जन्मवेदी से रत्न वेदी की यात्रा पर महाप्रभु जगन्नाथ जी, सिंहद्वार के सामने पहुंचे तीनों रथ, जयघोष से गूंजाधाम
पुरी जगन्नाथ धाम में भगवान जगगन्नाथ जी की वापसी यात्रा शनिवार को औपचारिक रूप से शुरू हुई जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग लिए और रथ पर विराजमान चतुर्धा विग्रहों का दर्शन करने के साथ रथ खींचा। अब रविवार को तीनों रथ पर चतुर्धा विग्रहों को सोने के वेश में सजाया जाएगा। भगवान सोने वेश में भक्तों को दर्शन देंगे।

जागरण संवाददाता, पुरी। पुरी जगन्नाथ धाम में भगवान जगगन्नाथ जी की वापसी यात्रा शनिवार को औपचारिक रूप से शुरू हुई जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग लिए और रथ पर विराजमान चतुर्धा विग्रहों का दर्शन करने के साथ रथ खींचा।
चतुर्धा विग्रह की पहंडी नीति सम्पन्न होने और भगवान के रथ पर विराजमान होने के बाद गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव ने सोने के झाड़ू से तीनों रथों पर छेरा पहंरा किया अर्थात रथ पर झाड़ू लगाई।
रथों को खींचने का काम शाम चार बजे शुरू होना था लेकिन 'जय जगन्नाथ' 'हरिबोल' के नारों और झांझ की थाप के बीच यह निर्धारित समय से एक घंटा पहले ही 3 बजे शुरू हो गया। ऐसे में तीनों रथ एक ही दिन में जगन्नाथ मंदिर के सामने पहुंचे गए। अब रविवार को तीनों रथ पर चतुर्धा विग्रहों को सोने के वेश में सजाया जाएगा। भगवान सोने वेश में भक्तों को दर्शन देंगे।
इससे पहले चतुर्धा विग्रहों की पहंडी चक्रराज सुदर्शन से शुरू हुई, इसके बाद भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और अंत में भगवान जगन्नाथ को पहंडी में लाकर रथ पर विराजमान किया गया।
वैसे तो 'पहंड़ी' अनुष्ठान पहले दोपहर 12 बजे शुरू होने वाला था, लेकिन यह काफी पहले सुबह 10 बजे ही शुरू हो गया। औपचारिक जुलूस में लगभग दो घंटे लगे, जिसके बाद देवताओं को रथों पर बैठाया गया।
रथ पर रीति नीति सम्पन्न होने के बाद श्रद्धालुओं ने सबसे पहले प्रभु बलभद्र जी के तालध्वज रथ खींचा गया। इसके बाद देवी सुभद्रा जी के दर्प दलन रथ एवं अंत में जगत के नाथ महाप्रभु जगन्नाथ जी के नंदीघोष रथ को भक्तों ने खींचा।
इसी क्रम में सबसे पहले प्रभु बलभद्र जी का तालध्वज रथ एवं फिर देवी सुभद्रा जी का दर्प दलन रथ एवं अंत में महाप्रभु जगन्नाथ जी का नंदीघोष रथ जगन्नाथ मंदिर सिंहद्वार के सामने पहुंच गया।
महाप्रभु की रथयात्रा में जो गड़बड़ी देखने को मिली थी, उसे सुधारते हुए प्रशासन ने कोई गलती नहीं की और तीनों ही रथ एक ही दिन में श्रीमंदिर के सामने पहुंच गए।
श्रीनअर के सामने लक्ष्मी नारायण भेंटघाट
इससे पहले बड़दांड में राजनअर के सामने लक्ष्मी-नारायण भेंटघाट किया गया है। महाप्रभु के नौ दिनात्मक यात्रा से वापस आने की खबर सुनने के बाद माता लक्ष्मी जगन्नाथ मंदिर से पालकी में निकलकर राजनअर पहुंची।
यहां पर गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव ने नंदीघोष में विराजमान महाप्रभु जगन्नाथ जी से महालक्ष्मी से मुलाकात करवायी। इसके बाद महालक्ष्मी रथ पर विराजमान महाप्रभु का दर्शन करने के साथ ही महाप्रभु के रथ का प्रदिक्षणा कर वापस श्रीमंदिर लौट गई। इसके बाद महाप्रभु का रथ आगे बढ़ा और मंदिर के सामने पहुंचा।
वापसी यात्रा में शामिल हुए 8 लाख से अधिक श्रद्धालु
वहीं,भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों की वापसी यात्रा को देखने के लिए तीर्थनगरी पुरी में 8 लाख से अधिक श्रद्धालुओं का जमावड़ा हुआ था। जय जगन्नाथ, हरि बोल, घंट-घंटा की ध्वनि से पूरा बड़दांड गुंजयमान हो गया।
नृत्य गीत करते हुए लोगों ने तीनों रथों को खींचा। मौसम अनुकुल होने से 8 लाख से अधिक भक्तों की भीड़ जगन्नाथ महाप्रभु की वापसी यात्रा में हुई। ऐसे में भीड़ को देखते हुए लगातार भक्तों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा था।
सुरक्षा के तगड़े इंतजाम
पूरे श्रीक्षेत्र धाम में किया गया था। एक अधिकारी ने बताया कि किसी भी प्रकार की कोई अप्रिय घटना ना हो, यह सुनिश्चित करने के लिए ओडिशा पुलिस के 6,150 और सीएपीएफ के 800 कर्मियों सहित कुल 10,000 कर्मी तैनात किए गए हैं। रथयात्रा के तर्ज पर ही सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे। जल, थल, नभ सभी जगह पर सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए गए थे।
रविवार को रथ के ऊपर सोना वेश में दर्शन देंगे महाप्रभु
महाप्रभु जगन्नाथ जी के साथ प्रभु बलभद्र एवं देवी सुभद्रा जी को रविवार को सोने के वेश में सजाया जाएगा। महाप्रभु सोने के वेश में भक्तों को दर्शन देंगे। मौसम अनुकूल होने से इस वर्ष सोना वेश में 15 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पुरी पहुंचने की संभावना है।
ऐसे में महाप्रभु के सोना वेश के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। सोमवार को रथ के ऊपर ही महाप्रभु अधरपणा नीति सम्पन्न की जाएगी। इसके बाद 8 जुलाई को महाप्रभु की नीलाद्री बिजे नीति होगी और इस दिन महाप्रभु रत्न सिंहसान पर विराजमान करेंगे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।