2036 तक ओडिशा बन जाएगा उम्रदराज (बुजुर्ग) राज्य, प्रदेश में लगातार घट रही है आबादी; बच्चे पैदा करने में हिचकिचा रहे जोड़े
आज से दस साल बाद एक ऐसा वक्त आएगा जब ओडिशा की आबादी बढ़ने के बजाय घटेगी। स्वास्थ्य विभाग के एक अनुमान के मुताबिक राज्य की सकल प्रजनन दर (टीएफआर) राष्ट्रीय दर से काफी कम होगी और धीरे-धीरे यह घटने के क्रम में आगे बढ़ता जाएगा। ऐसे में 2036 तक ओडिशा उम्रदराज (बुजुर्ग) राज्य बन जाएगा। महंगाई के चलते लोग बच्चे पैदा करने से हिचकिचाने लगे हैं।
शेषनाथ राय, भुवनेश्वर। दस वर्ष बाद ओडिशा की आबादी बढ़ने के बजाय घटेगी। स्वास्थ्य विभाग का यह अनुमान राज्य की सकल प्रजनन दर (टीएफआर) राष्ट्रीय दर से काफी कम होने और धीरे-धीरे घटने की पृष्ठभूमि में आया है। एक कदम आगे बढ़ते हुए स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि ओडिशा जल्द ही बुजुर्गों (वयस्क) का राज्य बन जाएगा। राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी परिवार नियोजन 2030 विजन डॉक्यूमेंट में यह आकलन किया गया है।
राज्य में प्रजनन दर में गिरावट
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-5 के अनुसार, राज्य में प्रजनन दर (टीएफआर) वर्तमान समय में 1.8 है, जो कि प्रतिस्थापन दर या 2.1 की संतुलन दर से कम है। राज्य का टीएफआर अगले साल से 1.8 से घटकर 1.6 होने का अनुमान है।
अगर राज्य में तीन धर्मों के परिवारों को शामिल किया जाए तो यह हिंदुओं के लिए 1.8, मुसलमानों के लिए 1.9 और ईसाई श्रेणी में 2.3 है। इसी तरह, शहरी क्षेत्रों में टीएफआर 1.6 और ग्रामीण क्षेत्रों में यह 1.8 है। 13 वर्ष बाद राज्य का टीएफआर 1.5 तक खिसक सकता है।
बच्चा पैदा करने में हिचकिचा रहे हैं जोड़े
राज्य के स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि ओडिशा में जनसंख्या दर अन्य राज्यों की तुलना में काफी बेहतर है। लेकिन अब ज्यादातर लोग अपने पहले बच्चे के जन्म में देरी कर रहे हैं। अधिकांश जोड़े केवल एक ही बच्चे को जन्म देना उचित समझ रहे हैं। इसके पीछे गरीबी भी एक अन्य प्रमुख कारण है।
आज के इस महंगे दौर में गरीब वर्ग के लोग भी बच्चा पैदा करने से हिचकिचाने लगे हैं। ओडिशा में वर्तमान समय में युवाओं की संख्या अधिक होने के कारण जनसंख्या बढ़ रही है। लेकिन यह हमेशा के लिए जारी नहीं रहेगा। क्योंकि अभी जो युवा हैं उनकी उम्र अगले 15 साल बाद 40-45 साल होगी। तब तक, ओडिशा में जनसंख्या पिरामिड अलग होगा। इसलिए अगले 13 सालों में यानी 2036 तक प्रदेश की जनसंख्या में गिरावट देखने को मिलेगी।
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गर्भ निरोधक के नए तरीके अपनाने पर जोर
वहीं दूसरी ओर, राज्य में जन्म नियंत्रण की सफलता के आंकड़ों को देखते हुए, इसे खुला नहीं छोड़ा जा सकता है। अब भी, 25 प्रतिशत जोड़े गर्भनिरोधक के पारंपरिक तरीकों का उपयोग कर रहे हैं। इसके साथ कुछ समस्याएं हैं।
अब नए तरीके उपलब्ध हैं। इसलिए गर्भनिरोधक के इस नए तरीके को अपनाने पर जोर दिया जाना चाहिए और दिया जाएगा।
अधिकारी ने कहा कि परिवार नियोजन 2030 का रोड मैप जनसंख्या और गर्भनिरोधक विधियों आदि को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। इस मौके पर दो नए गर्भनिरोधक तरीके पेश किए गए हैं।
एक सबडर्मल इम्प्लांट एवं सबक्यूटानियम इंजेक्टेबल गर्भनिरोधक एमपीए (अंतरा) है। गंजाम और कटक में सब-डर्मल इम्प्लांट शुरू किए जाएंगे। इससे तीन साल तक गर्भधारण नहीं रह जाएगा।
गर्भनिरोधक को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लेना जरूरी
बालेश्वर और गजपति में सबक्यूटानियम इंजेक्टेबल गर्भनिरोधक एमपीए (अंतरा) शुरू किया जाएगा। इससे तीन महीने तक गर्भधारण को रोका जा सकता है।
इस नई गर्भनिरोधक विधि का उपयोग प्रजनन स्वास्थ्य के लिए महिलाओं के अधिकारों को और सशक्त करेगा। विभाग ने कहा कि सभी महिलाएं और किशोरियां स्वस्थ जीवन जी सकती हैं और गर्भनिरोधक के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय ले सकती हैं।
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