'किसी को शायद नहीं है मेरी परवाह'...सूरत के एक कार्यक्रम में छलका पुरी शंकराचार्य का दर्द, कहा- कोई नहीं लेता मुझसे सलाह
गुजरात के सूरत में बुधवार को एक धार्मिक कार्यक्रम में बोलते हुए पुरी गोबर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का छलका दर्द। उन्होंने कहा कि ओडिशा सरकार श्रीमंदिर प्रबंध समिति और सेवकों को शायद ही उनकी परवाह है क्योंकि मंदिर प्रशासन और धर्म के मामलों में मेरा सुझाव और सलाह लेना कोई जरूरी नहीं समझता है। उन्होंने कहा कि वह सिर्फ रथ यात्रा के समय ही श्रीमंदिर जाते हैं।
संतोष कुमार पांडेय, अनुगुल। पुरी गोबर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने ओडिशा सरकार, श्रीमंदिर प्रबंध समिति और सेवकों द्वारा जिस तरह से उन्हें 'दरकिनार' किया जा रहा है, उस पर निराशा व्यक्त की।
मेरी सलाह की किसी को परवाह नहीं: शंकराचार्य
बुधवार को गुजरात के सूरत में एक धार्मिक कार्यक्रम में बोलते हुए पुरी के शंकराचार्य ने अपनी पीड़ा व्यक्त की और अफसोस जताया कि किसी को मेरी सलाह की परवाह नहीं है।
उन्होंने कहा, प्रशासन, श्रीमंदिर प्रबंधन समिति और सेवक सभी मुझसे दूरी बनाए रखते हैं। वहां एक सुप्रीम कोर्ट है, जो मंदिर प्रशासन और धर्म के मामलों में मेरे सुझाव और सलाह लेने का निर्देश देता है, लेकिन कोई भी इसे आवश्यक नहीं समझता।
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सिर्फ रथ यात्रा के समय श्रीमंदिर जाता हूं: शंकराचार्य
शंकराचार्य ने यह भी कहा कि मैं केवल रथ यात्रा के दौरान रथों और श्रीमंदिर में जाता हूं। इसके अलावा मेरे पास कोई लिंक नहीं है। उन्हें शायद ही मेरी परवाह है।
श्रीमंदिर के चारों द्वार खोलने के संबंध में शंकराचार्य ने बताया कि श्रीमंदिर का दक्षिणी द्वार खोलने का एक नियम है, जिसमें द्वार केवल उनके लिए खुल सकता है, सभी के लिए नहीं। सनातन धर्म पर जोर देते हुए पुरी शंकराचार्य ने कहा कि जो लोग सनातन धर्म के खिलाफ बोलेंगे और इसकी निंदा करेंगे, वे अपने ही शब्दों के शिकार बन जाएंगे। इस विषय पर संबंधित अधिकारियों और सेवकों से कोई टिप्पणी प्राप्त नहीं हुई है।