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    ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भारत और रूस द्वीपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर देगें जोर

    By Atul GuptaEdited By:
    Updated: Tue, 11 Oct 2016 09:41 PM (IST)

    रूस के साथ रिश्तों से जुड़े भारतीय विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि शनिवार को गोवा में मोदी-पुतिन बैठक के दौरान रक्षा, व्यापार सहित कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे।

    नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। गोवा में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भारत व रूस के बीच शिखर वार्ता बहुत हद तक दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों की दशा व दिशा तय करेगी। भारत के दो प्रतिद्वंदी देश चीन और पाकिस्तान के साथ रूस के प्रगाढ़ होते रिश्ते और मॉस्को के सबसे बड़े विरोधी अमेरिका से भारत की बढ़ती दोस्ती के मद्देनजर इस शिखर वार्ता की अहमियत बढ़ जाती है। जानकारों के मुताबिक, पीएम नरेंद्र मोदी व राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन दोनो का निर्देश है कि द्विपक्षीय रिश्तों में हर कीमत पर नई गर्माहट भरी जानी चाहिए। रूस ने भारत को यह संदेश साफ तौर पर भिजवाया है कि वह एशिया व प्रशांत क्षेत्र में शांति के लिए भारत का करीबी सहयोग चाहता है। भारत यात्रा के दौरान पुतिन 14 से 17 अक्टूबर तक गोवा में रहेंगे। शनिवार को उनकी प्रधानमंत्री मोदी के साथ शिखर वार्ता है। रविवार को वह ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेंगे।

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    रूस के साथ रिश्तों से जुड़े भारतीय विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि शनिवार को गोवा में मोदी-पुतिन बैठक के दौरान रक्षा, व्यापार सहित कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे। इसमें कई अरब बिलयन डॉलर के सैन्य समझौते भी शामिल हैं। इन सैन्य समझौते को लेकर पिछले कई वर्षो से वार्ता हो रही थी। भारतीय सैन्य साजों समान की अभी भी 70 फीसद आपूर्ति रूस से होती है। लेकिन पिछले कुछ वर्षो से भारत ने हथियार व अन्य सैन्य साजों समान रूस से खरीदना कम कर दिया है। इसे भारत और रूस के बीच रिश्तों की गर्माहट खोने की एक अहम वजह माना जाता है। लेकिन भारत इसकी भरपाई करने को तैयार है। आगामी बैठक में एयर डिफेंस मिसाइल एस-400 खरीदने पर चल रही बातचीत के समझौते में बदलने के पूरे आसार हैं। साथ ही दोनो नेताओं के बीच कामोव 226 हेलीकॉप्टर खरीदने की राह की हर अड़चन को दूर करने के लिए भी उठाए जाएंगे। भारत और रूस के बीच इस श्रेणी के 200 हेलीकॉप्टर खरीदने का समझौता पहले ही हो चुका है।

    उक्त अधिकारी के अनुसार, रूस के लिए भारत की आगामी रणनीति पूरी तरह से सैन्य साजों समान की खरीद पर ही निर्भर नहीं रहेगी। बल्कि हम ऊर्जा, कृषि व व्यापारिक रिश्तों को भी ज्यादा तवज्जो देना चाहते हैं। आज भी दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार महज 10 अरब डॉलर का है। इसे 30 अरब डॉलर करने के लिए रणनीति बनाई गई है। इस पर शिखर बैठक में भी चर्चा होगी। इसके अलावा रूस से भारत तक गैस पाइपलाइन बिछाने की योजना को आगे बढ़ाने का प्रारूप भी तय किया जाएगा। दिसंबर, 2015 में मोदी-पुतिन शिखर वार्ता के दौरान भी गैस पाइपलाइन परियोजना पर बातचीत हुई थी।

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