Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Heatwave: गर्मी में लू और डिहाइड्रेशन से बचने के लिए रखें अपना पूरा ध्यान; डॉक्टर से जानिए क्या करें और क्या न करें?

    Heatwave Precautions गर्मी में लू और डिहाइड्रेशन से बचने के लिए फोर्टिस नोएडा के डॉक्टर ने जरूरी सुझाव दिए हैं। शरीर को हाइड्रेटेड रखें सूती कपड़े पहनें और धूप में सीधे जाने से बचें। पानी जूस और नींबू पानी का सेवन करें। बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें। लू के लक्षण दिखने पर तुरंत सतर्क रहें और डॉक्टर से सलाह लें।

    By Pravendra Singh Sikarwar Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Thu, 15 May 2025 01:00 PM (IST)
    Hero Image
    तेज धूप से बचने के लिए सिर ढक कर गुजरती युवतियां। फाइल फोटो- जागरण

    जागरण संवाददाता, नोएडा। तपती-जलती गर्मी के मौसम में हमारा शरीर तेजी के साथ डिहाइड्रेशन का शिकार होता है। वहीं लू और हीट वेव कई बार जानलेवा साबित हो जाते हैं। ऐसे में अपनी दिनचर्या, पहनावा और खानपान में थोड़ा सा बदलाव कर हम इससे सहजता से बच सकते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गर्मी के मौसम में गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों के साथ ही फील्ड वर्क करने वाले लोगों को भी विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। वहीं बच्चे जो बाहर खेलते हैं, उनकी सेहत को लेकर पैरेंट्स को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है।

    लू और हीट वेव के जोखिमों से तभी हम सुरक्षित रह सकते हैं, जब हम पूर्ण सतर्क रहें। इस बार हैलो जागरण कार्यक्रम में लू, हीट स्ट्रोक व डिहाइड्रेशन से संबंधित सवालों का जवाब फोर्टिस नोएडा-62 के इंटरनल मेडिसिन के सीनियर डायरेक्टर डॉ. अजय अग्रवाल ने दिए और लोगों को जागरूक किया।

    मेरा फिल्ड जॉब है। मुझे दिनभर धूप में ही रहना पड़ता है। बाइक चलानी पड़ती है। लू और हीट वेव से बचने के लिए मैं क्या करूं?  - रूपेश रस्तोगी, नोएडा-145

    सबसे पहले तो आप अपने साथ हमेशा पानी की बोतल रखें। पानी गर्म न हो इसके लिए अच्छी गुणवत्ता वाली बोतल रखें या सामान्य बोतल है तो उसे कपड़े आदि से लपेट कर रखें। ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। इस मौसम में सूती वस्त्र और ढीले कपड़े ही सिर्फ पहनें। चेहरे को कपड़े से ढककर रखें।

    शरीर को सीधे धूप के संपर्क में न आने दें। लगातार धूप में न रहें। लू बह रही हो तो अपना ज्यादा ख्याल रखें। सन ग्लासेस का यूज कर सकते हैं। समय-समय पर जूस, शिकंजी और शरबत आदि पीते रहें। लगातार व लंबे वक्त तक धूप से बचें और छाए में आराम करते रहें।

    मैं एनजीओ में काम करती हूं। मुझे अक्सर फील्ड में ही रहना होता है। कई बार धूप लगने से चक्कर आने लगते हैं। मैं क्या करूं?  - संगीता, सेक्टर-22

    पानी, जूस, शरबत, शिकंजी आदि का सेवन करते रहें। सलाद और गर्मी के मौसम में आने वाले फल जैसे तरबूज, खीरा-ककड़ी आदि का सेवन करें। पानी अधिक से अधिक पीएं। चेहरे को चुनरी व सूती कपड़े से ढकी रहें। तनाव से बचें। नमक, नींबू, पानी का घोल लेते रहें।

    मेरा बेटा दिनभर ग्राउंड में खेलता रहता है। कई बार उसे लूज मोशन की शिकायत हो जाती है। इसके लिए मैं क्या करूं?- सबा, हरौला, सेक्टर 5

    धूप से बचाने के लिए आप विशेष क्रीम का प्रयोग कर सकती हैं। ऐसे दोपहर में बच्चों को ग्राउंड में खेलने से रोकना ही बेहतर विकल्प होता है। सुबह व शाम को खेलने के लिए बच्चों को पार्क में भेजना चाहिए। इसके अलावा पानी, जूस, छाछ, लस्सी व शिकंजी आदि उसे पिलाते रहें। सत्तू का सेवन इस मौसम में सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है।

    मेरे पिता जी की उम्र 75 साल है। उनको किडनी की समस्या है। उन्हें हम गर्मी के मौसम में कितना पानी दे सकते हैं? - रमेश, सेक्टर-75

