ये योगासन बदल देंगे आपकी जिंदगी, करके तो देखिए...
योग न केवल हमारे दिमाग, मस्तिष्क को ही ताकत पहुंचाता है बल्कि हमारी आत्मा को भी शुद्ध करता है। आइए आपको बताते कुछ आसान से आसन और उनके लाभ...!
[जागरण स्पेशल]। मेडिकल साइंस के अलावा दुनिया भर ने योग के शारीरिक और मानसिक महत्व को स्वीकार कर लिया है। इसकी जीती-जागती मिसाल है अंतरराष्ट्रीय योग दिवस। योग जहां आपके स्वास्थ्य को बरकरार रखता है, वहीं यह हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोगों और अन्य रोगों से बचाव में भी सहायक है।
योग का महत्व
वर्तमान समय में अपनी व्यस्त जीवन शैली के कारण लोग संतोष पाने के लिए योग करते हैं। योग से न केवल व्यक्ति का तनाव दूर होता है बल्कि मन और मस्तिष्क को भी शांति मिलती है। योग बहुत ही लाभकारी है। योग न केवल हमारे दिमाग, मस्तिष्क को ही ताकत पहुंचाता है बल्कि हमारी आत्मा को भी शुद्ध करता है। आइए आपको बताते कुछ आसान से आसन और उनके लाभ...!
भुजंगासन
ऐसे करें: दोनो पैरों को एक साथ करके पेट के बल लेट जायें। पंजे बाहर की तरफ रखें। हाथों को जांघों के बगल में रखें। हथेली ऊपर की तरफ रखें और ललाट को जमीन पर रखें। हाथों को कोहनी से मोड़ें। हथेली को जमीन पर कंधे के किनारे रखें। अंगूठे कांख की तरफ होने चाहिये। ठुड्डी को आगे ले आयें और जमीन पर रख दें। सामने देखें। धीरे धीरे सिर, गर्दन और कंधों को उठायें। धड़ को नाभि तक उठायें। ठुड्डी को जितना हो सके ऊपर करें।
लाभ: पीठ की पेशियां प्रभावित होती हैं। पेट के भारीपन में लाभकारी है। स्लिप्ड डिस्क, पीठ दर्द में आराम मिलता है। रीढ़ की हड्डी को लचकदार व स्वस्थ बनाता है। यह अंडाशय और गर्भाशय को सुदृढ़करता है।
सावधानी: हार्निया और पेट में चोट संबंधी समस्या पर इसे न करें।
चक्रासन
ऐसे करें: पीठ के बल लेट जायें। घुटने मोड़ लें। भुजाओं को उठायें। कोहनियों को मोड़े। हथेली को कंधे के ऊपर सिर के बगल में जमीन पर रखें। सांस लें और धीरे धीरे धड़ को उठाते हुए पीठ को धनुष के आकार में ले जायें। धीरे धीरे सिर को गिरा कर भुजाओं और पैर को जितना हो सके सीधा कर लें।
लाभ: रीढ़ मजबूत और लचीली होती है। कमर पतली और सीना चौड़ा करता है। घुटनों, ऊपरी अंगों और कंधे के लिये अच्छा है। यह हड्डियों की अकड़न, पसलियों के जोड़ के अकड़न को कम करने में सहायक है।
सावधानी: गंभीर हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और हार्निया से पीड़ित इसे न करें।
उष्ट्रासन
ऐसे करें: जमीन पर घुटनों के बल आ जायें। अपने जांघों और पंजों को एक साथ रखें। पंजे पीछे की तरफ रहें और जमीन पर टिकाये रहें। घुटनों और पंजों को एक फुट की दूरी पर चौड़ा कर घुटनों पर खड़े हो जायें। सांस लेते समय पीठ पीछे झुकायें। पीछे झुकते समय गर्दन को अचकाये नहीं। सांस छोड़ते हुए दाहिनी हथेली को दाहिनी एड़ी पर रखें और बायें हथेली को बायें एड़ी पर। अंतिम स्थिति में, जांघ फर्श पर लंबवत होना चाहिये और सिर पीछे की तरफ झुका रहेगा।
लाभ: दृष्टिदोष में बहुत लाभकारी। पीठ और गर्दन दर्द में बहुत लाभकारी। पेट की वसा को कम करने में मददगार।
सावधानी: उच्च रक्त चाप, हृदय की बीमारी, हार्निया के मरीज को ये आसन नहीं करना चाहिये।
मत्स्यासन
