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    दक्षिणांचल पुलिस रेंज में 40 PSO के हाथ जन प्रतिनिधियों की सुरक्षा, नव दास हत्‍याकांड से बिगड़ी छवि

    By Jagran NewsEdited By: Arijita Sen
    Updated: Thu, 23 Feb 2023 11:17 AM (IST)

    पीएसओ के रहते हुए पुलिस एएसआई द्वारा गोली मारकर पूर्व स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री नव किशोर दास की हत्‍या ने हलचल पैदा कर दिया है। ऐसे में दक्षिणांचल रेंज में नियुक्त किए गए सभी पीएसओ को स्पेशल ट्रेनिंग दिया गया है।

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    जन प्रतिनिधियों की सुरक्षा में तैनात रहते हैं पीएसओ

    शेषनाथ राय, भुवनेश्वर। स्वास्थ्य मंत्री नव दास की एक पुलिस एएसआई द्वारा गोली मारकर की गई हत्या की घटना ने राज्य भर में हलचल पैदा कर दी है। इस घटना ने जन प्रतिनिधियों की सुरक्षा और उन्हें प्रदान किए जा रहे पीएसओ (पर्सनल सिक्योरिटी आफिसर) की भूमिका पर एक बड़ा सवालिया निशान लगा दिया था। जन प्रतिनिधियों की सुरक्षा के लिए राज्य पुलिस विभाग की तरफ से पीएसओ प्रदान किया जाता है। स्वास्थ्य मंत्री के साथ भी एक पीएसओ उनकी सुरक्षा में तैनात था। बावजूद इसके भीड़ में एक पुलिस एएसआई ने उन्हें गोली मार दी।

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    दक्षिणी रेंज में कुल 40 पीएसओ तैनात

    नव दास हत्‍याकांड के बाद कुछ जनप्रतिनिधि और बुद्धिजीवियों ने पीएसओ प्रणाली को लेकर सवाल उठाए थे। ऐसे में दक्षिणांचल पुलिस रेंज के अंतर्गत आने वाले पांच पुलिस जिलों के जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा के लिए भी ऐसे ही पीएसओ तैनात किए गए हैं। दक्षिणी रेंज में कुल 40 पीएसओ तैनात किए गए हैं, जिस पर दक्षिणांचल रेंज के आईजी सत्यव्रत भोई ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि दक्षिणांचल रेंज में नियुक्त किए गए सभी पीएसओ को स्पेशल ट्रेनिंग दिया गया है।

    पीएसओ को दिया जाता है विशेष प्रशिक्षण

    उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग में काम करने वाले कांस्टेबल या हवलदार रैंक के कर्मचारियों को पीएसओ के रूप में नियुक्त किया जाता है। उन्हें पीएसओ की भर्ती के लिए विभाग द्वारा विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके साथ ही आयु सीमा भी देखी जाती है। सरकारी नियमों के मुताबिक, हर विधायक, सांसद, मंत्री को आमतौर पर पीएसओ दिया जाता है। इसके अलावा जिला कलेक्टर और एसपी के साथ भी एक-एक पीएसओ होता है।

    जन प्रतिनिधियों की सुरक्षा में तैनात रहते हैं पीएसओ

    दक्षिणांचल रेंज के पांच पुलिस जिलों में 20 विधायक एवं तीन सांसद हैं, जिनके साथ पीएसओ तैनात है। आईजी ने कहा है कि इस रेंज में जिन्हें पीएसओ के तौर पर नियुक्त किया जाएगा वे केवल संबंधित जन प्रतिनिधियों की सुरक्षा में रहेंगे। आईजी श्री भोई ने कहा कि छुट्टी पर जाने पर उनकी जगह और किसी पीएसओ को नियुक्त किया जाता है। एक जनप्रतिनिधि किसी भी समय अपनी सुरक्षा के लिए अपने पीएसओ को अपने साथ ले जा सकता है, अगर वह इसे आवश्यक समझता है।

    नियमों की अनदेखी करने पर हटाए जा सकते हैं पीएसओ

    दक्षिणांचल रेंज की सूची में 20 विधायक, 3 सांसद, एसपी, जिला कलेक्टर हैं। इनके लिए तैनात पीएसओ को विशेष प्रशिक्षण के साथ हर वर्ष रेंज कोर्स का प्रशिक्षण दिया जाता है। आईजी भोई ने कहा है कि ज्यादातर मामलों में, जन प्रतिनिधि अपने क्षेत्र में परिचितों (पुलिस) को पीएसओ के रूप में रखना पसंद करते हैं।

    पीएसओ के रूप में जिम्मेदारी का निर्वहन करने के लिए कोई न्यूनतम या अधिकतम समय सीमा नहीं है। अगर किसी के खिलाफ कोई शिकायत आती है या संबंधित पीएसओ सुरक्षा व्यवस्था की अनदेखी करता है तो उसे हटाकर नए कर्मचारी की नियुक्ति कर दी जाती है।

    पीएसओ के लिए अदालत से लेनी होती है अनुमति

    दक्षिणी रेंज में जन प्रतिनिधि को छोड़कर हर जिले के जिला कलेक्टर और एसपी का भी एक पीएसओ है। इसी तरह आईजी और आरडीसी के पास भी पीएसओ है। इसके अलावा जो व्यक्ति असुरक्षित महसूस करता है या लिखित में आशंका व्यक्त करता है कि उसकी जान को खतरा है, उसकी भी जांच की जाती है और उसे पीएसओ प्रदान किया जाता है। हालांकि, इसके लिए पहले अदालत की अनुमति की जरूरत होती है।

    पीएसओ को प्रदान किया जाता है पिस्‍तौल

    आईजी भोई ने कहा कि दक्षिणी पुलिस रेंज में फिलहाल ऐसे किसी व्यक्ति को विशेष पुलिस सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई है। पीएसओ के रूप में तैनात कांस्टेबल या हवलदारों को पिस्तौल प्रदान की जाती है। पीएसओ को विशेष प्रशिक्षण देने की व्यवस्था है। हर साल पुलिस विभाग रेंज कोर्स प्रशिक्षण आयोजित करता है। पुलिस विभाग में काम करने वाले हर कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक हर कोई इस कोर्स में भाग लेता है, जो उनकी हथियार फायरिंग क्षमताओं को बढ़ाता है।

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