पुरी जगन्नाथ मंदिर को आधी रात में खोलने का विरोध, प्रबंधन समिति के सदस्य ने कानून मंत्री को लिखा पत्र
पुरी के श्रीमंदिर को अंग्रेजी नववर्ष पर आधी रात में खोलने का विरोध हो रहा है। प्रबंधन समिति के सदस्य महेश साहू ने गजपति महाराज और कानून मंत्री को पत्र ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, पुरी। अंग्रेजी नववर्ष पर रात 12 बजे से श्रीमंदिर के द्वार खोले जाने का विरोध करते हुए प्रबंधन समिति के सदस्य महेश साहू ने गजपति महाराज को पत्र लिखा है। इस संबंध में उन्होंने कानून मंत्री और श्रीमंदिर के मुख्य प्रशासक को भी पत्र भेजा है।
श्री साहू ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि पश्चिमी संस्कृति के अनुसार रात 12 बजे नए दिन की शुरुआत मानी जाती है,जबकि सनातन संस्कृति में सूर्य उदय के साथ नए दिन का आरंभ होता है। इसलिए सनातन संस्कृति और परंपरा के अनुसार सूर्य उदय के समय ही श्रीमंदिर के द्वार खोले जाने चाहिए।
उन्होंने पत्र में यह भी लिखा है कि अपनी सुविधा के लिए नीति और परंपरा में बदलाव कर महाप्रभु को रात्रि में विश्राम से वंचित रखते हुए रात 12 बजे से मंदिर खोलकर दर्शन की व्यवस्था करना परंपरा के विरुद्ध है।
श्री साहू ने आगे बताया कि पहिली भोग नीति के कारण वैसे भी श्रीमंदिर के द्वार प्रातः जल्दी खोले जाते हैं, ऐसे में महाप्रभु को विश्राम के लिए पर्याप्त समय देना अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने भक्त समाज से भी अनुरोध किया है कि वे इस विषय में जागरूक रहें और आधी रात को मंदिर न जाकर नियमित समय पर ही दर्शन के लिए आएं।
रथ की लकड़ी की पहचान के लिए नयागढ़ गए श्रीमंदिर प्रशासन की 5 सदस्यीय टीम
पुरी की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा के लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है। आगामी सरस्वती पूजा पर रथकाष्ठ का अनुकूल (पूजन) किया जाएगा। रथकाष्ठ की पहचान के लिए सोमवार श्रीमंदिर प्रशासन कार्यालय से रथ तत्त्वावधारक चित्तरंजन महापात्र के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि दल नयागढ़ जिले के दासपल्ला रेंज के बड़मूल स्थित बड़राउल ठाकुराणी मंदिर के लिए रवाना हुआ है।
श्रीमंदिर से यह टीम माल-महार्द, नारियल, पतनी, सिंदूर, दीप और नैवेद्य लेकर यात्रा पर गई है। इस टीम में रथ निर्माण से जुड़े रथ अमीन लक्ष्मण महापात्र और भोई सरदार रबी भोई भी शामिल हैं।
बताया गया है कि कल (मंगलवार) बड़राउल ठाकुराणी मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद देवी से अनुमति लेकर रथकाष्ठ की पहचान की प्रक्रिया शुरू होगी। रथ निर्माण के लिए कुल 865 लकड़ियों की आवश्यकता है। पिछले वर्ष की 47 लकड़ियां शेष हैं, जबकि कुल 818 लकड़ियां—असन, धौरा और फांसी—की आवश्यकता होगी।
आगामी सरस्वती पूजा पर रथकाष्ठ का अनुकूल होने के साथ ही अक्षय तृतीया के दिन रथ निर्माण कार्य प्रारंभ होगा।
रथ तत्त्वावधारक चित्तरंजन महापात्र ने कहा, “महाप्रभु के रथकाष्ठ की पहचान का अवसर मुझे पहली बार मिला है, इसलिए मैं स्वयं को धन्य मानता हूं। मैंने स्वयं को पूरी तरह महाप्रभु को समर्पित कर दिया है। उनके आशीर्वाद से इस वर्ष रथयात्रा के लिए रथकाष्ठ की पहचान का कार्य सुचारु रूप से संपन्न होगा, ऐसा हमारा विश्वास है।”

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