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    DRDO और भारतीय नौसेना ने मिलकर नवल एंटी शिप मिसाइल का किया सफल परीक्षण, रक्षा मंत्री दी बधाई

    Updated: Wed, 26 Feb 2025 09:34 PM (IST)

    डीआरडीओ और भारतीय नौसेना ने चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से पहली नौसेना एंटी शिप मिसाइल (एनएएसएमएसआर) का सफल परीक्षण किया। मिसाइल ने समुद्र स्कीमिंग मोड में एक छोटे जहाज के लक्ष्य पर सीधा प्रहार किया। इसने स्वदेशी इमेजिंग इंफ्रारेड सीकर और उच्च बैंड विड्थ दो तरफा डेटालिंक सीस्टम का भी प्रदर्शन किया। मिसाइल को डीआरडीओ के विभिन्न प्रयोगशालाओं द्वारा विकसित किया गया है।

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    एंटी शिप मिसाइल का सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण हुआ। फ़ोटो- जागरण

    लावा पांडे, बालेश्वर। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय नौसेना ने आज चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से पहली नौसेना एंटी शिप मिसाइल (एनएएसएमएसआर) का सफल परीक्षण किया। 

    परीक्षण के दौरान ऐसे किया गया टारगेट लॉक 

    परीक्षणों में भारतीय नौसेना के सीकिंग हेलीकॉप्टर से प्रक्षेपित किए जाने पर जहाज के लक्ष्यों के विरुद्ध मिसाइल की क्षमता का प्रदर्शन किया गया।

    परीक्षण ने मिसाइल की मेन इन लूप विशेषता को सिद्ध कर दिया है और इसकी अधिकतम सीमा पर समुद्र स्कीमिंग मोड में एक छोटे जहाज के लक्ष्य पर सीधा प्रहार किया है। 

    खास बात यह है कि मिसाइल टर्मिनल मार्गदर्शन के लिए एक स्वदेशी इमेजिंग इंफ्रारेड सीकर का उपयोग करती है। इसने उच्च बैंड विड्थ दो तरफा डेटालिंक सीस्टम का भी प्रदर्शन किया है। 

    जिसका उपयोग उड़ान के दौरान पुनः लक्षीकरण के लिए सीकर की लाइव छवियों को पायलट तक वापस भेजने के लिए किया जाता है।

    मिसाइल को लॉन्च मोड के बाद बियरिंग ओनली लॉक ऑन में लॉन्च किया गया था, जिसमें से एक को चुनने के लिए कई लक्ष्य पास में थे। 

    मिसाइल ने शुरू में खोज के एक निर्दिष्ट क्षेत्र के भीतर एक बड़े लक्ष्य को लॉक किया और टर्मिनल चरण के दौरान पायलट ने एक छोटे छिपे हुए लक्ष्य का चयन किया, जिसके परिणाम स्वरूप इसे सटीक रूप से मारा गया।

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    मिसाइल की यह है खास बात

    मिसाइल अपने मार्गदर्शन के लिए स्वदेशी फाइबर ऑप्टिकल जायरोस्कोप आधारित आईएनएस और रेडियो अल्टीमीटर, एक एकीकृत एवियोनिक्स माड्यूल, एयरोडायनेमिक और जेट वेन नियंत्रण के लिए इलेक्ट्रो मैकेनिकल एक्चुएटर्स, थर्मल बैट्री और पीसीएच वारहेड का उपयोग करती है।

    यह इनलाइन इंजेक्टेबल बूस्टर और लॉन्ग बर्न सस्टेनर के साथ सॉलिड प्रोप्लसन का उपयोग करती है। इस परीक्षण ने सभी मिशन उद्देश्यों को पूरा किया है। 

    मिसाइल को डीआरडीओ के विभिन्न प्रयोगशालाओं द्वारा विकसित किया गया है, जिनमें अनुसंधान केंद्र इमारत, अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला, उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला और टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लैबोरेट्री शामिल हैं। 

    इनके द्वारा बनाई जा रही मिसाइल

    • मिसाइल का उत्पादन वर्तमान में एमएसएमई, स्टार्टअप और अन्य उत्पादन भागीदारों की मदद से विकास सह उत्पादन भागीदारों द्वारा किया जा रहा है।
    • रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने सफल उड़ान परीक्षणों के लिए डीआरडीओ, भारतीय नौसेना और उद्योगों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह परीक्षण अद्वितीय है क्योंकि यह उड़ान के दौरान पुनः लक्षीकरण की क्षमता प्रदान करते हैं। 
    • वहीं, रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉक्टर समीर भी कामत ने भी डीआरडीओ की पूरी टीम, उपयोगकर्ताओं और उद्योग भागीदारों को बधाई दी।

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