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बीते सात माह से समुद्र में फंसे हैं 3 लाख लोग, इसके कारणों को जानना हमारे लिए भी जरूरी

जहाजरी उद्योग से जुड़े लाखों लोग ऐसे हैं जो कोविड-19 के बाद लगी पाबंदियों के चलते महीनों से समुद्र में फंसकर रह गए हैं। इनमें से कई ऐसे हैं जिन्‍हें जहाज पर 17 महीने तक हो गए हैं जो अंतरराष्‍ट्रीय तय मानकों से अधिक है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 09:21 AM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 09:57 PM (IST)
बीते सात माह से समुद्र में फंसे हैं 3 लाख लोग, इसके कारणों को जानना हमारे लिए भी जरूरी
लाखों लोग कोविड-19 महामारी की वजह से जमीन को नहीं छू सकें हैं।

नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। कोविड-19 ने बीते सात माह से जिस तरह से देशों की सीमाओं को बंद किया है उसकी वजह से लाखों लोग समुद्र में फंस गए हैं। इन लोगों का संबंध समुद्री व्‍यापार के तहत चलने वाले हजारों जहाजों से है, जो सीमाओं के बंद होने के बाद समुद्र में ही रहने को मजबूर हैं। इनमें से कई ऐसे हैं जो करीब साल भर से विशाल समुद्र के बीच फंसे हैं। ये सभी अपने घर जाने और अपने परिवार से मिलने के लिए बेचैन हैं। कई देशों ने हवाई सेवा के लिए अपनी सीमाएं खोल दी हैं लेकिन इसके बावजूद समुद्र में खड़े जहाजों और इनमें मौजूद लोगों के लिए अब तक कुछ नहीं किया गया है। संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने इस पर चिंता जाहिर की है।

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उन्‍होंने कहा कि करीब तीन लाख लोग ऐसे हैं जो लॉकडाउन और देशों की समुद्री सीमाओं के बंद होने की वजह से जहाजों पर ही फंस गए हैं। इन लोगों का हर दिन इस उम्‍मीद में गुजर रहा है कि जल्‍द ही वो अपने घर वापस जा सकेंगे। उन्‍होंने पूरी दुनिया से अपील की है कि वो जहाजों पर काम करने वाले उन कर्मचारियों की मदद के लिए काम करें जो इस महामारी की वजह से अपने परिवार से नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसा तब है जब इन जहाजों का इस्‍तेमाल कोविड-19 महामारी के दौरान जरूरी सामान पहुंचाने के लिए भी किया गया है।

गुतारेस ने विश्‍व समुदाय से ये भी अपील की है कि वो इन नाविकों और अन्य समुद्री कामगारों को औपचारिक रूप से Key Workers यानि अति महत्वपूर्ण कामगारघोषित करें। उनका कहना है कि कई महीनों से पानी में फंसे होने की वजह से वो मानसिक और शरीरिक रूप से थकान महसूस करने लगे हैं। इनमें से कुछ अपने घर न जा पाने की वजह से डिप्रेशन के भी शिकार हुए होंगे। ऐसे तमाम लोगों की जल्‍द से जल्‍द मदद के लिए पूरी दुनिया को आगे आना होगा। गुतारेस ने कहा कि बेहद विपरीत और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी इन नाविकों ने जरूरी सेवाओं की आपूर्ति को बरकरार रखने में असाधारण भूमिका निभाई है।

ये वो लोग हैं जिन पर हम ध्‍यान नहीं देते हैं या जिनके बारे में हम कम की सोचते हैं। ये दुनिया के लिए सामने दिखाई न देने वाले वो हीरों हैं जिनकी वजह से हमें कई सारी चीजें उपलब्‍ध होती हैं, जो हमारे घरों की छोटी-छोटी खुशियों से जुड़ी होती हैं। वर्ल्‍ड मेरिटाइम डे के मौके पर यूएन महासचिव ने विश्‍व समुदाय से अपील की कि वो इस बात पर भी विचार करें कि कोविड-19 महामारी के बाद की दुनिया में आर्थिक पुनर्बहाली और भविष्य की आर्थिक प्रगति में, ये उद्योग किस तरह से केंद्रीय भूमिका निभा सकेगा।