    किडनी के मरीज या जिनकी डायलिसिस चल रही हो या फिर हृदय रोगियों को अपने डॉक्टर के बताए अनुसार ही लिक्विड या पानी का सेवन करना चाहिए। डिहाइड्रेशन से बचने के लिए ऐसे मरीजों को घर के या अपने आसपास के तापमान का भी खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। कपड़े ढीले व सूती पहने तो ज्यादा अच्छा होता है। यदि लू या डिहाइड्रेशन के लक्षण मरीज में दिखते हैं तो तत्काल डाक्टर से संपर्क करने की जरूरत है।

    मैं मार्केटिंग में जॉब करता हूं और अल्कोहल का सेवन करता हूं। मेरा मुंह अक्सर सूखा-सूखा सा रहता है। क्या ये लू के लक्षण हैं?  - कमलेश पांडेय, सेक्टर-62

    अल्कोहल का सेवन हर मायने में शरीर के लिए नुकसानदेह ही होता है। इसके सेवन से आपके शरीर को डिहाइड्रेशन का शिकार होने की संभावना अधिक होती है। कई बार अल्कोहल के सेवन के बाद आपको प्यास का एहसास ही नहीं होता और आप अन्य परेशानी के चपेटे में आ जाते हैं। ऐसे में अल्कोहल और स्मोकिंग से बिल्कुल दूर रहना ही उचित है।

    धूप, गर्मी और लू के कारण इस मौसम में घर से बाहर निकलने का मन नहीं करता। मैं जब भी काम से बाहर निकलती हूं काफी थकी और कमजोर महसूस करती हूं। मुझे उचित सलाह दें? - परविंदर, सेक्टर-80

    आजकल काफी लोग दिनभर एसी में रहने की आदत के शिकार हो गए हैं। कई घरों में एसी का तापमान हर वक्त 16 डिग्री देखने को मिलता है। ऐसे में यदि कभी किसी काम से बाहर जाने की नौबत आती है तो शरीर को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है।

    ऐसे में सबसे पहले तो घर में एसी का तापमान 25 से 27 के बीच रखना चाहिए। यह आपकी सेहत और घर के तापमान दोनों के लिए बेहतर रहेगा। इसके अलावा सिर पर चुनरी आदि रखकर बाहर निकलें और संभव हो सके तो दोपहर में न निकलें।

    धूम में निकलते ही मेरा सिर दर्द होने लगता है। फिर रात को नींद भी ठीक से नहीं आती। क्या यह लू के लक्षण हैं?- केशव, सेक्टर-15

    लगातार धूप में रहने के कारण यह हो सकता है। पानी की कमी या खानपान की अनदेखी के चलते भी ऐसा हो सकता है। ऐसे में अपने खानपान का पूरा ख्याल रखें। बाहर के भोजन से बचें। जंक फूड व तले-भुने भोजन न करें।

    समय-समय पर नींबू पानी, शरबत व जूस आदि पीते रहें। सूती कपड़े ही पहनें। धूप में निकलते वक्त छतरी का प्रयोग करना अच्छा रहता है। लू बह रही हो तो पानी बार-बार पीएं। छाया में ही रहें। सिर को ढक कर रखें। सन ग्लास का प्रयोग कर सकते हैं।

    सतर्कता से लू व हीट वेव को हराना संभव: डा. अजय अग्रवाल

    इस मौसम में लू लगने की संभावना काफी रहती है। अभी मौसम का तापमान काफी अधिक रहता है। 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान रहने के कारण लू व हीट स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है। ऐसे में लोगों में बुखार, सिर दर्द, चक्कर, उल्टी व कई बार बेहोशी जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।

    वहीं कुछ लोगों में त्वचा का लाल होना या रूखापन भी नजर आता है। लू लगने से पैरों की मांसपेशियों में दर्द के लक्षण भी देखने को मिलते हैं। अत: यह कई बार गंभीर बीमारियों को बढ़ाने या अन्य परेशानियों का कारण भी हो सकता है।

    लू लगने पर कई लोगों में थकावट, भ्रम, बार-बार मुंह का सूखना या प्यास का लगातार बने रहना, पसीना ज्यादा बहना, पैरों में दर्द व दस्त की परेशानी व उल्टी होने लगती है। यहां यह समझना जरूरी है कि यदि हम बहुत देर तक या लगातार लू की चपेट में रहते हैं तो हमें बुखार भी हो सकता है।

    बुखार के कारण शरीर में बेचैनी बढ़ सकती है। कई बार बेहोशी तक की स्थिति आ सकती है। अब इससे बचने के बारे में बात करें तो हीट एग्जाशन यानी गर्मी से थकावट को हमें ध्यान देने की जरूरत होती है।

    अत्यधिक पसीने व शरीर में पानी एवं नमक की कमी के कारण यह स्थिति पैदा होती है। इसके लिए इन चीजों का ख्याल रखना जरूरी हो जाता है। हीट स्ट्रोक इससे भी अधिक नुकसानदेह हो सकता है। अत: इससे बचाव और ज्यादा जरूरी हो जाता है।

