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    स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी से पीड़ित बच्चे की जान बचा सकता है जोलजेस्मा इंजेक्शन, दुर्लभ बीमारी का इलाज 17 करोड़ रुपये का इंजेक्शन

    By Jagran NewsEdited By: Devshanker Chovdhary
    Updated: Wed, 08 Nov 2023 10:00 PM (IST)

    स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी बीमारी पीड़ित बच्चे के नर्व सेल्स और रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचाती है। इस बीमारी का सही समय पर इलाज न होने पर पीड़ित की जान जा सकती है। वहीं इस बीमारी पर जोलजेस्मा नामक इंजेक्शन से जीत पाई जा सकती है। इस इंजेक्शन की कीमत 17 करोड़ रुपये है। इसके लिए लोग क्रॉउड फंडिंग या मानवीय सहायता पर निर्भर रहते हैं।

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    भारत में पिछले कुछ वर्षों में करीब 90 बच्चों को लगाया गया है जीवनरक्षक इंजेक्शन। (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी से पीड़ित बच्चों के इलाज में इस्तेमाल होने वाले जोलजेस्मा नामक इंजेक्शन की कीमत है 17 करोड़ रुपये। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने हाल में एक 15 साल के बच्चे के इलाज में मदद के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है।

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    स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी से पीड़ित बच्चे के लिए मदद की गुहार

    बच्चे को स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी बीमारी से पीड़ित पाया गया है। दुनिया की सबसे महंगी दवाओं में से एक जीन थेरेपी ने अच्छे नतीजे दिए हैं, लेकिन विशेषज्ञों ने सावधान किया है कि ये दुर्लभ बीमारी का शर्तिया इलाज नहीं है। हालांकि, ये बीमारी पर अंकुश जरूर लगाती है।

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    भारत में अभी नहीं मिली है मंजूरी

    अभी इस दवा को भारत में मंजूरी नहीं मिली है। फिर भी अनुमान है कि पिछले कुछ वर्षों में करीब 90 बच्चों को जोलजेस्मा इंजेक्शन लगाया गया है। इंजेक्शन इतना महंगा है कि इसे सिर्फ बहुत अमीर लोग ही खरीद सकते हैं। ऐसे में ज्यादातर मामलों में इंजेक्शन का इंतजाम मानवीय कार्यक्रम या क्रॉउड फंडिंग के जरिये किया जाता है।

    डॉक्टर की मंजूरी के बाद होता है आयात

    डॉक्टर की सिफारिश और सरकार की मंजूरी के बाद दवा का आयात किया जा सकता है। दुनिया भर में 10,000 जीवित जन्मे बच्चों में से एक में स्पाइनल मसल्स एट्रॉफी बीमारी के मामले देखे गए हैं। ये बीमारी 2 साल से कम उम्र में ही बच्चों की जान ले सकती है। जोलजेस्मा इंजेक्शन स्विटजरलैंड की दवा कंपनी विशेष आर्डर पर बनाती है।

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    बच्चों के चिकित्सक विभु कवात्रा का कहना है कि भारत में जोलजेस्मा की कीमत 17 करोड़ है, क्योंकि इस दवा को बनाने के लिए बड़े पैमाने पर शोध और विकास की प्रक्रिया पर अमल किया गया है। कवात्रा का कहना है कि दवा का बाजार बहुत छोटा है और बच्चों का जीवन बचाने की क्षमता रखने की वजह से भी इसकी कीमत बहुत अधिक है।