ऐसे करें: पद्मासन में बैठें। धीरे से पीछे की तरफ झुकें और पीठ के बल लेट जायें। पीठ को कोहनी और हथेली के सहारे से ऊपर उठायें और सिर के शीर्ष को जमीन पर रख दें। बायें पैर को दाहिने हाथ से इसी प्रकार दाहिने पैर को बायें हाथ से पकड़ लें और कोहनी को जमीन पर रखें। घुटने जमीन पर लगे होने चाहिये और पीठ इतनी घुमावदार होनी चाहिये कि शरीर सिर और घुटनों से संतुलन मिले।
लाभ: पेट के अंगों की मालिश से कब्ज दूर होती है। मधुमेह के लिए बेहतर। गले की बीमारियों में प्रभावी। पीठ की पेशियों को आराम देता है और रीढ़ को
लचीला बनाता है। यह घुटने और पीठ दर्द में उपयोगी है। गर्भाशय संबंधी समस्या से ग्रस्त महिला के लिए लाभदायक।
सावधानी: जिन्हें पेप्टिक अल्सर, हार्निया या अन्य कोई रीढ़ से जुड़ी समस्या हो तो बिना विशेषज्ञ इस आसन से बचें।
हलासन
ऐसे करें: पीठ के बल लेट जायें। हाथ को जांघों के बगल में लगायें। हथेली को जमीन पर रखें। धीरे धीरे अपने घुटनों को मोड़े बिना उठाये और 30 अंश के कोण पर रुक जायें। कुछ देर बाद अपने को 60 अंश के कोण पर ले जाकर इस स्थिति में बने रहें। अब धीरे-धीरे पैरों को 90 अंश के कोण पर उठा लें। यह अर्धहलासन की अन्तिम स्थिति है। जमीन पर हाथ से दबाव बनाते हुए कमर के निचले हिस्से को फर्श से हटाते हुए उठायें। पैरों को सिर की तरफ लायें और फर्श को अंगुलियों से सिर के पीछे छुयें। हाथों को सीधा ले जाकर पीठ के पीछे जमीन पर रख दें।
लाभ: अपच और कब्ज में लाभकारी। मधुमेह, बवासीर, और गले संबंधी बीमारियों में उपयोगी। हलासन के बाद भुजंगासन करने से अधिकतम लाभ।
सावधानी: जिन्हें सर्वाइकल स्पोंडलाइटिस, रीढ़ की अकड़न, हाइपरटेंशन हो, वे इस आसन से बचें।
गोमुखासन
ऐसे करें: सीधे बैठ जायें। दोनो पैरों को सामने सीधा फैलायें। दोनो हाथों को अगल-बगल रखें। हथेली को जमीन पर रखें और अंगुलियों को सामने की तरफ करें। बायें पैर को घुटने से मोड़ते हुए दाहिने पैर के कमर के निचले हिस्से के पास रख दें। यही प्रक्रिया दाहिने पैर के साथ करें। बायें हाथ को ऊपर उठायें। कोहनी से मोड़ें और उसे पीठ की तरफ कंधे से नीचे ले जायें। दाहिना हाथ उठायें, कोहनी से मोड़ें और पीठ की तरफ ऊपर ले जायें। पीठ के पीछे दोनों अंगुलियों को आपस में फंसा लें। अब सिर को कोहनी के विपरीत जितना हो सके पीछे ले जाने का प्रयास करें।
लाभ: पीठ और बाईसेप्स की पेशियों को मजबूती मिलती है। कूल्हे और निचले हिस्से के दर्द को मिटाता है। रीढ़ को सीधा रखने में मदद करता है। अर्थराइटिस और सूखे बवासीर में बहुत उपयोगी है।
सावधानी: जिन्हें रक्त बवासीर हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिये।
शीर्षासन
ऐसे करें: फर्श पर एक मोड़े हुए कपड़े को रखें और उसके पास झुक जायें। अंगुलियों को कसकर आपस में फंसाकर हथेली को एक कप का आकार दें और उन्हें मोड़े हुए कपड़े पर रख दें। सिर को कपड़े पर ऐसे रखें कि सिर का शीर्ष भाग हथेलियों को छू रहा हो। पंजों को सिर की तरफ खींचते हुए घुटनों को फर्श से उठायें। जब शरीर इस स्थिति में संतुलित हो जाये तो धीरे-धीरे आराम से पैरों को सीधा करें।
लाभ: सिर की तरफ रक्त परिसंचरण करता है। स्मरण शक्ति बढ़ती है। तंत्रिका तंत्र और एंड्रोक्राइन ग्रंथि को मजबूत और स्वस्थ बनाता है। पाचन तंत्र के लिये उपयोगी होता है। गले की अकड़न, जिगर और तिल्ली की बीमारी में उपयोगी है। पीयूष और पीनियल ग्रंथि के क्रियाकलाप को मजबूत करता है।
सावधानी: जिन्हें उच्च रक्त चाप, पुराना जुकाम, कान बहना, हृदय की बीमारी और सर्वाइकल स्पंडोलाइटिस हो उन्हें यह अभ्यास नहीं करना चाहिए।
पद्मासन
