Montha Cyclone: ओडिशा के तटीय इलाकों में हर साल आती है आफत, 'मोंथा' को लेकर प्रशासन के क्या हैं इंतजाम?
ओडिशा के तटवर्तीय जिलों में चक्रवात 'मोंथा' को लेकर सतर्कता बरती जा रही है। जिला प्रशासन ने किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए तैयारी कर ली है। हर साल आने वाले तूफानों से तटीय इलाकों में रहने वाले लोग परेशान हैं, क्योंकि उनके पास कमजोर मकान हैं और फसलों को भी नुकसान होता है। जिलाधीश ने लोगों को भयभीत न होने की सलाह दी है और कहा है कि सभी आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध हैं।
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तटीय क्षेत्रों में अनांउसमेंट करती प्रशासन की टीम
लावा पांडे, बालेश्वर। ओडिशा के तटवर्तीय जिलों मुख्यतः जाजपुर, भद्रक, बालेश्वर, मयूरभंज में प्रतिवर्ष सामुद्रिक तूफान का आना मानो आम सी बात हो गई है, जिसके चलते लोग जानते हैं कि जून से लेकर अक्टूबर के महीने के बीच कोई ना कोई सामुद्रिक तूफान ओडिशा के तट से टकराता है।
तूपान और तटवर्तीय जिलों से गुजरता हुआ पश्चिम बंगाल की ओर जाता है, जिसके चलते किसी जिले में भारी तबाही, तो किसी जिले में आंशिक तबाही का नजारा साफ देखने को मिलता है, जिसके चलते इन तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोग मानो अब सामुद्रिक तूफान को अपने जीवन जीविका का एक अंग मान चुके हैं।
मोंथा नामक सामुद्रिक तूफान के चलते जिला प्रशासन की ओर से लगातार जिलाधीश सूर्यवंशी मयूर विकास के नेतृत्व में कई कई बार बैठक किया गया चुका है, जिसमें जिले के सभी ब्लॉक के बी डी ओ, तहसीलदार समेत उप जिलाधीश शिव मालवीय, पुलिस के डीआईजी पिनाक मिश्रा, एसपी प्रत्यूष दिवाकर समेत जिले के प्राय सभी अधिकारी बैठक में हिस्सा ले चुके हैं।
हर साल आती है आफत
बालेश्वर मुख्यतः बंगाल की खाड़ी के तट पर बसा होने के कारण यहां पर सामुद्रिक तूफान का खतरा हर वर्ष मंडराता रहता है।सरकार चाहे कितनी भी दावे क्यों न कर ले, आज भी भद्रक ,जाजपुर ,बालेश्वर और मयूरभंज में तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों के पास कच्चे मकान या फिर कमजोर और पुराने मकान मौजूद हैं।
स्वाधीनता के 75 वर्ष बाद से कई कई सरकारी आई और सरकारें गई बस केवल जब भी सामुद्रिक तूफान का चर्चा होती है। सरकार या फिर प्रशासन तब लोगों का सुध लेते हैं और लोगों को लाउडस्पीकरों के जरिए सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह देते हैं, मछुआरों को समुद्र में न जाने की हिदायत देते हैं, लेकिन किसी ने सरकार में तटवर्तीय इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए कोई अस्थाई समाधान नहीं निकाला।
आज भी तटवर्तीय इलाकों में हजारों की तादाद में लोग या फिर कच्चे मकान में रहने को मजबूर हैं या फिर कमजोर किस्म के मकान, जिसकी उम्र करीब 50 से 60 वर्ष हो चुकी है, ऐसे जर्जर हालत में रहने को मजबूर हैं।
सामुद्रिक तूफान के चलते लोगों के जान माल का नुकसान तो होता है, लेकिन फसलों और सब्जियों को भारी तादाद में तूफान नुकसान पहुंचाता है जिसके चलते लोग सामुद्रिक तूफान का नाम सुनकर ही चिंतित हो जाते हैं।
आज सामुद्रिक तूफान मोंथा को लेकर भी लोगों में भय का वातावरण है। हालांकि बालेश्वर के जिलाधीश सूर्यवंशी मयूर विकास ने बताया कि लोगों को भयभीत होने की जरूरत नहीं है। जिले के सभी ब्लॉक में खाने-पीने के वस्तुओं समेत दवाइयां, डॉक्टर और सभी बुनियादी जरूरतें पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है तथा स्थिति पर हम कड़ी नजर रखे हुए है।

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