Odisha News: 300 उठक-बैठक करने पर छात्र की हुई थी मौत, अब हाईकोर्ट ने शिक्षक को दी राहत
उड़ीसा उच्च न्यायालय ने एक मामले में एक शिक्षक को राहत प्रदान की है। अदालत ने दोहराया कि अनुशासनात्मक उपाय के रूप में एक छात्र को शारीरिक दंड किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 82 के तहत अपराध नहीं हो सकती है। न्यायमूर्ति सिबो शंकर मिश्रा की एकल पीठ ने शिक्षक को मृतक के परिवार को 1 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। उड़ीसा उच्च न्यायालय ने एक मामले में एक शिक्षक को राहत प्रदान की है। अदालत ने दोहराया कि अनुशासनात्मक उपाय के रूप में एक छात्र को 'शारीरिक दंड' किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 82 के तहत अपराध नहीं हो सकती है।
न्यायमूर्ति सिबो शंकर मिश्रा की एकल पीठ ने बच्चे की मौत पर माता-पिता के दुख को स्वीकार किया और शिक्षक को मृतक के परिवार को 1 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।
अदालत ने कहा है कि एक छात्र की मौत हुई है और मुआवजे की कोई भी राशि बच्चे के नुकसान की भरपाई नहीं कर सकती है।
भले ही चिकित्सा साक्ष्य ने याचिकाकर्ता के किसी भी प्रत्यक्ष अपराध को खारिज कर दिया हो, लेकिन यह सुनिश्चित करना राज्य का कर्तव्य है कि सरकारी स्कूलों और छात्रावासों में रहने वाले छात्रों को उचित चिकित्सा देखभाल और सुरक्षित वातावरण मिले।
2 नवंबर 2019 को हुई थी छात्र की मौत
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 23 अक्टूबर 2019 को टीचर ने कथित तौर पर छात्र को 300 उठक-बैठक करने का आदेश दिया। इसके कुछ देर बाद छात्र ने दर्द महसूस होने की शिकायत की।
इसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में इलाज के दौरान 2 नवंबर 2019 को उसकी मौत हो गई।
एफआईआर, चार्जशीट और मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद अदालत ने पाया कि मौत का कारण चिकित्सकीय रूप से 'मेनिनजाइटिस' बताया गया था।
नतीजतन, अदालत ने मृतक के परिवार को 1 लाख रुपये का मुआवजा देना उचित समझा। कोर्ट ने कहा कि शिक्षक ही इस मुआवजे का भुगतान करेगा।
राजा चक्र और अन्य चार की अग्रिम जमानत याचिका हाईकोर्ट में खारिज
वहीं, दूसरी ओर कटक में राजा चक्र के साथ-साथ अन्य चार सुशांत कुमार सामल, सुधांशु शेखर नायक, समीर कुमार जेना और सदाशिव सामल की अग्रिम जमानत याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।
इससे पहले उन्हें दी जाने वाली अंतरिम सुरक्षा को भी हाईकोर्ट ने हटा दिया है। सत्य को उजागर करने के लिए राजा चक्र और अन्य आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ करना बहुत ही जरूरी है। अगर उन्हें अग्रिम जमानत के द्वारा सुरक्षा दिया जाए तो उनसे पूछताछ करना महज फरमाइश होकर रह जाएगी।
यह बात सरकार की ओर से बहस में अदालत में दर्शाया गया था। उसके अलावा गंधमार्दन लोडिंग एजेंसी और ट्रांसपोर्टिंग कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड में काला कारोबार को लेकर कई अहम जानकारी अदालत को दी गई।
राजा के खिलाफ केंदुझर में 13 मामले पहले से दर्ज है जबकि अन्य आरोपियों के खिलाफ भी कुछ मामला दर्ज है। जांच में राजा चक्र सहयोग नहीं कर रहे हैं, यह बात भी अदालत में दर्शाया गया था। राजा चक्र की ओर से भी अदालत में बहस की गई।
अदालत तमाम बहस और केस डायरी एवं उपलब्ध होने वाले तथ्य को विचार में लेते हुए उनकी अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
अगर याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तार किया जाए और वह नियमित जमानत के लिए आवेदन करते हैं तो उसको विचार में लिया जाएगा, यह बात हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस वी. नरसिंह की एकल खंडपीठ ने स्पष्ट किया है।
विदित है कि ईओडब्लू मामले में गिरफ्तारी को टालने के लिए राजा चक्र और अन्य चार हाईकोर्ट में पहुंचे थे। जिन्हें प्राथमिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की ओर से अंतरिक्ष सुरक्षा दी गई थी।
सरकार की ओर से एजिए पार्थ सारथी नायक मामला संचालन कर रहे थे। दूसरी ओर गंधमार्दन लोडिंग एजेंसी और ट्रांसपोर्टिंग कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के काला कारोबार में शामिल होने के आरोप में क्राइम ब्रांच गुरुवार को राजा चक्र को हिरासत में लेकर पूछताछ किया है और बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
इस पूरे घटनाक्रम में और कौन-कौन शामिल है, उसको लेकर क्राइम ब्रांच अधिक जांच पड़ताल करेगी। फिलहाल इस मामले में अन्य चार आरोपी जिन्होंने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए गुहार लगाया था, उन्हें अभी तक क्राइम ब्रांच ने हिरासत में नहीं लिया है।
इस पूरे घटना के काला कारोबार में और कौन-कौन शामिल है ? इसमें और किस-किसका हाथ है, किसी नेता या किसी अधिकारी का हाथ है, उसके बारे में भी क्राइम ब्रांच जांच-पड़ताल करेगी।
राजा चक्र को हिरासत में लेने के बारे में गुरुवार को क्राइम ब्रांच के डीजीपी विनयतोष मिश्र ने गण माध्यम को जानकारी दिया है। हाइकोर्ट की अंतरिम सुरक्षा हटने के बाद क्राइम ब्रांच ने उसे हिरासत में लिया है।
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