सड़क हादसे में जान गंवाने वाले शख्स ने किया नेत्रदान, दुनिया को अलविदा कहते हुए दो लोगों की रोशन कर गए जिंदगी
संबलपुर के जाने-माने भोला टेंट हाऊस के मालिक स्वर्गीय प्रफुल्ल दाश के छोटे बेटे चित्तरंजन दाश दुनिया से रुख्सत होते हुए इंसानियत की मिसाल पेश कर गए। उन्होंने अपना नेत्रदान कर अंधेरी में जिंदगी काट कर रहे दो लोगों के जीवन को रोशन किया है। सोमवार के दिन सड़क हादसे में उनकी जान गई थी। परिवारवालों की रजामंदी से उनके दोनों नेत्र निकाल लिए गए।

संवाद सूत्र, संबलपुर। सड़क हादसे में अकाल मौत का शिकार हुए स्थानीय कुंजेलपाड़ा निवासी चित्तरंजन दाश के मरणोप्रांत किए गए नेत्रदान से अब दो नेत्रहीन लोगों की अंधेरी जिंदगी में रोशनी लौट सकेगी। मंगलवार के दिन मृतक चित्तरंजन के शव का पोस्टमार्टम कराए जाने के बाद उसके परिवारवालों की सहमति के बाद यह नेत्रदान संपन्न हुआ। बरगढ़ आई बैंक की ओर से चित्तरंजन का दोनों नेत्र सुरक्षित निकाल लिया गया।
परिवारवालों ने चित्तरंजन की इच्छा का किया सम्मान
गौरतलब है कि सोमवार की शाम बरगढ़ जिला के बराहगुड़ा के पास हुए सड़क हादसे में एक तेज रफ्तार ट्रक की टक्कर से कार चालक चित्तरंजन दाश गंभीर रुप से घायल हो गए थे और एक निजी हॉस्पिटल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी।
इस हादसे के बाद बरगढ़ ग्रामीण थाना पुलिस ने चित्तरंजन के शव को जब्त कर लिया था। मंगलवार के दिन पोस्टमार्टम कराए जाने के बाद शव उनके परिवार को सौंप दिया गया। इसी दौरान परिवारवालों ने मृतक चित्तरंजन की इच्छा का सम्मान करते हुए उसका नेत्रदान किया।
सोमवार को चित्तरंजन हुए हादसे का शिकार
चित्तरंजन दाश संबलपुर के जाने-माने भोला टेंट हाऊस के मालिक स्वर्गीय प्रफुल्ल दाश के छोटे बेटे हैं। सोमवार के दिन वह किसी काम से अपनी कार लेकर बरगढ़ गए थे और शाम के समय वहां से वापस संबलपुर लौटते समय सड़क हादसे का शिकार हो गए। परिवार में पत्नी और एक मासूम बेटी है।
अंगदान कर की मानव सेवा
इस नेत्रदान के दौरान संबलपुर के संबल संगठन के रामदास पंडा, संकल्प परिवार के विकास अग्रवाल, निष्ठा परिवार के अश्विनी त्रिपाठी, मृतक चितरंजन के बड़े भाई पिंटू दाश आदि उपस्थित रहे। बरगढ़ में पोस्टमार्टम और नेत्रदान के बाद मृतक चित्तरंजन का शव संबलपुर लाए जाने के बाद स्थानीय कमली बाजार स्थित स्वर्गद्वार में अंतिम संस्कार किया गया। अभी कुछ दिनों पहले प्रोसेनजीत मोहंती (43) नामक एक शख्स ने भी दुनिया को अलविदा कहते-कहते अपने अंगों को दान में दिया था।
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