Jharkhand Politics: रघुवर दास या बिद्युत महतो को मिल सकती है झारखंड की कमान, भाजपा के सामने तीन बड़ी चुनौतियां
भाजपा के अभी जिला एवं प्रखंड अध्यक्षों का चुनाव भी बाकी है। फिर भी शीर्ष स्तर पर वैचारिक कवायद तेज है। कुरमी समुदाय से सांसद बिद्युत बरन महतो का नाम आ रहा है जबकि ओबीसी में दावेदार तो कई हैं लेकिन रघुवर दास के सामने सबकी दावेदारी पीछे छूट रही है। बाबूलाल मरांडी दो दिनों से दिल्ली में हैं और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल रांची में हैं।
अरविंद शर्मा, जागरण, नई दिल्ली। झारखंड में बाबूलाल मरांडी के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के सारे दावेदारों ने लगभग किनारा पकड़ लिया है। सिर्फ दो दावेदार मैदान में रह गए हैं। कुरमी या ओबीसी के ही किसी प्रखर नेता के पक्ष में लॉटरी लग सकती है।
प्रखंड अध्यक्षों का चुनाव भी बाकी
हालांकि, प्रक्रिया के तहत अभी जिला एवं प्रखंड अध्यक्षों का चुनाव भी बाकी है। फिर भी शीर्ष स्तर पर वैचारिक कवायद तेज है। कुरमी समुदाय से सांसद बिद्युत बरन महतो का नाम आ रहा है, जबकि ओबीसी में दावेदार तो कई हैं, लेकिन रघुवर दास के सामने सबकी दावेदारी पीछे छूट रही है।
बाबूलाल मरांडी दो दिनों से दिल्ली में हैं और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल रांची में हैं। इसी दौरान अर्जुन मुंडा को दिल्ली दरबार से बुलाया जाना बता रहा है कि झारखंड में भाजपा देर करने के पक्ष में नहीं है। बाहरी हस्तक्षेप एवं संगठनात्मक अव्यवस्था के चलते विधानसभा चुनाव में प्रदेश में भाजपा की अभी तक की सबसे बड़ी हार के बाद संगठन को फिर से खड़ा करने की जल्दी दिख रही है।
चुनाव के बाद भाजपा के सामने तीन बड़ी चुनौतियां
ऐसे में माना जा रहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले झारखंड का नेतृत्व तय कर लिया जाएगा। चुनाव के बाद भाजपा के सामने तीन बड़ी चुनौतियां हैं। पार्टी की सियासत में झारखंड की पहचान आदिवासी स्टेट के रूप में बनाए रखना, राज्य की दूसरी बड़ी आबादी वाले कुरमी समुदाय को साधना और ओबीसी के साथ सामान्य वर्ग को भी जोड़कर रखना।
विधानसभा में बाबूलाल को विपक्ष का नेता बनाकर भाजपा ने पहली चुनौती को अनुकूल बना लिया है। विपरीत परिस्थितियों में अर्जुन मुंडा के धैर्य, पराक्रम एवं उपयोगिता को भी भाजपा नजरअंदाज करने के पक्ष में नहीं है। देश की लगभग 12 करोड़ से अधिक आदिवासी आबादी के बीच पार्टी की पैठ को बचाने-बनाने और मजबूत करने के लिए उन्हें राष्ट्रीय टीम में बड़ी भूमिका दी जा सकती है।
भाजपा की दूसरी एवं तीसरी चुनौती अभी भी बरकरार
भाजपा की दूसरी एवं तीसरी चुनौती अभी भी बरकरार है। विधानसभा चुनाव में निर्दलीय जयराम महतो ने भाजपा को बड़ा नुकसान किया है। लगभग डेढ़ दर्जन सीटों पर भाजपा को जयराम महतो के कारण हार का सामना करना पड़ा है। पहले भाजपा के पास भी रामटहल चौधरी और शैलेंद्र महतो जैसे प्रभावशाली कुरमी नेता हुआ करते थे।
बाद में भाजपा कुरमी नेतृत्व के लिए आजसू के सुदेश महतो पर निर्भर होती चली गई। अब जयराम के सामने सुदेश का प्रभाव कुरमी समुदाय में सिमट गया है। ऐसे में बिद्युत बरन महतो के हाथ में कमान सौंपकर जयराम के बढ़ते असर को थामने पर विचार किया जा रहा है।
झारखंड में ओबीसी में सबसे बड़ा नाम पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का
ओबीसी में सबसे बड़ा नाम पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का है। संगठन क्षमता और कार्यकर्ताओं में जोश जगाने के लिए जाने जाते हैं। वैसे तो इस वर्ग से आदित्य साहू, मनीष जायसवाल और बिरंची नारायण की दावेदारी भी बड़ी है, लेकिन रघुवर दास का नाम आते ही सब पीछे छूट जाते हैं। इतना तय है कि अगर रघुवर दास के हाथ में झारखंड भाजपा की कमान आती है तो बिद्युत बरन को राष्ट्रीय टीम में सम्मानजनक ओहदा दिया जाएगा।
राष्ट्रीय टीम में रघुवर की हनक होगी
इसी तरह अगर बिद्युत बरन का भाग्य चमका तो राष्ट्रीय टीम में रघुवर की हनक होगी, क्योंकि भाजपा की रणनीति झारखंड में अपने खोये आधार को प्राप्त करने के साथ ही वर्तमान हैसियत को भी बचाए रखने की है। इस प्रयास में सामान्य वर्ग के भी किसी वरिष्ठ नेता को समायोजित किया जा सकता है।
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