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    जानें- क्यों योगी की PM मोदी ने की तारीफ, माया-मुलायम से भी जुड़ा है मामला

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Thu, 28 Dec 2017 07:16 AM (IST)

    वीपी सिंह, मायावती, मुलायम सिंह, नारायण दत्त तिवारी समेत कई नेता नोएडा के मिथक का शिकार हो चुके हैं।

    जानें- क्यों योगी की PM मोदी ने की तारीफ, माया-मुलायम से भी जुड़ा है मामला

    नई दिल्ली (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को नोएडा पहुंचकर इस मिथक को तोड़ने का प्रयास किया कि प्रदेश का जो सीएम नोएडा आता है उसका पद चला जाता है। इस बाबत जब उनसे पूछा गया तो आदित्यनाथ ने कहा कि वह नोएडा आते रहेंगे। वहीं, सीएम योगी के इस साहसिक कदम की पीएम मोदी ने भी तारीफ की। 

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    मोदी ने सीएम योगी के शनिवार को नोएडा आगमन पर कहा कि इस शहर की छवि थी कि कोई तत्कालीन मुख्यमंत्री नोएडा नहीं आता है और जो आता है उसकी कुर्सी चली जाती है। अब योगी जी ने साहस दिखाते हुए सारे मिथक थोड़े हैं।

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    उन्होंने विरोधियों को घेरते हुए कहा कि मान्यताओं में कैद कोई भी समाज प्रगति नहीं कर सकता है। हम विज्ञान के युग मे जी रहे हैं। अंधश्रद्धा में जीने वाले लोग अहित करते हैं। 

    दरअसल, यूपी में करीब 30 सालों से एक अंधविश्वास मुख्यमंत्रियों को लेकर हावी था कि जो भी नोएडा है उसकी कुर्सी चली जाती है।

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    जानें कौन-कौन हुआ इस मिथक का शिकार

    विश्वनाथ प्रताप सिंह

    1982 में तत्कालीन यूपी के सीएम विश्वनाथ प्रताप सिंह नोएडा में वीवी गिरी श्रम संस्थान का उद्घाटन करने आए थे. उसके बाद वह मुख्यमंत्री पद से हट गए। हालांकि, यह अलग बात है कि वे बाद में देश के प्रधानमंत्री भी बने।

    वीर बहादुर सिंह

    बात 1988 की है। इस साल यूपी के मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह फिल्म सिटी स्थित एक स्टूडियो में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने आए। वहां से उन्होंने कालिंदी कुंज पार्क का भी उद्घाटन किया था। कुछ माह बाद ही उन्हें झटका लगा। वह मुख्यमंत्री पद से हट गए।

    नारायण दत्त तिवारी

    वीर बहादुर सिंह के बाद नारायण दत्त तिवारी यूपी के मुख्यमंत्री बने। वह भी नोएडा के सेक्टर 12 स्थित नेहरू पार्क का उद्घाटन करने वर्ष 1989 में आए थे। उसके कुछ समय बाद उऩकी भी मुख्यमंत्री पद सकी कुर्सी जाती रही। 

    मुलायम सिंह यादव

    वर्ष 1994 में नोएडा के सेक्टर 40 स्थित खेतान पब्लिक स्कूल का उद्घाटन करने तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव आए थे। हैरानी की बात है कि मुलायम सिंह यादव ने मंच से कहा भी था कि मैं इस मिथक को तोड़ कर जाऊंगा कि जो मुख्यमंत्री नोएडा आता है उसकी कुर्सी चली जाती है। उसका कथन उल्टा साबित हुआ और उसके कुछ माह बाद ही वह मुख्यमंत्री पद से हट गए। इसका असर भी रहा और इसके बाद 6 सालों तक कोई नोएडा आया ही नहीं।

    मायावती 

    मुलायम के बाद नोएडा का मिथक तोड़ने का साहस मायावती ने जरूर दिखाया। यह अलग बात है कि वह मुख्यमंत्री रहने के दौरान चार बार नोएडा गईं और हर बार उन्हें कुर्सी गंवानी पड़ी। इसी कड़ी में 2011 में भी मायावती नोएडा आईं थी, लेकिन 2012 के चुनाव में उनकी सत्ता छिन गई। 

    अखिलेश यादव

    मुलायम सिंह और मायावती की तुलना में अखिलेश यादव ने साहस जुटाना तो दूर उन्होंने बतौर सीएम नोएडा की योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन लखनऊ से किया। हद तो तब हो गई जब राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के नोएडा जाने पर उनकी अगवानी के लिए खुद न जाकर उन्होंने मंत्री भेजे।