अमेरिकी विदेश नीति को तेल की धार देंगे डोनाल्ड ट्रंप
जानकारों का मानना है कि उनके चुनाव से ट्रंप ने तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक को यह संकेत देने की कोशिश की है कि तेल कारोबार अमेरिकी विदेश नीति की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।
वाशिंगटन, प्रेट्र/रायटर। 20 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ लेने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप ने रेक्स टिलरसन को विदेश मंत्री के तौर पर चुना है। एक्सॉनमोबिल के सीईओ टिलरसन के रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से काफी करीबी संबंध हैं। जानकारों का मानना है कि उनके चुनाव से ट्रंप ने तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक को यह संकेत देने की कोशिश की है कि तेल कारोबार अमेरिकी विदेश नीति की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।
सबसे पहले द वॉल स्ट्रीट जनरल और द वाशिंगटन पोस्ट ने ट्रंप के सत्ता हस्तांतरण दल के एक अधिकारी के हवाले से टिलरसन के चयन की जानकारी दी। बाद में सत्ता हस्तांतरण दल ने औपचारिक रूप से बयान जारी कर इसकी पुष्टि की। शुरुआत में पुतिन के साथ संबंधों के कारण टिलरसन के चयन को लेकर आशंकाएं व्यक्त की जा रही थी। लेकिन, मैसाचुसेट्स के पूर्व गवर्नर मिट रोमनी ने दौड़ से हटने का एलान कर उनका रास्ता आसान कर दिया। रोमनी के अलावा सीनेट की विदेश मामलों की समिति के प्रमुख बॉब कार्कर, सीआइए के पूर्व महानिदेशक डेविड पेट्रॉयस और न्यूयॉर्क के पूर्व मेयर रुडी गुलियानी भी विदेश मंत्री बनने की दौड़ में थे।
पिछले हफ्ते ट्रंप ने टिलरसन की प्रशंसा करते हुए उन्हें एक विश्वस्तरीय हस्ती बताया था। लेकिन, उनके नाम की सीनेट से पुष्टि करवाने में ट्रंप को मुश्किल हो सकती है। टिलरसन के नाम का डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी के कई सीनेटर खुलकर विरोध कर चुके हैं। गौरतलब है कि अमेरिका में मंत्री पद की प्रत्येक नियुक्ति पर सीनेट की मुहर जरूरी है। इसके अलावा ट्रंप ने टेक्सास के पूर्व गवर्नर रिक पेरी को ऊर्जा मंत्री के तौर पर मनोनीत किया है।
कौन हैं टिलरसन?
64 वर्षीय टिलरसन सीनेट की मंजूरी मिलने के बाद जॉन केरी की जगह लेंगे। वे 2006 से टेक्सास की तेल कंपनी एक्सॉनमोबिल के सीईओ हैं। 50 देशों में इस कंपनी का कारोबार है। 2013 में रूस ने उन्हें ऑर्डर ऑफ फ्रेंडशिप से सम्मानित किया था।
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