ऐसे करें: जमीन पर बैठ जायें। दाहिने पैर को मोड़ लें और दाहिने पंजे को बायें पैर की जांघ पर कमर के निचले हिस्से के समीप रखें। दाहिने पैर की एड़ी से पेट के बायें भाग पर दबाव बनायें। यही उपक्रम दाहिने पैर के साथ भी करें। हाथों को घुटनों पर ज्ञानमुद्रा में रख लें। रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। सामान्य रूप से सांस लें।
लाभ: मानसिक शांति और संयम देता है। यह पाचन प्रणाली को मजबूत बनाकर कब्ज में आराम देता है। एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ाता है। सांस की तकलीफ में मदद करता है।
सावधानी: जिन व्यक्तियों को घुटनों के दर्द की समस्या हो उन्हें यह अभ्यास नहीं करना चाहिये।
नटराजासन
ऐसे करें: सीधे खड़े हो जायें। दाहिने पैर को उठायें घुटने से मोड़ें और जितना हो सके पीछे की तरफ उठायें। दोनो हाथों को सामने से उठायें, उन्हें पीछे ले जाकर दाहिने पैर को हाथों से पकड़ कर जितना हो सके सिर के ऊपर तक ले आयें। बायें पैर पर खड़े रहें। सामने देखते हुए सिर को स्थिर रखें।
लाभ: यह एकाग्रता बढ़ाता है। पैर और हाथ की पेशियों को मजबूती देता है। कंधों और सिर में कैल्शियम के जमाव को रोकता है। शारीरिक संतुलन विकसित करता है।
पश्चिमोत्तान
ऐसे करें: जमीन पर बैठ जायें। दोनो पैरों को सामने रखें। दोनो हाथों को अगल-बगल रखें और हथेली को जमीन पर रखें। अंगुलियों को सामने की तरफ रखें। पीठ की मांसपेशियों को ढीला करें और शरीर को जितना संभव हो आगे झुकायें।
लाभ: यह पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है। कब्ज, मोटापा,अपच, शुक्राणु संबंधी कमजोरी और त्वचा के रोग में लाभकारी है। साइटिका की आशंका को कम करता है।
सावधानी: पेट में अल्सर की शिकायत वालों को इससे परहेज करना चाहिए।
शलभासन
ऐसे करें: पेट के बल लेट जायें। हथेली को जांघों के नीचे रखें। एड़ियों को मिला लें। सांस लेते हुए हथेली को नीचे की तरफ दबायें और पैरों को जितना हो सके ऊपर ले जायें। ऊपर की तरफ देखें और पांच बार सांस लें। सांस छोड़ते हुए पैरों को नीचे ले आयें। हाथों को हटा लें।
लाभ: दमा के मरीजों के लिये लाभदायक। रक्त शुद्ध करके परिसंचरण सुदृढ़ करता है।
सावधानी: जिन्हें उच्च रक्त चाप, हृदय की बीमारी हो और दमा की शिकायत हो, उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिये।
सिद्धासन
ऐसे करें: जमीन पर बैठ जायें। बायें पैर की एड़ी को गुदा द्वार के सामने रखें और दाहिने पंजे को शिवानिनादी के साथ अंडकोष के अन्दर रखें। दोनो पैरों के पंजे जांघों और पिंडलियों के बीच में रहने चाहिये। हाथों को संबंधित घुटनों पर ज्ञानमुद्रा में रखें। एकदम सीधी मुद्रा में बैठकर ध्यान लगाएं।
लाभ: मानसिक अनुशासन प्रदान करता है। सुषुम्ना नाड़ी में प्राण के रास्ते को निश्चित करता है और कुंडलिनी जगाने में मदद करता है।
सर्वांगासन
ऐसे करें: पीठ के बल लेट जायें। हाथ जंघे के अगल बगल और हथेली जमीन पर रहेंगी। धीरे-धीरे घुटनों को झुकाये बिना हाथ पर दबाव बनाते हुए पैरों को उठायें। 30 अंश के कोण पर रुक जायें। पैरों को थोड़ा और उठाये और 60 अंश के कोण पर रुक जायें। अब धीरे धीरे 90 अंश के कोण पर ले आयें। हाथों पर दबाव बनाते हुए कमर के निचले हिस्से को उठाते हुए पैरों को सिर की तरफ ले आयें। पैर, पेट और सीने को एक सीधी रेखा में उठायें। आधार के लिये हथेली को पीठ पर लगा दें। ठुड्डी को सीने के साथ लगा दे।
