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    नव दास हत्‍याकांड ने बढ़ाई ओडिशा पुलिस की चिंता, अब नेताओं की सुरक्षा में तैनात PSO को SPG से मिलेगी ट्रेनिंग

    By Jagran NewsEdited By: Arijita Sen
    Updated: Mon, 13 Feb 2023 11:24 AM (IST)

    नेता-मंत्रियों की सुरक्षा में तैनात पीएसओ की कार्यप्रणाली को देखते हुए केंद्र के स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) से इनकी ट्रेनिंग की योजना बनाई जा रह ...और पढ़ें

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    हत्‍यारोपित गोपाल दास और नव दास की हत्‍या के समय की फाइल फोटो

    जासं, भुवनेश्वर। प्रदेश के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री नव दास की हत्या के बाद अब ओडिशा पुलिस ने निजी सुरक्षा अधिकारियों (पीएसओ) की कार्यप्रणाली पर चिंता जताई है। ओडिशा पुलिस ने उस घटना को गंभीरता से लिया है, जिसमें नव दास के पीएसओ मित्रभानु देव मंत्री के साथ रहने के बदले गोली लगने के समय दूसरी कार में बैठे थे।

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    तस्‍वीरें खींचने में पीएसओ का बीतता है वक्‍त

    पीएसओ अपने दिशा-निर्देशों के साथ-साथ ऑपरेटिंग सिस्टम के मानकों का भी पालन नहीं कर रहे हैं। कुछ लोग पीएसओ को नेता और मंत्रियों की सुरक्षा करने के बजाय अपने हाथों में मोबाइल फोन लेकर बैठक व सभा में नेताओं, मंत्रियों की उपस्थिति वाले कार्यक्रमों की तस्वीरें लेते देखे जाते रहे हैं। पीएसओ उस तरह से काम भी नहीं कर रहे हैं, जिस तरह से वास्‍तव में उन्‍हें करना चाहिए जैसे कि उन्हें हमेशा नेताओं और मंत्रियों के आसपास होना चाहिए।

    पीएसओ के काम करने की शैली में आएगा बदलाव

    इन सबको ध्यान में रखते हुए ओडिशा पुलिस अब पीएसओ के वर्किंग पैटर्न में बदलाव करेगी। इसके लिए ओडिशा पुलिस केंद्र के स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) से ट्रेनिंग लेने की योजना बना रही है। ओडिशा पुलिस ने इस पर एसपीपीजी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भी चर्चा की है।

    पीएसओ सही से नहीं रहे काम

    ओडिशा पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, करीब 200 नेताओं को पीएसओ मुहैया कराए गए हैं। इनमें एक्स, वाई, जेड और जेड प्लस श्रेणियां शामिल हैं। सभी विधायकों, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों को एक-एक पीएसओ प्रदान किया गया है। माओवादी बहुल जिलों के विधायकों और लोकसभा सदस्यों को कई पीएसओ दिए गए हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि ऐसा लगता है कि पीएसओ उस तरह से काम नहीं कर रहे हैं, जिस तरह से उन्हें करना चाहिए। 

    पीएसओ नहीं कर रहे नियमों का पालन

    नियमों के मुताबिक, पीएसओ को खुफिया विभाग को नेताओं और मंत्रियों के किसी भी दौरे से पहले इस बारे में पहले से सूचित करना होता है कि कहां विरोध होने वाला है, कहां नेता की जान को खतरा है। पीएसओ को नेताओं और मंत्रियों के करीब रहना चाहिए और कार्यक्रम स्थल पर पर लोगों पर पैनी नजर बनाए रखनी चाहिए, लेकिन जैसे ही बैठक शुरू होती है, पीएसओ बिना ऐसा किए एक कोने में बैठ जाते हैं। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस स्थान पर नेता और मंत्री जा रहे हैं, उसके पास के अस्पताल, होटल आदि के बारे में पीएसओ को जानकारी होनी चाहिए। लेकिन पीएसओ इन दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं।

    पीएसओ की मानसिक स्थिति की होनी चाहिए जांच

    उसी तरह से खुफिया एजेंसियों द्वारा पीएसओ की भी निगरानी की जानी चाहिए। चूंकि उनके हाथों में बंदूकें हैं, इसलिए उनकी मानसिक स्थिति की भी जांच की जानी चाहिए क्योंकि 24 अक्टूबर 2006 को दक्षिण-पश्चिम रेंज के डीआईजी जसविंदर सिंह की उनके दो पीएसओ ने कोरापुट में हत्या कर दी थी। अब नव दास की हत्या के बाद पीएसओ को लेकर ओडिशा पुलिस के दिमाग में यह बात आयी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि एसपीजी जल्द ही ओडिशा पीएसओ को प्रशिक्षण देना शुरू कर देगी।

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