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    Odisha Politics: नवीन पटनायक की इस योजना में भाजपा सरकार ने ढूंढ लिया झोल! मंत्री ने कर दिया बड़ा एलान

    Odisha News ओडिशा में पहली बार भाजपा की सरकार बनी है। सीएम मोहन चरण माझी के नेतृत्‍व में राज्‍य सरकार अब पूर्व में हुए भ्रष्‍टाचार की खाक छान रही है। इसी क्रम में नवीन पटनायक सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम आम ओडिशा नवीन ओड‍िशा के तहत दिए गए अनुदान की मोहन सरकार छानबीन करेगी। भुवनेश्वर लौटने के बाद मीडिया को पंचायतीराज मंत्री रवि नायक ने यह जानकारी दी है।

    By Sheshnath Rai Edited By: Prateek Jain Updated: Wed, 17 Jul 2024 04:13 PM (IST)
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    पंचायतीराज मंत्री रवि नायक व पूर्व सीएम नवीन पटनायक। (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। नवीन पटनायक सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम आम ओडिशा नवीन ओड‍िशा के तहत दिए गए अनुदान की मोहन सरकार छानबीन करेगी। पंचायतों को दिए गए 50 लाख रुपये के अनुदान के बारे में सरकार पता लगाएगी, इन पैसों का क्या गया किया गया है। यह जानकारी पंचायतीराज मंत्री रवि नायक ने मीडिया को दी है।

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    मंत्री ने कहा है कि पंचायती राज विभाग में प्रत्येक पंचायत को दिए गए 50 लाख रुपये की कोई जानकारी नहीं है। इस योजना की जानकारी विभाग को नहीं है। ऐसी कोई योजना थी ही नहीं। तीसरी मंजिल इसकी मनीटरिंग करता था तथा ब्लाक और डीआरडीए इसका क्रियान्वयन कर रहे थे।

    विभागीय सचिव को पता ही नहीं कि काम कौन करा रहा है, कितना और क्या काम हुआ है। हमारी सरकार इस अनियमितता के बारे में पूरा पता लगाएगी और सच्चाई जनता के सामने रखेगी।

    नई दिल्ली में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल से मलाकात कर एवं उनके साथ चर्चा कर भुवनेश्वर लौटने के बाद मीडिया को पंचायतीराज मंत्री रवि नायक ने यह जानकारी दी है।

    पिछले साल ही शुरू हुई थी योजना

    गौरतलब है कि पिछले साल 23 अक्टूबर को नवीन पटनायक सरकार ने आम ओडिशा नवीन ओडिशा कार्यक्रम शुरू किया था। इस योजना के शुरू होने के बाद यह स्पष्ट किया गया था कि प्रत्येक पंचायत को 50 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी।

    इस पैसे से स्थानीय पंचायत में सांस्कृतिक एवं पारंपरिक आधार संरचना का विकास किया जाएगा। इसमें जगन्नाथ संस्कृति का प्रचार प्रसार आदि भी शामिल था। हालांकि इसमें निर्वाचित जन प्रतिनिधि सरपंच, समिति सदस्यों की उपेक्षा की गई थी।

    सरकारी अधिकारी संपूर्ण परियोजनाओं का चयन करेंगे और उनके द्वारा स्वीकृत होने वाले ठेकेदार के जरिए यह काम कराने की बात उल्लेख की गई थी। जन प्रतिनिधियों ने इसका विरोध किया था और कानूनी मदद ली थी। कई जनप्रतिनिधि हाईकोर्ट भी गए थे। इसे लेकर पूरे राज्य से 42 मामले हाईकोर्ट में दर्ज किए गए थे।

    इसके बाद अदालत ने निर्देश दिया था कि सरपंच एवं निर्वाचित जन प्रतिनिधि की सहभागिता से परियोजनाओं का चयन किया जाए। हालांकि, परियोजना के कार्यकारिता पर हस्तक्षेप करने से कोर्ट ने मना कर दिया था। इसके साथ ही आम ओडिशा नवीन ओडिशा योजना की उस समय विपक्ष में रहने वाली भाजपा ने भी कड़ा विरोध किया था।

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