ओडिशा बना 'हाथियों का कब्रिस्तान'! दो दिन में दो गजराज की मौत से सनसनी, सूंड़ में गंभीर चोट; सालभर में 86 मरे
ओडिशा में हाथियों की लगातार हो रही मौत गंभीर चिंता का विषय बन गई है। शुक्रवार को गंजाम-कंधमाल सीमा पर बड़गढ़ गांव के पास जंगल में एक हाथी के बच्चे का शव मिलने के दूसरे दिन कटक के शंखपोई जंगल में एक और हाथी का शव मिला है।
अनुगुल/भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। कटक जिला के आठगढ़ वन क्षेत्र के अंतर्गत शंखपोई जंगल में शनिवार को एक और हाथी का शव मिलने से सनसनी फैल गई। हाथी का शव मिलने की सुचना मिलने पर फूलबानी जिला वन अधिकारी (डीएफओ) प्रशांत पटेल एक टीम के साथ मौके पर पहुंची। हाथी की उम्र करीब 20 साल बताई जा रही है। फिलहाल हाथी की मौत के कारणों का पता नहीं चल पाया है। हालांकि, इस विशालकाय जानवर के सूंड़ पर गंभीर चोट के निशान देखने को मिला है। वन विभाग की टीम ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। ओडिशा में लगातार हो रही हाथियों की मौत गंभीर चिंता का विषय बन गई है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले शुक्रवार को गंजाम-कंधमाल सीमा पर कराड़ा रेंज के अंतर्गत बड़गढ़ गांव के पास जंगल में एक अन्य हाथी का बच्चा मृत पाया गया था। जिस तरह ओडिशा में लगातार हाथियों की मौत हो रही है, उस आधार पर ओडिशा को 'हाथी का कब्रिस्तान' कहना गलत नहीं होगा ।
बता दें कि इससे पहले गंजाम-कंधमाल सीमा पर कराड़ा रेंज के अंतर्गत हाथी के पांच साल के बच्चे को पिछले कुछ दिनों से बड़गड़ गांव के पास अपनी मां के साथ घूमते हुए देखा गया था। वन विभाग के अधिकारियों ने गश्त के दौरान बछड़े को मृत पाया था।
पांच साल में 400 हाथियों की मौत से चिंता बढ़ी
सूचना के अधिकार अधिनियम के माध्यम से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, ओडिशा ने पिछले पांच वर्षों में 400 से अधिक हाथियों की मौत दर्ज की गई है। ओडिशा में 2019-20 में 82, 2020-21 में 77 और 2021-22 में 86 हाथियों की मौत हुई है।