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    ओडिशा में प्रोजेक्ट सखी से सशक्त हो रहीं महिलाएं, बदल रही है कालाहांडी की तस्वीर

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 04:12 PM (IST)

    ओडिशा के कालाहांडी में वेदांत एल्यूमिनियम का ‘प्रोजेक्ट सखी’ ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा है। इस पहल के तहत स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की महिलाएं मशरूम उत्पादन बकरी पालन जैसे कार्यों से जुड़कर आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं। इन समूहों ने 5 करोड़ रुपये से अधिक की आमदनी की है। ‘प्रोजेक्ट सखी’ के जरिए 4600 से अधिक महिलाओं की जिंदगी में बदलाव आया है।

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    ओडिशा में प्रोजेक्ट सखी से सशक्त हो रहीं महिलाएं

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। कहा जाता है कि जब समाज की आधी आबादी सशक्त होती है, तो विकास की रफ्तार दुगुनी हो जाती है। ओडिशा के दूरदराज इलाके कालाहांडी में वेदांत एल्यूमिनियम का ‘प्रोजेक्ट सखी’ इसी सोच को साकार कर रहा है। यह पहल ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक मिसाल बन गई है।

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    प्रोजेक्ट सखी के तहत 444 स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की महिलाएं अब मशरूम उत्पादन, बकरी पालन, मसाला प्रसंस्करण और खाद्य निर्माण जैसी आजीविका गतिविधियों से जुड़कर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं। इन समूहों ने अब तक 5 करोड़ रुपये से अधिक की आमदनी जुटाई है।

    वर्ष 2015 में शुरू हुआ वेदांत का प्रोजेक्ट सखी अभियान अब तक 444 स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के जरिए 4,600 से अधिक महिलाओं की जिंदगी में बड़ा बदलाव ला चुका है।

    पिछले वर्ष अकेले ही इस परियोजना के तहत बैंकों और वित्तीय संस्थानों से 3.84 करोड़ की राशि महिलाओं को उपलब्ध कराई गई, जिससे 1,000 से अधिक महिलाओं को सीधा लाभ हुआ।

    आज ये महिलाएं छोटे-छोटे उद्योग चलाकर न केवल अपने घर की आय बढ़ा रही हैं, बल्कि दूसरों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही हैं।

    वेदांत एल्यूमिनियम बिजनेस के सीईओ प्रणव कुमार भट्टाचार्य ने कहा है कि यह परियोजना सिर्फ आंकड़ों की सफलता नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की कहानी है। हम एक ऐसे युग की शुरुआत देख रहे हैं, जहां महिलाएं अपने जीवन की वास्तविक निर्माता बन रही हैं।

    उन्होंने कहा कि बलभद्रपुर गांव की ‘मा शिवानी’ स्वयं सहायता समूह इसकी मिसाल है। इस समूह की महिलाओं ने मुर्गी पालन का प्रशिक्षण लेकर एक पोल्ट्री यूनिट शुरू की, जिससे 1.27 लाख से अधिक की आय हुई।

    इससे उनके घरों में खुशहाली आई और समाज में उनकी पहचान भी बदली। जो महिलाएं पहले परिवार में निर्णय लेने से हिचकती थीं, आज वही गांव में रोजगार देने वाली उद्यमी बन चुकी हैं।

    ‘प्रोजेक्ट सखी’ सिर्फ आर्थिक सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है। अब तक 3,000 से अधिक महिलाओं को जीवन बीमा, दुर्घटना बीमा, बाल बचत योजनाओं और श्रम कल्याण पंजीकरण जैसी सरकारी योजनाओं से जोड़ा गया है। इससे महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा का मजबूत कवच मिला है।

    गौरतलब है कि ‘प्रोजेक्ट सखी’ का मकसद है, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करना। इसके तहत महिलाओं को वित्तीय साक्षरता, बैंकिंग की जानकारी, व्यवसाय शुरू करने के प्रशिक्षण के साथ-साथ ऋण सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है।

    महिलाएं अब मशरूम उत्पादन, बकरी पालन, किराना दुकान, खाद्य प्रसंस्करण इकाई जैसी कई आजीविकाओं से जुड़ रही हैं।

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