पुरी श्रीमंदिर में बलभद्र जयंती का भव्य उत्सव, मां सुभद्रा ने भाइयों को बांधी गई दुनिया की सबसे बड़ी राखी
आज गम्हा पूर्णिमा पर पुरी श्रीमंदिर में भगवान बलभद्र का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। देवी सुभद्रा ने अपने भाई भगवान जगन्नाथ और बलभद्र को राखी बांधी। पटारा बिसोई सेवकों ने दुनिया की सबसे बड़ी राखी तैयार की। भगवान सुदर्शन चार आश्रमों की यात्रा पर निकले और बलभद्र के जन्म अनुष्ठान मार्कंड पुष्करणी में सम्पन्न हुए।

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। आज गम्हा पूर्णिमा (राखी पूर्णिमा) का पावन अवसर है, जिसे भगवान बलभद्र का जन्मदिन होने के कारण बलभद्र जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस शुभ दिन पर पुरी श्रीमंदिर में भगवान जगन्नाथ के बड़े भाई भगवान बलभद्र के जन्मोत्सव और रक्षा बंधन के पर्व को लेकर विशेष अनुष्ठानों का आयोजन किया गया।
मध्याह्न धूप के पश्चात देवी सुभद्रा अपने दोनों भाइयों भगवान जगन्नाथ और भगवान बलभद्र की कलाई पर रक्षा सूत्र (राखी) बांधी। इस अवसर के लिए पटारा बिसोई सेवकों ने दुनिया की सबसे बड़ी राखी तैयार की है, जिसे मां सुभद्रा अपने भाइयों को अर्पित की। साथ ही उन्होंने राखी उत्सव के लिए विशेष ‘गुआमाला’ भी बनाई है।
परंपरा के अनुसार, देवी सुभद्रा की ओर से सिंहारी सेवक भगवान जगन्नाथ और भगवान बलभद्र के हाथों में राखी बांधें।
इस पावन दिन पर भगवान सुदर्शन चार आश्रमों की यात्रा पर निकलें और भगवान बलभद्र के जन्म अनुष्ठान मार्कंड पुष्करणी में सम्पन्न हुए। दोपहर धूप के बाद भगवान सुदर्शन का पहले मंगलार्पण किया गया, फिर मिट्टी से भगवान बलभद्र की प्रतिमा का निर्माण किया गया। पूजा पंडा सेवक प्रतिमा में प्राण-प्रतिष्ठा कर ‘जातकर्म’ संस्कार आरंभ किए।
इसके पश्चात पंचोपचार, शीतला मनोही और बंदापना की रस्में पूरी की गई। अंत में भगवान बलभद्र की प्रतिमा का विसर्जन मार्कंड पुष्करणी में किया गया। इसके बाद विमनाबडु सेवक भगवान सुदर्शन को चार आश्रमों की यात्रा पर लेकर रवाना हुए, जहां भ्रमण के बाद वे पुनः श्रीमंदिर लौट आए।
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