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    अब 12 साल से कम की बच्चियों से दुष्‍कर्म पर फांसी, पीडि़ताओं ने कहा- वेल डन PM मोदी

    By Amit AlokEdited By:
    Updated: Mon, 23 Apr 2018 10:02 PM (IST)

    अब 12 साल से कम की बच्चियों से दुष्‍कर्म पर फांसी की सजा मिलगी। बिहार के आम लोगों ने इस फैसले का स्‍वागत किया है। कुछ दुष्‍कर्म पीडि़तों ने इसके लिए पीएम मोदी को धन्‍यवाद दिया।

    अब 12 साल से कम की बच्चियों से दुष्‍कर्म पर फांसी, पीडि़ताओं ने कहा- वेल डन PM मोदी

    style="text-align: justify;">पटना [अमित आलोक]। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म पर फांसी की सजा को मंजूरी दे दी है। इसके पहले शनिवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में पीएम मोदी सरकार ने बच्चों को यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम (पॉक्‍सो एक्‍ट) में संशोधन कर आरोपी को फांसी की सजा पर मुहर लगा दी थी। बिहार में इस फैसले का स्‍वागत किया जा रहा है। भाजपा सांसद डॉ. सीपी ठाकुर ने भी इस अध्‍यादेश को ऐतिहासिक बताया है।
    पॉक्‍सो एक्‍ट में हुए अहम बदलाव पर हमने बिहार में आम लोगों से बात की। इनमें कुछ ऐसी युवतियां भी शामिल हैं, जिसके साथ दुष्‍कर्म हुआ है। सबों ने इसे देर से ही सही, सही कदम बताया। लोगाें ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार को धन्‍यवाद दिया। हालांकि, अपराधी को सजा मिलने को लेकर उनकी आशंकाएं भी साफ दिखीं।
    दुष्‍कर्म पीडि़तों ने कही ये बातें
    पूर्वी चंपारण की एक दुष्‍कर्म पीडि़त युवती ने कानून में संशोधन को सराहनीय बताया। लेकिन, यह भी कहा कि दुष्‍कर्म के बाद ऐसे मामलेे कानून की चौखट पर दम तोड़ते नजर आते हैं। बड़ा सवाल दोष के साबित होने का है। इसके लिए सिसटम को भी इमानदार बनाने की जरूरत है। पटना में अपने एक रिश्‍तेदार के हाथों दुष्‍कर्म की शिकार एक लड़की ने सवाल किया कि यह कानून कब से प्रभावी है? सवाल के पीछे की जिज्ञासा साफ थी- क्‍या उसके दोषी को भी फांसी मिलेगी?
    आम लोगों ने भी किया स्‍वागत
    कानून में संशोधन का बिहार के लोगाें, खासकर महिलाओं व लड़कियों ने स्‍वागत किया। पटना के नोट्रेडेम एकेडमी की छात्रा खुशी व रश्मि तथा सेंट माइकेल हाइस्‍कूल की सोनी ने कहा कि दुष्‍कर्म के दोषियों को फांसी की सजा का प्रावधान समय की मांग है। आए दिन ऐसी घटनाएं हो रही हैं।
    मुजफ्फरपुर की नीति सिंह गृहिणी हैं। कहती हैं, अब तो अपनी बेटी को बाहर भेजने में डर लगता है। ऐसे कानून से शायद डर पैदा हो। उम्‍मीद है कि इस डर के कारण अपराध में कमी आएगी। लेकिन, मोतिहारी के कौशल किशोर नहीं मानते कि कानून का डर अपराध की रोकथाम में कारगर होगा। वे इसके लिए मानसिकता में बदलाव की बात करते हैं। कहते हैं कि कानून अपनी जगह है, स्‍कूलों में प्रारंभिक कक्षाओं से ही नैतिक शिक्षा पर बल दिया जाना चाहिए। मानसिकता में बदलाव जरूरी है। इससे आने वाली पीढि़यों में बदलाव दिखेगा।
    सीपी ठाकुर ने बताया सरकार का ऐतिहासिक कदम
    पॉक्‍सो एक्‍ट में बदलाव पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री सीपी डॉ. सीपी ठाकुर ने कहा कि इस तरह का कदम समय की मांग है। डाॅ. ठाकुर ने कहा कि यह कदम महिला सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में नरेन्द्र मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को दिखाता है।
    यह है मामला
    विदित हो कि सुप्रीम कोर्ट में वकील अलख आलोक श्रीवास्तव की एक जनहित याचिका लंबित है जिसमें छोटे बच्चों के साथ दुष्कर्म के मामलेों के लिए कानून को कड़ा करने की मांग की गई है। कोर्ट ने इस याचिका पर सरकार से जवाब मांगा था। सरकार की ओर से शुक्रवार को एडीशनल सालिसिटर जनरल के जरिये एक नोट पेश कर बताया गया कि सरकार पोक्‍सो कानून में संशोधन कर 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से दुष्कर्म के दोषी के लिए मृत्युदंड का प्रावधान करने पर विचार कर रही है। इसके बाद शनिवार को केंद्रीय कैबिनेट ने यह महत्‍वपूर्ण फैसला किया, जिसे राष्‍अ्रपति ने भी मंजूरी दे दी है।
    पॉक्सो एक्ट में हुआ ये बदलाव
    कानून में बदलाव के बाद 12 साल तक बच्ची के साथ दुष्कर्म के दोषी को मौत की सजा होगी। पॉक्सो के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, दोषियों के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है और न्‍यूनतम सात साल की जेल है। 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार इस कानून के दायरे में आता है। इसके तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गयी। यह कानून लड़के और लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है।
    नए कानून पर डालते हैं एक नजर
    नए कानून के मुताबिक, नाबालिगों से दुष्कर्म के मामलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने की व्यवस्था की जाएगी। फॉरेंसिक जांच के जरिए सबूतों को जुटाने की व्यवस्था को और मजबूत करने की व्यवस्था भी की जाएगी। साथ ही दो महीने में ट्रायल पूरा करना होगा, अपील दायर होने पर 6 माह में निपटारा करना होगा। नाबालिग के साथ दुष्कर्म के केस को कुल 10 महीने में खत्म करना होगा।
    अध्यादेश की मुख्य बातें
    - दुष्कर्म के मामलों में न्यूनतम सात साल के सश्रम कारावास को बढ़ाकर 10 वर्ष किया, अधिकतम इसे आजीवन भी किया जा सकेगा।
    - 16 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ दुष्कर्म के दोषियों को न्यूनतम 20 साल की सजा।
    - 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म करने वालों को मृत्युदंड।
    - दो माह में पूरी करनी होगी दुष्कर्म कांड की जांच, दो माह में पूरा करना होगा ट्रायल।
    - 16 साल से कम उम्र की लड़कियों से दुष्कर्म के आरोपी को नहीं मिलेगी अग्रिम जमानत।

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