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    ओडिशा विधानसभा में गर्माया नव दास का मुद्दा, फाइव टी सचिव वीके पांडियन और जाजपुर विधायक पर लगा सीधा आरोप

    By Jagran NewsEdited By: Arijita Sen
    Updated: Tue, 21 Feb 2023 02:29 PM (IST)

    ओडिशा विधानसभा में बजट सत्र के पहले ही दिन नव दास हत्‍याकांड को लेकर जमकर हंगामा हुआ। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष जय नारायण मिश्रा ने फाइव टी सचिव वीके पांडियन और जाजपुर विधायक प्रणब प्रकाश दास (बॉबी) पर संलिप्तता का सीधा आरोप लगाया।

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    ओडिशा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जय नारायण मिश्रा

    जासं, भुवनेश्वर। ओडिशा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जयनारायण मिश्रा ने मंगलवार को ऐसे समय में विस्फोटक बयान दिया जब अपराध शाखा स्वास्थ्य मंत्री नव दास की हत्या के 24 दिन बाद भी उनकी हत्या के पीछे के रहस्य से पर्दा उठाने में नाकाम रही है।

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    उन्होंने नव दास की हत्या के मामले में राज्य के फाइव टी सचिव वीके पांडियन और जाजपुर के विधायक प्रणब प्रकाश दास (बॉबी) की संलिप्तता का सीधा आरोप लगाया है और दोनों को जांच के दायरे में लाने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि नव की हत्या से चार दिन पहले फाइव टी सचिव और जाजपुर के विधायक के बीच क्या बातचीत हुई, यह जांच के दायरे में आना चाहिए।

    साजिश के तहत की गई है नव दास की हत्‍या

    सदन में आज नव दास के लिए लाए गए शोक प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान भी नेता प्रतिपक्ष मिश्रा ने कहा कि हत्या सुनियोजित तरीके से की गई है। शोक प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष के इस तरह के सीधे हमले ने राज्य की राजनीति को गर्म कर दिया है।

    मिश्रा ने आज विधानसभा परिसर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि आइए सामने लाते हैं कि 5टी सचिव और जाजपुर के विधायक ने नव दास की हत्या से चार दिन पहले टेलीफोन पर क्या बातचीत की थी। तब असली सच सामने आ सकता है, लेकिन इन दो व्यक्तियों की संलिप्तता के कारण ओडिशा पुलिस उनके खिलाफ जांच नहीं कर सकती है इसलिए सीबीआई जांच की जरूरत है।नव दास की हत्या राज्य प्रायोजित हत्या है। ऐसे में क्या आम आदमी सुरक्षित है जहां सरकार खुद सरकार (स्वास्थ्य मंत्री) को मार सकती है? इसलिए मैं सीबीआई जांच की मांग करता हूं।

    नव दास हत्‍याकांड का 24 दिन बाद भी नहीं हुआ खुलासा

    29 जनवरी को एएसआई गोपाल दास द्वारा नव दास की गोली मारकर हत्या किए जाने के 24 दिन बाद भी अपराध शाखा उनकी हत्या के पीछे के कारणों का पता नहीं लगा पाई है। मुख्यमंत्री, गृह राज्य मंत्री, गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक और एडीजी क्राइम ब्रांच सभी ने जांच में हुई प्रगति पर चुप्पी साध रखी है।

    मामले में जांच की गति केवल गोपाल दास तक ही सीमित है। हालांकि, हत्या के पीछे राजनीतिक और व्यावसायिक साजिश को लेकर सार्वजनिक चर्चा है, लेकिन क्राइम ब्रांच ने उन पहलुओं की जांच नहीं की है।

    क्राइम ब्रांच की जांच गोपाल तक ही सीमित

    क्राइम ब्रांच अभी भी राजनीतिक और व्यावसायिक पहलुओं की जांच क्यों नहीं कर रही है, इस बारे में बड़े सवाल हैं, जो नव दास के परिवार के सदस्यों, व्यापारिक सहयोगियों, राजनीतिक सहयोगियों से पूछताछ कर रहे हैं। विपक्षी दलों से लेकर आम आदमी तक हर कोई नव दास हत्याकांड की जांच को व्यापक बनाने की मांग कर रहा है, लेकिन क्राइम ब्रांच की जांच गोपाल तक ही सीमित है। क्राइम ब्रांच हत्या के पीछे के कारणों का खुलासा करने में विफल रही है।

    मामले को रफा-दफा करने की कोशिश

    इस बीच गोपाल दास की मानसिक रोगी के रूप में जांच करने वाली मेडिकल टीम ने पहले ही अपराध शाखा को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है इसलिए कहा जा रहा है कि नव दास के हत्यारे गोपाल को मानसिक रोगी दिखाकर मामले को रफा दफा करने का मार्ग प्रशस्त किया जा रहा है।

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