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    ओड़िशा की कोयला नगरी तालचेर में अचानक जमीन धंसने से लोगों में दहशत, घरों में पड़ रहीं दरारें और बन रहे सिंकहोल

    By Jagran NewsEdited By: Arijita Sen
    Updated: Thu, 09 Feb 2023 09:43 AM (IST)

    तालचेर में खोखले खदानों में ठीक से बालू नहीं भरने से जमीन धंसने की समस्‍याएं देखी जा रही हैं। ऐसे में घरों में दरारें और सिंकहोल विकसित हो रहे हैं। लोगों में डर का माहौल है। प्रशासन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है।

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    घर के बाहर बने सिंकहोल के सामने खड़े लोग और खदान की प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

    अनुगुल, संतोष कुमार पांडेय। ओडिशा के अनुगुल जिले के कोयलांचल क्षेत्र तालचेर में एक घर के पीछे की जमीन अचानक धंसने से लोगों में भय का माहौल है। तालचेर कोयलांचल को 'आपदा आमंत्रित शहर' भी कहा जाता है। शहर में कई घर ऐसे हैं, जिनमें दरारें और सिंकहोल विकसित हो रहे हैं। तालचेर शहर के नीचे से महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) द्वारा कोयले के बड़े पैमाने पर खनन और कथित रूप से गैर जिम्मेदाराना तरीके से रेत भरने से निवासी गंभीर भविष्य की ओर देख रहे हैं।

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    लोगों को सता रहा भूकंप डर

    कुछ लोगों को यह भी डर है कि यदि इस क्षेत्र में उच्च तीव्रता का भूकंप आता है, तो उनका शहर ताश के पत्तों की तरह सतह के नीचे खोखले खदान में समा जाएगा। इससे पहले तालचेर के विभिन्न क्षेत्रों में जमीन धंसने की सैंकड़ों घटनाएं हो चुकी हैं।

    खदानों में रेत नहीं भरने से आ रहीं दरारें

    रिपोर्टों के अनुसार, एमसीएल क्षेत्र में 13 कोयला खदानों से कोयले का खनन जारी है, जिनमें से आठ खुली खदानें हैं और पांच भूमिगत खदानें हैं। एमसीएल को भूमिगत खदानों से कोयला निकालकर ब्राह्मणी नदी से बालू भरने के आदेश दिए गए हैं। हालांकि, यह आरोप लगाया गया है कि रेत भरने की प्रक्रिया दोषपूर्ण है जिसके परिणामस्वरूप सतह पर दरारें पड़ रही हैं।

    भूकंप जोन नंबर-3 पर बसा तालचेर

    एक स्थानीय निवासी ने कहा कि भगवान न करे अगर तालचेर में भूकंप आए, तो शहर वासियों के पास जीवित बचने का कोई मौका नही होगा। राज्य और केंद्र सरकार को इस गंभीर स्थिति को ध्यान में रखते हुए जितनी जल्दी हो सके भूमिगत खोखले स्थानों को रेत से भरने की व्यवस्था करनी चाहिए। यहां यह बताना उचित होगा कि तालचेर कस्बा भूकंप जोन नंबर-3 पर बसा है।

    एमसीएल और जिला प्रशासन पर लापरवाही का आरोप

    खनिक संघ ने एमसीएल और जिला प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए बताया कि तालचेर के लोग अपने घरों में दरारें और अपने घर के पिछवाड़े में सिंकहोल्स के कारण डरे हुए हैं। वहीं अंडरग्राउंड कोल माइन्स एसोसिएशन के संयोजक रंजीत महापात्र ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन कोयला खनन के बाद रेत को ठीक से भरने के लिए एमसीएल पर कोई दबाव नहीं डाल रहा है। इस मुद्दे को लेकर विभिन्न समयों पर तालचेर वासियों ने हड़ताल, आंदोलन, भूख हड़ताल इत्यादि किया। प्रशासन को कई बार इस समस्या से अवगत कराया गया, लेकिन परिणाम वही ढाक के तीन पात।

    मुद्दे को लेकर भाजपा, बीजद आमने-सामने

    बीजेपी ने कहा, कई विरोधों के बावजूद निर्वाचित प्रतिनिधि विधानसभा या संसद में इस मुद्दे को नहीं उठा रहे हैं, यही वजह है कि एमसीएल तालचेर वासियों की शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। दूसरी ओर सत्तारूढ़ बीजद ने इसके लिए केंद्र और एमसीएल को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया है। तालचेर विधायक ब्रज किशोर प्रधान ने कहा कि केंद्र को इस मुद्दे के लिए जवाबदेह होना चाहिए और एमसीएल को उन नियमों का पालन करना चाहिए जो कोयला खनन कार्य को लेकर राज्य सरकार के साथ हुए समझौते पर निर्धारित किए गए हैं।

    तालचेर के विकास पर नहीं किसी का ध्‍यान

    गौरतलब है कि देश की ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करने के लिए कोयले की खुदाई का व्यवसायीकरण किया जा रहा है और साथ ही कोयला निकालने वाले विभिन्न उद्योगों की स्थापना की गई है। तालचेर में कोयले के खनन से केंद्र और राज्य सरकार दोनों को अच्छा राजस्व प्राप्त हो रहा है, लेकिन तालचेर के विकास पर किसी का ध्यान नहीं है। 

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