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    बिहार में जाति आधारित गणना को हरी झंडी, पटना हाई कोर्ट ने सर्वे को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को किया खारिज

    By Jagran NewsEdited By: Aditi Choudhary
    Updated: Tue, 01 Aug 2023 01:32 PM (IST)

    Bihar Caste Census पटना हाई कोर्ट से नीतीश सरकार को बड़ी राहत मिली है। मंगलवार को हाई कोर्ट ने जाति आधारित गणना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इसी के साथ सर्वे को हरी झंडी मिल गई है। इस मामले पर 17 अप्रैल को पहली बार सुनवाई हुई थी। हाई कोर्ट ने चार मई को जाति आधारित गणना पर रोक लगा दी थी।

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    पटना हाई कोर्ट ने जाति आधारित गणना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को किया खारिज

    पटना, जागरण डिजिटल डेस्क। पटना हाई कोर्ट से नीतीश सरकार को बड़ी राहत मिली है। मंगलवार को हाई कोर्ट ने जाति आधारित गणना और आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इसी के साथ बिहार में जाति आधारित सर्वे को हरी झंडी मिल गई है।

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    पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन एवं न्यायाधीश पार्थ सारथी की खण्डपीठ के समक्ष यह मामला 10:30 बजे सूचीबद्ध था, लेकिन अदालत ने अपना फैसला दोपहर 1:00 बजे सुनाया। इस मामले पर 17 अप्रैल को पहली बार सुनवाई हुई थी। हाई कोर्ट ने चार मई को जाति आधारित गणना पर रोक लगा दी थी।

    याचिकाओं में इन बिन्दुओं पर जताई गई थी आपत्ति

    • जाति आधारित गणना से जनता की निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा।
    • राज्य सरकार सर्वेक्षण के नाम पर जनगणना करा रही है जो इसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
    • सरकार ने इस गणना का उद्देश्य नहीं बताया है, जिससे इन संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग किया जा सकता है।
    • राज्य सरकार द्वारा एकत्रित डाटा की सुरक्षा पर भी प्रश्न।
    • राज्य सरकार ने आकस्मिक निधि से 500 करोड़ रुपए इस सर्वेक्षण के लिए इस्तेमाल किया है, जो जनता के धन का दुरुपयोग है।
    • संविधान राज्य सरकार को इस तरह का सर्वेक्षण करने की अनुमति नहीं देता है।

    राज्य सरकार ने इन बिंदुओं पर रखा था पक्ष

    वहीं, राज्य सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि यह राज्य का नीतिगत निर्णय है और इसके लिए बजटीय प्रावधान किया गया है। सरकार ऐसी कोई जानकारी नहीं मांग रही है जिससे निजता के अधिकार का हनन होगा। राज्य सरकार का यह संवैधानिक दायित्व है कि वह अपने नागरिकों के बारे में जानकारी इकट्ठा कर कल्याणकारी योजनाओं का लाभ विभिन्न वर्गों तक पहुंचा सके। सरकार ने कहा था कि जातीय गणना का पहला चरण समाप्त हो चुका है और दूसरे चरण का 80 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है, ऐसे में इसे रोकने का कोई औचित्य नहीं है।