नई संसद में ओडिशा के विश्व प्रसिद्ध कोणार्क चक्र को मिला विशेष स्थान, धर्मेंद्र प्रधान ने ट्वीट कर जताई खुशी
ओडिशा के लोगों के लिये गर्व की बात है कि देश के लोकतंत्र का मंदिर कहे जाने वाले देश की नई संसद में ओडिशा की कला के सार को भी शामिल किया है जो ओडिशा राज्य के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।

संतोष कुमार पांडेय, भुवनेश्वर: ओडिशा के लोगों के लिये गर्व की बात है कि देश के लोकतंत्र का मंदिर कहे जाने वाले नए संसद भवन में ओडिशा की कला के सार को भी शामिल किया है, जो ओडिशा राज्य के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। ओडिशा राज्य के विश्व प्रसिद्ध कोणार्क सूर्य मंदिर के चक्र की एक विशाल प्रतिकृति संसद भवन के औपचारिक द्वार के दाईं ओर कांसे से बनी बेहतरीन कलाकृति के रूप में स्थापित है।
बीजद सांसद भर्तृहरि महताब ने कहा कि नई संसद में कोणार्क चक्र को प्रमुख स्थान दिया जाना राज्य के साथ राज्य वासियों के लिए गर्व की बात है। महताब ने बताया कि नई संसद में दो चीजों ने मुझे बहुत आकर्षित किया है। कोणार्क मंदिर के विशाल चक्र की प्रतीक कांसे की प्रतिमूर्ति को औपचारिक द्वार के दाईं ओर स्थापित किया गया है। इसी के माध्यम से राष्ट्रपति बजट सत्र की शुरुआत में भाषण देने के लिए प्रवेश करेंगे।
कोणार्क मंदिर के विशाल चक्र को ओडिशा के उत्कल के रूप में भी जाना जाता है, जो इसकी जीवंत कला और स्थापत्य चमत्कारों की भूमि है। सबसे बड़ी बात यह है कि पुरी में सूर्य मंदिर और जगन्नाथ मंदिर के द्वार की तरह नई संसद के एक प्रवेश द्वार में हाथी हैं और दूसरे प्रवेश द्वार में घोड़े हैं। वहां यह भी लिखा गया है कि हाथी और घोड़ों की स्थापना ओडिशा से प्रेरित होकर की गई है।
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी इसकी ओर इशारा किया। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर बीजेडी सांसद भर्तृहरि महताब और दाईं ओर खड़े बीजेपी सांसद प्रताप सडंगी के साथ अपनी एक तस्वीर साझा की और कहा कि नई संसद 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' का सबसे अच्छा उदाहरण है। लोकतंत्र के मंदिर में ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का सार है। कोणार्क सूर्य मंदिर के चक्र से प्रेरित यह पहिया जो ऊर्जा, कौशल और प्रगति का प्रतीक है, भारत की महिमा का प्रतिबिंब है।
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