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    राष्‍ट्रपति मुर्मू के गृह नगर मयूरभंज में स्‍कूल ड्रॉप दर है सबसे अधिक, पढ़ाई छोड़ मजदूरी में लगे हैं मासूम

    By Jagran NewsEdited By: Arijita Sen
    Updated: Fri, 09 Jun 2023 12:31 PM (IST)

    ओडिशा के जिस जिले से महामहिम राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ताल्‍लुक रखती हैं वहीं के बच्‍चों में स्‍कूल ड्रॉप आउट की दर सबसे अधिक है। बच्‍चे बीच में ही पढ़ाई छोड़कर मजदूरी करने लग रहे हैं। जिले में इनके पुनर्वास पर कुछ खास काम नहीं हो रहा है।

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    मयूरभंज में छात्रों की ड्रॉपआउट दर बहुत अधिक है।

    संतोष कुमार पांडेय, अनुगुल। एक रिपोर्ट के अनुसार ओडिशा का आदिवासी बहुल या राष्ट्रपति का गृह जिला मयूरभंज में छात्रों की ड्रॉपआउट दर बहुत अधिक है क्योंकि उनमें से कई छात्र-छात्राएं गरीबी और कई अन्य कारणों से बीच में पढ़ाई छोड़ देते हैं और प्रवासी मजदूरों के रूप में काम करने के लिए बिचौलियों की मदद से राज्य छोड़ देते हैं।

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    सरकारी अधिकारियों ने बच्‍चों के लिए नहीं किया कुछ: भांजा सेना

    हालांकि, सरकारी अधिकारियों ने बच्चों को बचाने और उनके पुनर्वास में बहुत कम काम किया है। मयूरभंज के कलेक्टर विनीत भारद्वाज ने हाल ही में बाल श्रम पर जागरूकता वाहन को हरी झंडी दिखाई।

    भांजा सेना के अध्यक्ष पिंटू मैती और उसके ओबीसी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष राकेश बेहरा ने आरोप लगाया है कि सरकारी अधिकारी केवल जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने में व्यस्त रहते हैं, लेकिन इन बच्चों की बेहतरी के लिए कुछ नहीं किया है। 

    बीच में ही पढ़ाई छोड़ रहे हैं बच्‍चे

    उनकी शिकायत के मुताबिक, इस साल 34,417 छात्रों ने हाई स्कूल सर्टिफिकेट (एचएससी) परीक्षा के लिए फॉर्म भरे थे, लेकिन करीब 1,000 छात्र परीक्षा में शामिल नहीं हुए। इसी तरह प्लस टू साइंस में 67 और कॉमर्स में 98 छात्रों ने परीक्षा छोड़ दी।

    बाल मजदूरी करने पर मजबूर हो रहे मासूम

    कुल 1,166 विद्यार्थियों को स्कूल छोड़ने और बाल मजदूरों के रूप में काम करने के लिए अपने परिवारों के लिए आजीविका कमाते पाया गया है। उनमें से कई प्रवासी मजदूरों के रूप में काम करने के लिए दूसरे जिलों और राज्यों के लिए रवाना हो गए हैं।

    उन्होंने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन बाल मजदूरों को बचाने और पुनर्वास करने तथा जागरूकता वाहनों को जिले का भ्रमण कराकर अपने दायित्व से मुक्त होने में पूरी तरह से विफल रहा है। स्थानीय लोगों ने बच्चों को समाज की मुख्यधारा में लाने की मांग की है।

    बाल मजदूरों का किया जा रहा पुनर्वास

    रिपोर्टों में कहा गया है कि 2022-23 में जिले में 23 बाल मजदूरों को बचाया गया था, जिनमें से चार बिहार के थे। बाकी बच्चों में 17 की उम्र 14 साल से कम है जबकि इनमें से दो किशोर हैं।

    संपर्क करने पर जिला श्रम आयुक्त मोनालिसा नायक ने कहा कि कई बाल मजदूरों को बचाया गया है और उनका पुनर्वास किया गया है, जबकि नाबालिग के रूप में अपनी उम्र पार कर चुके लोगों के पुनर्वास के प्रयास किए जा रहे हैं।