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    नेपाली छात्रा आत्महत्या मामला: एक्शन मोड में NHRC, कहा- KIIT की लापरवाही के कारण छात्रा ने किया सुसाइड

    नेपाली छात्रा आत्महत्या मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने गुरुवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष को निजी शैक्षणिक संस्थान केआईआईटी और इसकी सहयोगी संस्था कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (केआईएसएस) के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई शुरू करने की सिफारिश की है। आयोग ने ओडिशा के मुख्य सचिव को निजी विश्वविद्यालय के अधिकारियों की ओर से लापरवाही के मुद्दे पर एटीआर प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है।

    By Sheshnath Rai Edited By: Piyush Pandey Updated: Fri, 28 Mar 2025 10:57 PM (IST)
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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। 16 फरवरी को परिसर में एक नेपाली छात्रा की आत्महत्या के मामले में केआईआईटी विश्वविद्यालय के लिए परेशानी बढ़ती जा रही है।

    राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने गुरुवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष को निजी शैक्षणिक संस्थान केआईआईटी और इसकी सहयोगी संस्था कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (केआईएसएस) के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई शुरू करने की सिफारिश की है।

    यह सिफारिश परिसर में यौन उत्पीड़न और लैंगिक संवेदनशीलता से संबंधित एनएचआरसी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए की गई है।

    आयोग ने दिया आदेश

    आयोग ने गुरुवार को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) के अध्यक्ष को केआईआईटी विश्वविद्यालय द्वारा यूजीसी के दिशा-निर्देशों और मानवाधिकारों जैसे एंटी-रैगिंग, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के लिए आंतरिक शिकायत समिति के उल्लंघन के मुद्दे की जांच करने और आयोग को कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।

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    इसके अलावा, आयोग ने ओडिशा के मुख्य सचिव को निजी विश्वविद्यालय के अधिकारियों की ओर से लापरवाही के मुद्दे पर एटीआर प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है, जिसके कारण नेपाली छात्र ने आत्महत्या की और पीड़ित के विभिन्न संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ।

    भुवनेश्वर-कटक पुलिस आयुक्तालय के पुलिस आयुक्त को इन्फोसिटी पुलिस स्टेशन में दर्ज लड़की की आत्महत्या के मामले में अद्यतन जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी कहा गया है।

    संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन

    सर्वोच्च मानवाधिकार संस्था ने एनएचआरसी की स्पॉट इंक्वायरी टीम की रिपोर्ट के आधार पर सिफारिशें जारी की हैं, जिसमें पाया गया कि केआईआईटी विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने यौन उत्पीड़न और उच्च शिक्षा तक पहुंच आदि से संबंधित मुद्दों पर मृतक लड़की के विभिन्न संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया है।

    आयोग के निर्देशानुसार, टीम ने नेपाली छात्रा की आत्महत्या और विश्वविद्यालय में विभिन्न अनियमितताओं के आरोपों की मौके पर जांच के लिए 6 से 8 मार्च के बीच भुवनेश्वर में केआईआईटी विश्वविद्यालय और केआईएसएस परिसर का दौरा किया था।

    मानसिक तनाव से गुजर रही थी छात्रा

    जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि मृत नेपाली छात्रा ने 12 मार्च, 2024 को केआईआईटी के अंतर्राष्ट्रीय संबंध कार्यालय (आईआरओ) में एक शिकायत की थी।

    जिसमें उसने गंभीर मानसिक तनाव से गुजरने के बारे में लिखा था और अपने अलग हुए प्रेमी अद्विक श्रीवास्तव को धमकी दी थी कि अगर उसने उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें नहीं हटाईं तो वह आत्महत्या कर लेगी।

    टीम ने यह भी पता लगाया कि विश्वविद्यालय के आईआरओ ने पीड़िता और कथित आरोपी से सिर्फ हलफनामा लिया और न तो इस मामले को संस्थान की आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) को भेजा और न ही स्थानीय पुलिस स्टेशन में मामले की सूचना दी।

    विश्वविद्यालय प्राधिकारियों की ओर से घोर लापरवाही और चूक

    आयोग ने कहा है कि यह स्पष्ट है कि आईआरओ और विश्वविद्यालय के अधिकारियों/अनुशासन समिति और कॉलेज प्राधिकारियों का आचरण यह दिखाने के लिए पर्याप्त है कि आईआरओ और विश्वविद्यालय प्राधिकारियों की ओर से घोर लापरवाही और चूक हुई है।

    जिसे विश्वविद्यालय के अधिकारियों की ओर से आत्महत्या के लिए उकसाने के कृत्य के बराबर माना जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप अंततः उसने आत्महत्या कर ली।

    आयोग ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने यह तथ्य स्वीकार किया है कि 17 फरवरी को लगभग 1,000-1,100 छात्राओं ने छात्रावास छोड़ दिया था, जबकि लगभग 180 छात्राएं इतनी जल्दबाजी में छात्रावास छोड़ गईं कि किसी अन्य अप्रिय घटना की आशंका थी।

    परिसर से निकाल दिया था बाहर

    लेकिन कॉलेज प्रशासन ने छात्राओं की सुरक्षा की चिंता नहीं की और उन्हें परिसर से बाहर निकाल दिया गया।एनएचआरसी ने कहा है कि दुर्भाग्य से विश्वविद्यालय को कोई पछतावा नहीं है और यहां तक कि उसने यह कहने की हिम्मत भी की कि आरोपों में कोई दम नहीं है। यह पूरी तरह से असंवेदनशीलता को दर्शाता है।

    इसके अलावा, सर्वोच्च अधिकार निकाय ने खुर्दा कलेक्टर को खुर्दा बाल कल्याण समिति द्वारा 6 जुलाई, 2017 को (केआईएसएस) में अनियमितताओं के संबंध में की गई सिफारिश का पालन न करने पर एटीआर प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है।

    सीडब्ल्यूसी ने जिला कलेक्टर को केआईएसएस में भीड़भाड़, बुनियादी सुविधाओं की कमी सहित अनियमितताओं की जांच के लिए एक संयुक्त जांच समिति बनाने की सिफारिश की थी।

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