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    ओडिशा दौरे पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, कहा- अपनी मिट्टी की सुगंध का आनंद कुछ अलग ही होता है

    By Jagran NewsEdited By: Babita Kashyap
    Updated: Fri, 11 Nov 2022 07:28 AM (IST)

    दो दिवसीय दौरे पर ओडिशा गयी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने जय जगन्नाथ..भारत की मिट्टी है शुद्ध सोना भारत का जल ही जीवन जैसे शब्‍दों से अपना भाषण शुरू किया और महाप्रभु के दर्शन कर विश्व के लोगों के कल्याण के लिए प्रार्थना की।

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    राष्ट्रपति बनने के बाद द्रौपदी मुर्मु ने पहली बार ओडिशा का दौरा किया है

    भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। जय जगन्नाथ..भारत की मिट्टी है शुद्ध सोना, भारत का जल ही जीवन है। हवा भारत की आत्मा है। भारत की शिला शालग्राम। राष्ट्रपति बनने के बाद यह मेरी धरती पर मेरा पहला दौरा है। महामहिम राष्ट्रपति ने अपने भाषण की शुरुआत ऐसे ही शब्दों से की।

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    उन्होंने राजभवन में आयोजित बधाई समारोह में कहा- मैं आपके प्यार और सम्मान से चकित हूं। मैं पुरी गयी और चतुर्धा की मूर्ति देखी। जगन्नाथ से विश्व के लोगों के कल्याण के लिए प्रार्थना की। पुरी में एएसआई का सर्कल आफिस खोलने के लिए मैं केंद्रीय संस्कृति मंत्री को धन्यवाद देती हूं। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के हर प्रांत ने मुझे आमंत्रित किया है।

    ओडिशा की सुंदरता अद्वितीय

    पंडित उत्कलमणि गोपबंधु के आदर्शों ने मुझे प्रेरित किया है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कहां हैं, अपनी मिट्टी की सुगंध का आनंद कुछ अलग ही होता है फिर भी ओडिशा की सुंदरता अद्वितीय है। मैं ओडिशा आकर बहुत खुश हूं।

    भारत के भूगोल और इतिहास में ओडिशा का अपना एक विशेष स्थान है। हमारे पास चिल्का जैसी झीलें, शिमिलीपाल जैसी जैव विविधता और भीतरकनिका जैसे राष्ट्रीय उद्यान हैं। ओडिशा के गौरवशाली इतिहास और संस्कृति ने भारत को महान बनाया है। ओडिशा की धरती पर चंडाशोक धर्मशोक बन गया।

    भारत के नवाचार में ओडिशा का योगदान अपूरणीय

    पराक्रमी सम्राट खारबेल अहिंसा के उपासक थे। भारत के नवाचार में ओडिशा का योगदान अपूरणीय है। ओडिशा भारत का पहला भाषाई राज्य है। इतिहासकारों का कहना है कि पहला ब्रिटिश विरोधी आंदोलन 1817 में ओडिशा से शुरू हुआ था।

    भारत के संग्रामी इतिहास में ओडिशा का योगदान उल्लेखनीय है। ओडिशा से रमादेवी, सरलादेवी, मालती देवी जैसी महिला नेताओं का निर्माण हुआ। नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन ओडिशा में आयोजित किया गया था।

    भारत की प्रगति की शुरुआत ओडिशा से

    दूसरा जलियांवालाबाग नरसंहार भद्रक के इरम में हुआ था। राज्यों के विलय में ओडिशा का योगदान सर्वोपरि है। उत्तर केशरी हरेकृष्ण महताब द्वारा निभाई गई भूमिका के कारण, ओडिशा में देशीय राज्यों का विलय संभव हो पाया। भारत की प्रगति की शुरुआत ओडिशा से होनी चाहिए।

    विकास प्रक्रिया ओडिशा से शुरू हो

    विकास का लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुंचना चाहिए। योजना को उन लोगों तक पहुंचने की जरूरत है जो समाज की निचली पंक्ति में खड़े हैं। राज्यों में विकास में भारत का विकास। इसलिए महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की इच्छा थी कि यह विकास प्रक्रिया ओडिशा से शुरू हो।

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