'बिहार की तर्ज पर ओडिशा में भी हो जातिगत जनगणना', राज्य सपा अध्यक्ष रवि बेहेरा ने उठाई मांग
बिहार की तर्ज पर अब ओडिशा में भी जातिगत जनगणना की मांग उठी है। समाजवादी पार्टी के ओडिशा अध्यक्ष रवि बेहेरा का कहना है कि जाति जनगणना होने के बाद पिछड़े वंचित वर्ग के लोगों के लिए अधिक सरकारी योजना बनायी जा सकती है। उन्होंने राज्य में संवैधानिक अधिकार से वंचित 54 प्रतिशत पिछड़े वर्ग के लोगों को 27 प्रतिशत संरक्षण सुयोग प्रदान करने की मांग की।

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित खंडपीठ ने बिहार में जातिगत जनगणना को उचित बताया है। जाति जनगणना होने के बाद पिछड़े वंचित वर्ग के लोगों के लिए अधिक सरकारी योजना बनायी जा सकती है।
शिक्षा एवं नौकरी में नियुक्ति से वंचित हो रहे लोग
शिक्षा एवं नौकरी में नियुक्ति के क्षेत्र में जो लोग वंचित हैं, उनके लिए सरकार सही कदम उठा सकती है। यह केवल बिहार सरकार के लिए नहीं, बल्कि पूरे भारत वर्ष में पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए एक नई दिशा दिखाने वाला कदम होने की बात समाजवादी पार्टी के ओडिशा अध्यक्ष रवि बेहेरा ने कही है।
ओडिशा में पिछड़े वर्ग को मात्र 11.25 प्रतिशत ही आरक्षण
समाजवादी पार्टी के राज्य अध्यक्ष बेहरा ने ओडिशा में संवैधानिक अधिकार से वंचित राज्य के 54 प्रतिशत पिछड़े वर्ग के लोगों को 27 प्रतिशत संरक्षण सुयोग प्रदान करने की मांग की। उन्होंने कहा कि बीजद संसदीय दल ने 12 अगस्त, 2021 को गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर देश में जाति जनगणना करने की मांग की थी।
उसी वर्ष 25 अगस्त को राज्य के तत्कालीन मंत्री अरुण साहू एवं वर्तमान मंत्री रणेंद्र प्रताप स्वांई ने एक पत्रकार सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा को ओडिशा से हटाने के लिए मांग करने के साथ पिछड़े वर्ग को अधिकार देने की बात कही थी।
हालांकि, दुख की बात है कि ओडिशा सरकार नियुक्ति में पिछड़े वर्ग को मात्र 11.25 प्रतिशत ही आरक्षण दे रही है। परिणामस्वरूप राज्य में खाली पड़े 2 लाख 26 हजार 559 सरकारी पद में से राज्य के पिछ़ड़े वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण मिलता, तो 61 हजार लोगों को सरकारी नौकरी मिलती।
राज्य सरकार के कॉलेजों में बिल्कुल भी नहीं आरक्षण
हालांकि, अब जबकि 11.25 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है तो 24595 लोगों को नियुक्ति मिलेगी। इस तरह से राज्य के पिछड़े वर्ग लोग 35405 पद से वंचित होने जा रहे हैं।
उसी तरह 2005-06 शिक्षा वर्ष में केंद्र सरकार दिल्ली, जेएनयू, बनारस, हैदराबाद की तरह केंद्रीय विश्व विद्यालय एवं आईआईटी तथा ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में नाम लिखाई में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दे रही है, मगर राज्य सरकार अपने विश्व विद्यालय, काॅलेज व मेडिकल तथा इंजीनियरिंग शिक्षा में ओडिशा के पिछड़े वर्ग के छात्रों को नाम लिखाने में बिल्कुल ही आरक्षण नहीं दे रही है।
परिणामस्वरूप राज्य में हजारों छात्र-छात्राएं मेडिकल व इंजीनियरिंग जैसी उच्च शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। ऐसे में सरकार तुरंत बिहार की तर्ज पर जाति जनगणना करने के लिए बेहरा ने मांग की है।
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