गुजरात कांग्रेस में होगा बड़ा बदलाव, विधानसभा चुनाव से पहले शुरू हो सकती है नई परंपरा; राहुल गांधी ने दिए थे संकेत
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुजरात दौरे के दौरान पार्टी के आंतरिक नेताओं पर नाराजगी जताई और संकेत दिए कि पार्टी में अनुशासनहीनता सहन नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि गुजरात कांग्रेस में दो प्रकार के नेता हैं एक जो जनता के साथ खड़े हैं और दूसरे जो भाजपा से मिले हुए हैं। राहुल ने स्पष्ट किया कि अब ऐसे नेताओं की आवश्यकता नहीं है जो गैर-जिम्मेदाराना रवैया रखते हैं।

शत्रुघ्न शर्मा, अहमदाबाद। गुजरात में होने वाले कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पार्टी की कई परंपराओं में बदलाव के मूड में है। कांग्रेस में अक्सर चलता है और गैरजिम्मेदाराना रवैया रखने वाले नेताओं को झेलते रहने की एक परंपरा सी बन गई थी लेकिन राहुल ने अहमदाबाद के पिछले दौरे में दो टूक कह दिया था कि ऐसे नेताओं की अब पार्टी को कोई जरुरत नहीं है। राहुल ने यहां तक माना कि यहां की कांग्रेस में दो धड़े हैं और उनमें से एक भाजपा से मिला है जबकि दूसरा धड़ा पार्टी व जनता के लिए समर्पित होकर काम करता है।
गुजरात कांग्रेस आगामी 8 और 9 अप्रेल को होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन की तैयारी के लिए कई दर्जन समितियों का गठन किया है, उधर राहुल गांधी ने अधिवेशन से पहले कांग्रेस के ही ओल्ड गार्ड को संदेश देने के लिए नई दिल्ली में देश के करीब सात सौ जिला स्तरीय नेताओं को बुलाकर एक सम्मेलन किया। उनकी मंशा पार्टी को कार्यकर्ताओं से चलाने की लग रही है चूंकि अब तक कांग्रेस के जमे हुए नेता हर हाल में अपनी कुसी पक्की माना करते थे और यही कारण था कि प्रदेश के कुछ गिने चुने नेताओं के ईर्द गिर्द ही प्रदेश कांग्रेस चला करती थी।
राहुल गांधी का नेताओं को मैसेज
लोकसभा चुनाव में उत्तर गुजरात की महिला नेता गेनीबेन ठाकोर ने बनासकांठा लोकसभा सीट से जीत दर्ज कर कांग्रेस के लिए उम्मीद की खिडकी खोल दी। यहीं कारण रहा कि राहुल ने संसद में चर्चा के दौरान भाजपा को चुनौती देते हुए कहा था कि अगली बार कांग्रेस गुजरात में भाजपा को हराऐगी। हालांकि खुद कांग्रेस नेताओं का मानना है कि गुजरात में भाजपा से मुकाबला आसान नहीं है, हराना तो दूर की बात है। उधर राहुल ने प्रदेश स्तरीय नेताओं के बजाए जिलास्तरीय नेताओं, मंडल स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ सीधे संवाद कर पार्टी के बडे नेताओं को जता दिया है कि पार्टी चलाने के लिए नेताओं से अधिक जरुरत कार्यकर्ताओं की है अगर वे कुछ नहीं कर पाते हैं तो पार्टी की कमान को थामे रखने के लिए वे कतई उपयुक्त नहीं हैं।
कई कांग्रेसी ने थाम लिया था बीजेपी का दामन
वर्ष 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने आंदोलनकारी युवा नेता हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर व जिग्नेश मेवाणी समेत एक दर्जन युवा तुर्कों को मैदान में उतारकर भाजपा नेताओं को पसीना ला दिया था। हालांकि अब पार्टी में केवल जिग्नेश मेवाणी ही बचे हैं बाकी नेता भाजपा में शामिल हो गये लेकिन राहुल ऐसे और नेता पार्टी में तैयार करने की जरुरत महसूस कर रहे हैं इसीलिए पार्टी छोडने वाले बड़े नेताओं को लेकर उन्होंने कभी चिंता तक नहीं जताई।
अगले माह की शुरुआत में देखना होगा कि कांग्रेस में कितना बदलाव आता है चूंकि गुजरात में यह रणनीति सफल रही तो देश के अन्य प्रांतों में भी कांग्रेस इसी फार्मूले से आगे बढ सकती है। और वैसे भी कांग्रेस के पास हिमाचल, तेलंगाना, राजस्थान जैसे राज्यों को छोडकर बाकी में खोने के लिए कुछ बचा नहीं है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।