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    ओडिशा में अवैध श्रम तस्करी रैकेट का भंडाफोड़, 14 बच्चों समेत 55 लोग बचाए गए

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 01:21 PM (IST)

    दशहरा के बाद बलांगीर जिले में अवैध श्रम तस्करी का मामला सामने आया। पुलिस ने कांटाबांजी में छापेमारी कर 41 श्रमिकों और 14 बच्चों को बचाया जो तस्करी के लिए तैयार थे। बृजेश बेहरा और प्रकाश बेहरा नामक मध्यस्थ फरार हैं। ओडिशा सरकार ने प्रवासन को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं लेकिन तस्करी के रैकेट अभी भी सक्रिय हैं।

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    ओड़िशा में श्रम तस्करी रैकेट का भंडाफोड़

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। दशहरा पर्व के ठीक बाद बलांगीर जिले में अवैध श्रम तस्करी की घटनाएं फिर से सामने आई हैं। जिला के कांटाबांजी में पुलिस ने शुक्रवार को एक रैकेट का भंडाफोड़ किया। एएसपी के नेतृत्व में हुई छापेमारी में बड़ी संख्या में श्रमिकों को तस्करी के लिए तैयार किया जा रहा था।

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    41 श्रमिक और 14 बच्चे बचाए गए

    सूत्रों के अनुसार, छापेमारी के दौरान पुलिस ने 55 लोगों को बचाया, जिनमें 41 वयस्क प्रवासी श्रमिक और 14 बच्चे शामिल थे।ये सभी अवैध रूप से ट्रांसपोर्ट किए जाने का इंतजार कर रहे थे।

    सूत्रों ने बताया कि श्रमिकों को दो मध्यस्थों बृजेश बेहरा और प्रकाश बेहरा के नेतृत्व में तैयार किया जा रहा था।छापेमारी के दौरान दोनों फरार हो गए और अब तक पुलिस की पकड़ में नहीं आए हैं।

    प्रशासन का कहना है कि यह समूह ओडिशा के बाहर ईंट भट्टों और निर्माण क्षेत्रों जैसे श्रमिकों का शोषण होने वाले क्षेत्रों में तस्करी के लिए तैयार किया जा रहा था। पुलिस ने फरार आरोपियों की खोज शुरू कर दी है और रैकेट के व्यापक नेटवर्क का पता लगाने के लिए गहन जांच शुरू की है।

    प्रवासी श्रमिकों से संबंधित नीतिगत प्रयास

    कांटाबांजी में यह कार्रवाई ऐसे समय हुई है जब अगस्त में ओडिशा सरकार ने प्रवासी श्रमिकों पर उच्च स्तरीय टास्क फोर्स बैठक आयोजित की थी, जिसकी अध्यक्षता उपमुख्यमंत्री कनक वर्धन सिंह देव ने की थी।

    बैठक का उद्देश्य संकटग्रस्त प्रवासन को कम करना, कल्याणकारी उपायों में सुधार करना और प्रवासी परिवारों के पुनर्वास को सुनिश्चित करना था।सिंहदेव ने कहा था कि प्रवासन की संख्या पिछले वर्षों की तुलना में कम हुई है, लेकिन समस्या पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है।

    बैठक में यह भी बताया गया था कि श्रमिकों को दी जाने वाली 800 रुपये की इनपुट सहायता और प्रोत्साहन राशि, साथ ही स्थानीय रोजगार के अवसर, प्रवासन को कम करने में योगदान दे रहे हैं। लेकिन हाल की रिपोर्ट के अनुसार, बोलांगीर में तस्करी रैकेट अब भी सक्रिय हैं।