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Tiger Attack in Corbett: जोशीमठ के आदमखोर तेंदुए की तरह रामनगर में हमला कर रहा बाघ

वन्यजीव विशेष व शिकारी लखपत सिंह रावत ने आशंका जताई कि बाघ को शिकार के नए तरीके में दिलचस्पी आ गई तो आने वाले समय में खतरनाक साबित होने वाला है। 2011 में जोशीमठ में गुलदार ने इसी तरह पुल किनारे छिपने के बाद चार लोगों की जान ली थी।

By Prashant MishraEdited By: Published: Mon, 18 Jul 2022 09:37 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jul 2022 09:37 PM (IST)
वन विभाग को लोगों की सुरक्षा और बाघों के बदलते व्यवहार को लेकर योजना बनाने की जरूरत है।

गोविंद बिष्ट, हल्द्वानी: मोहान में शनिवार रात बाइक से जा रहे अमरोहा के युवक को बाघ ने अपना शिकार बनाया था। पिछले महीने भी बाइक सवारों संग दो बार ऐसी घटना हुई। जिसमें एक की मौत हो गई। जबकि दूसरा गंभीर घायल हो गया।

जून की दोनों घटना कार्बेट पार्क की थी। जबकि अमरोहा के युवक पर जिस हाईवे पर हमला हुआ। वह रामनगर डिवीजन का हिस्सा है। कार्बेट और रामनगर डिवीजन आपस में मिलती है। वन्यजीव विशेषज्ञ व 55 आमदखोर बाघ-गुलदार को ढेर करने वाले शिकारी लखपत सिंह रावत के मुताबिक बाइक सवार या सड़क से गुजरने वाले लोगों पर बाघ का हमला करना चौकाने वाली बात है।

ऐसी आशंका भी है कि बाघ को शिकार के इस नए अनुभव में दिलचस्पी आने लग जाए, जो आगे और खतरनाक साबित हो सकता है। 2011 में जोशीमठ में गुलदार ने इसी तरह हमले किए थे। पुल किनारे एक पत्थर पर छिपने के बाद उसने चार लोगों की जान ली थी।

15 जून को कार्बेट के सर्पदुली क्षेत्र में बाइक सवार ठेकेदार के श्रमिक की मौत होने के बाद 17 जून को बाइक सवार बीट वाचर पर भी हमला हुआ था। दो घटनाओं के बाद रेस्क्यू के लिए पहुंची टीम पर तब एक बाघिन ने कई बार हमले की कोशिश की थी। जिसके बाद उसे ट्रैंकुलाइज किया गया था।

वहीं, शनिवार को मोहान में मुख्य सड़क से गुजर रहे अमरोहा निवासी अफसारूल को बाघ चलती बाइक से खींच ले गया। बाघों के व्यवहार को लेकर अगर कार्बेट की बात करें तो रोजाना सैकड़ों सैलानी खुली जिप्सी से बाघ के दीदार को यहां आते हैं। अक्सर इन्हें बाघ व अन्य वन्जजीव नजर भी आते हैं।

खतरे की संभावना यहां भी कम नहीं। लेकिन कभी जिप्सी सवारों को नुकसान नहीं पहुंचा। लेकिन पिछले एक महीने के भीतर कार्बेट व आसपास बाइक सवारों पर तीन हमले हुए। जिसमें दो की जान भी चली गई। ऐसे में वन विभाग को लोगों की सुरक्षा और बाघों के बदलते व्यवहार को लेकर योजना बनाने की जरूरत है।

क्योंकि, जंगल में हिरण, चीतल व अन्य जानवरों की तुलना में आबादी किनारे पहुंच इंसानों को शिकार बनाना बाघ के लिए ज्यादा आसान है।

पुल से जान लेने वाले गुलदार को लखपत ने मारा था

2011 में जोशीमठ में विष्णुप्रयाग पुल से गुजरने वाले चार लोगों की अलग-अलग घटनाओं में जान गई थी। शिकारी लखपत सिंह रावत के मुताबिक गुलदार को मारने के आदेश मिलने पर जब वह मौके पर पहुंचे तो पुल के पास एक पत्थर की आड़ लेकर गुलदार अपने शिकार का इंतजार करता था।

जिसके बाद रात में वह जिप्सी से पुल पर पहुंचे। गुलदार पत्थर की आड़ में था। बंदूक के पहले निशाने में ही लखपत ने आदमखोर को ढेर कर दिया था।

बाघ-बाघिन आसान शिकार तलाश रहे

रामनगर डिवीजन की फतेहपुर रेंज हल्द्वानी के कठघरिया से लेकर रानीबाग तक फैली है। 29 दिसंबर से 16 जून तक रेंज के जंगल में सात लोगों की बाघ और बाघिन के हमले में जान जा चुकी है। रेस्क्यू अभियान चला एक बाघ को ट्रैंकुलाइज कर लिया गया था। जबकि बाघिन की तलाश जारी है।

फरवरी से चल रहे अभियान में कई बार यह बात सामने आ चुकी है कि जंगल में जिन जगहों पर इन लोगों को मौत के घाट उतारा गया था। बाघ और बाघिन का मूवमेंट यहां लगातार बना हुआ है। लिहाजा, जंगल के अंदर लोगों की एंट्री बैन करने के लिए आबादी की सीमा पर वनकर्मियों को तैनात किया गया है।

वहीं, रामनगर में कार्बेट के आसपास के गांवों में भी बाघ का मूवमेंट लगातार बढ़ रहा है। कोसी बैराज पर तो वह कई बार दिख चुका है।

वन्यजीव विशेषज्ञ लखपत सिंह रावत ने बताया कि  बाघ आमतौर पर ऐसा नहीं करता। जबकि गुलदार संग ऐसे किस्से पहले भी जुड़े हैं। जोशीमठ में गुलदार ऐसा कर भी चुका है। वहीं, रामनगर की घटनाओं को लेकर इस बात की भी आशंका है कि शिकार के इस नए तरीके में बाघ की दिलचस्पी कहीं बढ़ न जाए।

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