आपको बता दें कि इस क्षेत्र से दुनिया के लाखों लोग जुड़े हुए हैं। दुनिया के कुल व्‍यापार का करीब 80 फीसद व्‍यापार समुद्र के रास्‍ते ही होता है। इस व्‍यापार और आपूर्ति को सुचारू बनाने में यही लोग सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। ये लोग पूरी दुनिया में खाद्य सामग्री, बुनियादी जरूरतों का सामान समेत महामारी के दौरान मेडिकल इक्‍यूपमेंट्स की आपूर्ति में अहम जिम्‍मेदारी निभाते हैं। संयुक्त राष्ट्र और उसके साझीदारों का अनुमान है कि कम नजर आने वाले इस क्षेत्र के लगभग तीन लाख सदस्य, इस समय कोविड-19 संक्रमण को रोकने के लिये लगाई गईं यात्रा पाबंदियों का शिकार हो गए हैं। यूएन के मुताबिक अब ये स्थिति एक मानवीय संकट, सुरक्षा आपदा और आर्थिक संकट में तब्दील होने लगी है।

कैप्टन हेदी मरजगुई और इंजीनियर विक्रम इन्‍हीं लोगों में से एक हैं। हेदी का कहना है कि इन पाबंदियों के चलते जहाज पर जीवन बहुत कठिन हो गया है। वहीं विक्रम उन लोगों में से एक हैं जिन्‍होंने जुलाई में अपने घर पहुंचने की पूरी कोशिश भी। हवाई जहाज के जरिए घर पहुंचने के लिए उन्‍होंने शिप से हजारों किमी का सफर किया लेकिन फिर भी नाकाम रहे। उन्‍हें जहाज से बाहर आने की इजाजत ही नहीं दी गई। इसके बाद भी उन्‍होंने अपनी ये कोशिश जारी रखी और बाद में किसी तरह से घर पहुंचने में कामयाब हो गए। हालांकि परिजनों से मिलने से पहले उन्‍हें उन्‍हें 14 दिन क्‍वारंटाइन में बिताने पड़े थे।

कोविड-19 के चलते लगी पाबंदियों की वजह से शिप पर कर्मियों की बदली और उनकी सभी छुट्टियों को भी फिलहाल रद कर दिया गया है। यहां तक की इन लोगों को इनकी जरूरत के सामान की आपूर्ति भी मुश्किलों में पड़ गई है। विक्रम ने ये भी बताया कि महामारी के बाद बंदरगाह वाले देशों में जहाजों को लेकर बनाए गए नियम और कानूनों में हर रोज नया बदलाव कर दिया गया। इसकी वजह से शिप पर काम करने वाले लोगों के चेहरों पर तनाव को साफ महसूस किया जा सकता था। उन्‍हें पूरी दुनिया दूसरे दर्जे का नागरिक समझकर भेदभाव कर रही थी। ऐसा लगने लगा था जैसे उनके और उन जैसे लाखों लोगों के जीवन की किसी को कोई परवाह ही नहीं है।

यूएन महासचिव ने भी इसको लेकर अपनी चिंता व्‍यक्‍त की है। उन्‍होंने कहा है कि जहाज पर तैनात कुछ नाविकों को 17 माह बीत गए हैं जो अंतरराष्‍ट्रीय मानकों से कहीं ज्‍यादा है। गुतारेस ने अपील की है कि यूएन एजेंसियों द्वारा तैयार किए प्रोटोकॉल को लागू किया जाना चाहिए। अंतरराष्‍ट्रीय समुद्री जीवन संगठन (IMO) के महासचिव और पूर्व समुद्री नाविक किटैक लिम का कहना है कि हम सभी समुद्री नाविकों पर निर्भर हैं। उन्हें कोविड-19 महामारी की दया पर नहीं छोड़ा जा सकता।

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