेढ़ महीने के अंदर सुलझाए।

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    ओडिशा हाईकोर्ट ने फिर से सुनाया ऐतिहासिक फैसला

    जासं, भुवनेश्वर। ओडिशा उच्च न्यायालय ने एक उल्लेखनीय फैसले में गंजाम जिले के छत्रपुर तहसीलदार को निर्देश दिया है कि वह 1971 भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए जवान की विधवा को परेशान करने के बजाय उसके घर जाकर भूमि से संबंधित सभी प्रकार की समस्या का समाधान प्रदान करें। 

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    रिट याचिका पर अदालत ने दिया निर्णय

    न्यायमूर्ति बिश्वनाथ रथ की एकल पीठ ने एम राजम्मा द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। उन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध में राष्ट्र के लिए लड़ने वाले अपने पति की मौत के कारण उन्हें सौंपी गई भूमि के अधिकारों का रिकॉर्ड अब तक ना मिलने के मामले में सार्वजनिक प्राधिकरण की निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए एक याचिका दायर की थी। 

    सुपर साइक्‍लोन में नष्‍ट हुआ था भूमि पट्टा

    याचिकाकर्ता ने अदालत को सूचित किया था कि उसके पक्ष में दिया गया भूमि पट्टा 1999 में गंजाम जिले में सुपर-साइक्लोन में नष्ट हो गया था। याचिकाकर्ता के वकील जेके नायक ने दलील दी कि विधवा की स्थिति को देखते हुए संबंधित तहसीलदार को जल्द कदम उठाना चाहिए था। हालांकि, तहसीलदार से बार-बार संपर्क करने का कोई नतीजा नहीं निकला। इस तरह के पहलू को कलेक्टर के संज्ञान में लाने के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ है। 

    तहसीलदार के ढुलमुल रवैये पर अदालत ने अपनाया कड़ा रूख 

    याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति बिश्वनाथ रथ ने तहसीलदार के ढुलमुल रवैये पर चिंता व्यक्त की और अधिकारी को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया। तहसीलदार से कहा गया है कि यदि कोई आवंटन का आदेश है तो वह अपने रिकॉर्ड से याचिकाकर्ता के पक्ष में पता लगाएं। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अगर जरूरी है तो तहसीलदार खुद युद्ध विधवा के आवास पर जा सकते हैं, जिनकी उम्र 80 वर्ष है।

    डेढ़ महीने के भीतर काम पूरा होने का निर्देश

    अदालत ने कहा कि पूरी प्रक्रिया डेढ़ महीने के भीतर पूरी की जानी चाहिए। अदालत ने गंजाम कलेक्टर को मामले की निगरानी करने और दो महीने की अवधि के भीतर अदालत की रजिस्ट्री को अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है।

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