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    जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार खोलने की तैयारी तेज, पर्यवेक्षी समिति की बैठक में SOP तय

    Updated: Mon, 29 Dec 2025 11:18 AM (IST)

    श्री जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को फिर से खोलने और आभूषणों की सूची बनाने के लिए पर्यवेक्षी समिति ने SOP को अंतिम रूप दिया। यह प्रक्रिया मंदिर प्रबंधन ...और पढ़ें

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    जगन्नाथ मंदिर की फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, पुरी। श्री जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष को पुनः खोलने और वहां रखे अमूल्य आभूषणों व बहुमूल्य वस्तुओं की विस्तृत सूची (इन्वेंट्री) तैयार करने को लेकर गठित रत्न भंडार पर्यवेक्षी समिति की बैठक पुरी स्थित श्री मंदिर प्रशासन कार्यालय में हुई। बैठक में इस प्रक्रिया के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को अंतिम रूप दिया गया।

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    बैठक की अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति बिस्वनाथ रथ ने की। यह बैठक पहले हुई उप-समिति की चर्चाओं के बाद आयोजित की गई। विचार-विमर्श के बाद समिति ने तय किया कि SOP और निर्धारित कार्यक्रम को पहले श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति के पास भेजा जाएगा और उसके बाद ओडिशा सरकार की स्वीकृति के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।

    बैठक में सभी सदस्य उपस्थित रहे, जिससे पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता, सुरक्षा और मंदिर परंपराओं के पालन के महत्व पर जोर दिया गया। 12वीं सदी के श्री जगन्नाथ मंदिर परिसर में स्थित रत्न भंडार—जो हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है—में सदियों से भक्तों और राजघरानों द्वारा दान किए गए सोने, चांदी और बहुमूल्य रत्न-संभालित आभूषण सुरक्षित हैं।

    रत्न भंडार का आंतरिक कक्ष कई दशकों से बंद है और वहां आखिरी बार विस्तृत इन्वेंट्री वर्ष 1978 में की गई थी। दस्तावेज़ीकरण और संरक्षण को लेकर चिंताओं के बीच नए ऑडिट की मांग तेज होती गई है। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने परंपराओं का सम्मान करते हुए मंदिर प्रबंधन के आधुनिकीकरण के व्यापक प्रयासों के तहत रत्न भंडार को पुनः खोलने को प्राथमिकता दी है।

    विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई के बाद, ओडिशा उच्च न्यायालय ने एक व्यवस्थित और वीडियो-रिकॉर्डेड इन्वेंट्री सुनिश्चित करने के लिए पर्यवेक्षी समिति के गठन का निर्देश दिया था।

    ध्वजा बंधा अनुष्ठान के समय में बदलाव 

    नववर्ष के अवसर पर श्रद्धालुओं की संभावित भारी भीड़ को देखते हुए श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने ध्वजा बंधा अनुष्ठान के समय में बदलाव किया है।यह अनुष्ठान, जो सामान्यतः शाम 5 बजे के आसपास संपन्न होता है, अब दोपहर 3 बजे तक पूरा कर लिया जाएगा।

    श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी ने दर्शन व्यवस्था को सुचारु बनाए रखने और भीड़ नियंत्रण के उद्देश्य से यह निर्देश जारी किया है।प्रशासन के अनुसार, सभी पारंपरिक अनुष्ठानों का विधिवत पालन करते हुए श्रद्धालुओं को सुगम दर्शन उपलब्ध कराना प्राथमिकता है।

    मध्यरात्रि में मंदिर खोलने पर आपत्ति

    इसी बीच, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य महेश साहू ने नववर्ष की पूर्व संध्या पर मध्यरात्रि में द्वारफिटा (द्वार खोलने) अनुष्ठान के लिए मंदिर खोलने की परंपरा पर आपत्ति जताई है। उन्होंने इस संबंध में गजपति महाराजा दिव्यसिंह देव, कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन तथा श्रीमंदिर के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी को पत्र लिखा है।

    अपने पत्र में साहू ने कहा है कि भगवान जगन्नाथ सनातन हिंदुओं के आराध्य देव हैं और 12वीं सदी के इस प्राचीन वैष्णव मंदिर में सभी अनुष्ठान शास्त्रों और परंपराओं के अनुरूप ही होने चाहिए।

    मंदिर के वरिष्ठ सेवायत विनायक दासमहापात्र ने भी इस आपत्ति का समर्थन करते हुए कहा कि प्रबंध समिति के सदस्य की बात बिल्कुल उचित है। 1 जनवरी हमारा नववर्ष नहीं है, हमारा नववर्ष 14 अप्रैल को होता है। पहुड़ा अनुष्ठान के तुरंत बाद आधी रात में मंदिर खोलना परंपराओं के विरुद्ध है।

    पवित्र त्रिमूर्ति को रात्रि में जागृत रखना उचित नहीं है। प्रशासनिक निर्णय और परंपरागत मर्यादाओं को लेकर उठे इस मुद्दे पर अब श्रद्धालुओं और सेवायत समुदाय की निगाहें मंदिर प्रशासन के अगले कदम पर टिकी हैं।