    ये सावधानियां बरतें

    • परेशानियों से खुद को या अपनों को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो घर से जब भी बाहर निकलना हो तो काटन के कपड़े पहनें।
    • कपड़े ढीले व आरामदायक ही पहनें। अपने सिर पर स्कार्फ या टोपी का उपयोग करें। संभव हो तो छाता भी यूज कर सकते हैं, ताकि धूप डायरेक्ट हमारे सिर को हिट न करे।
    • बाहर कहीं भी जाएं तो अपने साथ पानी की बोतल रखना बिल्कुल न भूलें। बीच-बीच में पानी जरूर पीते रहें। नमक-चीनी, नींबू व पानी का घोल पीते रहें।
    • सत्तू का सेवन इस मौसम में अच्छा विकल्प माना जाता है। यदि आप पानी से परहेज करेंगे तो इसका असर आपके गुर्दे यानी किडनी पर भी पड़ सकता है।
    • अत: पानी आपके कई अंगों को स्वस्थ रखने के लिए वरदान का काम करता है। पानी कम पीने से लू का प्रभाव ज्यादा गंभीर हो सकता है।
    • वहीं डिहाइड्रेशन की अवस्था में एग्जाशन की समस्या हो सकती है। बेहोशी हो सकती है। ऐसे में हमारे घरों में जो बुजुर्ग लोग हैं, उन्हें अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।
    • या फिर जिन लोगों को हार्ट की परेशानी हो या किडनी की दिक्कत हो। जिनको डाक्टर ने पानी कम पीने की सलाह दे रखी हो। जो डायबिटीज से परेशान हों।
    • इन लोगों में लू लगने और इसके प्रभाव की स्थिति ज्यादा गंभीर हो सकती है। ऐसे में इन लोगों को अपने आसपास के वातावरण, तापमान, खानपान और सेहत का अधिक ख्याल रखने की जरूरत होती है।

    लू के लक्षण दिखते ही हो जाएं सतर्क

    फोर्टिस नोएडा-62 के इंटरनल मेडिसिन के सीनियर डायरेक्टर डॉ. अजय अग्रवाल लोगों को जागरूक करते हुए बताते हैं कि लू के लक्षण दिखते ही सबसे पहले तो सतर्क हो जाएं। पानी, ओआरएस, इलेक्ट्राल व ग्लूकोज आदि का लगातार सेवन करें। जूस, शरबत, छाछ, लस्सी आदि समय-समय पर पीते रहें। शिकंजी और सत्तू इस मौसम में अच्छा विकल्प माना जाता है।

    लू से बचने के लिए घर के अंदर आते ही सामान्य वातावरण में थोड़ी देर आराम करें। सीधे एसी या कूलर के सामने न जाएं। बॉडी नॉर्मल होने पर ठंडे पानी से नहाएं। ठंडे पानी से नहाने से लू का प्रभाव कम हो जाता है। घर से बाहर निकलने से पहले खाना अच्छे से खाएं। तला-भुना भोजन इस मौसम में खाने से बचें।

    ऑयली फूड न खाएं। जंक फूड से दूर रहें। अल्कोहल व स्मोकिंग छोड़ दें। पानी अधिक से अधिक पिएं। ऐसा करने पर आप लू से बच सकते हैं। डिहाइड्रेशन की समस्या जैसे ही दिखती है तो आपके यूरीन का कलर पीला नजर आने लगता है या कम आने लगता है।

    ऐसे में आपको तुरंत सतर्क हो जाना चाहिए और पानी की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। डिहाइड्रेशन होते ही मुंह में सूखापन महसूस होने लगता है या प्यास बार-बार लगने लगती है। ऐसे में पानी खूब पिएं। प्यास के साथ कई बार कुछ लोगों में घबराहट के लक्षण भी देखने को मिलते हैं।

    पैरों में दर्द व सांस लेने में दिक्कत महसूस होने लगती है। ऐसी स्थिति में कोई शीतल पेय ले लें या कोई डिहाइड्रेशन साल्यूशन लें जिसमें नमक-चीनी का घोल मौजूद हो। पसीने के द्वारा हमारा साल्ट लास होता है। ऐसे में इसका ख्याल रखना जरूरी होता है।

    पानी की मात्रा अपने शरीर व प्यास के आधार पर तय करें। प्यास को नजरअंदाज बिलकुल न करें। वयस्कों को कम से कम तीन से चार लीटर पानी इस मौसम में जरूर पीना चाहिए। यदि किसी गंभीर बीमारी के कारण डाक्टर ने मना किया है या जितना बताया है तो उसका पालन करें।

    इस मौसम में सुपाच्य और हल्का भोजन करना ही अच्छा माना जाता है। उल्टी व दस्त आदि लग गई हो तो ओआरएस का घोल ले लें। इसे घर में जरूर रखें। या ऐसी स्थिति में नमक-चीनी का घोल भी अच्छा विकल्प है। शरबत आदि का सेवन करते रहें।

    नवजात बच्चे के मुंह सुखने व बार-बार जीभ निकालने को ध्यान से देखें और यदि उसके डॉक्टर ने पानी पिलाने को कह दिया हो तो थोड़ा-थोड़ा पानी उसे पिलाते रहें। गर्भवती महिलाएं अपनी प्यास के अनुसार या दो लीटर तक पानी पी सकती हैं।