लाभ: असमय बुढ़ापे और सफेद हो रहे बालों से बचाता है। अपच, कब्ज, हार्निया और आंत्र संबंधी बीमारी, बवासीर, गर्भाशय भ्रंश और एंडोक्राइन ग्रंथि से जुड़े रोगों में लाभकारी।
सावधानी: उच्च रक्त चाप, मिर्गी, गर्दन का दर्द, सायटिका, और कमर दर्द में इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिये।
वज्रासन
ऐसे करें: दोनों पैरों को एक साथ फैलाकर बैठें। हाथों को शरीर के बगल में लगायें और हथेली जमीन पर रहे। दाहिने पैर को घुटनों से मोड़ें और कमर के निचली दाहिने हिस्से के नीचे दाहिने पंजे को रखें। इसी प्रकार बायें पंजे की स्थिति भी बनाएं। दोनों एड़ियों को इस प्रकार जमायें कि अंगूठे एक दूसरे पर चढ़ जायें। हाथों को संबंधित घुटनों पर रखें। रीढ़ की हड्डी सीधी रखें, सामने दृष्टि लगायें या आँखें बंद कर लें।
लाभ: जांघों, टखनों की पेशी को मजबूत करता है। पाचन प्रणाली के लिए अच्छा। रीढ़ को मजबूत आधार देता है और सीधा रखता है।
सावधानी: बवासीर के मरीज को यह आसन नहीं करना चाहिये।
मयूरासन
ऐसे करें: वज्रासन में बैठ जायें। घुटनों को खोलें और जमीन पर टिका कर आगे की तरफ झुक जायें। हाथ की अंगुलियों को बाहर की तरफ खींचते हुए हथेली जमीन पर रखें और अंगुलियां पंजे की तरफ रहेंगी। दोनों अग्रबाहुओं को एक साथ लगाकर कोहनियों को मोड़ें। कोहनियों को नाभि के दोनों तरफ लगायें। सीना ऊपरी बांह के पीछे रहेगा। दोनों पैरों को एक साथ करते हुए धीरे-धीरे सावधानी पूर्वक आगे आयें। शरीर का भार हाथ और कलाईयों पर
डालते हुए, पैरों को जमीन से उठायें।
लाभ: अपच, कब्ज और वायु विकार में आराम होता है। दृष्टिदोष के इलाज में उपयोगी है। हाथ और भुजाओं को मजबूती देता है। फेफड़ों के लिये भी लाभकारी है। मधुमेह का इलाज भी करता है।
सावधानी: हार्निया या पेट संबंधी चोट हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिये।
त्रकोणासन
ऐसे करें: दोनों पैरों को एक साथ सीधा करके खड़े हो जायें। हाथों को जांघों के बगल में रखें। पंजों को 2-3 फीट अलग कर लें। भुजाओं को फैलाते हुए कंधे तक ले आयें। धीरे-धीरे सांस लें। दाहिने हाथ को सिर पर ऐसे ले जायें, जिससे कि वह कान को छूता रहे। धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए खुद को बांयीं तरफ झुकायें। घुटने न मोड़ें न ही अपने हाथ को कान से अलग करें।
लाभ: पीठ दर्द में आराम और कूल्हे मजबूत होते हैं। शरीर हल्का हो जाता है। फेफड़ों की बीमारियां और त्वचा के विकार ठीक होते हैं।
सावधानी: तेज पीठ दर्द में इस आसन से बचना चाहिये।
योगासन
ऐसे करें: पद्मासन में बैठिये। दोनों हाथों को पीछे ले जायें, शरीर को सीधा खींचते हुए दाहिनी कलाई को बायें हाथ से पकड़ लें। धीरे-धीरे शरीर को आगे झुकाते हुए ठोढ़ी को जमीन पर टिकायें। दृष्टि को स्थिर रखें। कुछ समय तक रुकने के बाद धीरे मूल स्थिति में वापस लौट जायें।
लाभ: कब्ज दूर, पाचन सुदृढ़ होता है। शरीर में चमक पैदा होती है। एकाग्रता विकसित करने में लाभकारी है। श्वसन संबंधी बीमारी में फायदा।
मंडूकासन
ऐसे करें: वज्रासन में बैठिए। अंगूठे को अंदर करके मुट्ठी बांधें। मुट्ठी को नाभि के पास रखें और उस पर दबाव डालें। धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए, कमर से आगे की तरफ झुके। सीने को नीचे लायें ताकि जांघ पर आ सके। सिर और गर्दन को ऊपर उठायें। दृष्टि को सीधा रखें।
लाभ: पेट की बीमारियों और निकले हुए पेट के लिये लाभकारी है। अपच और कब्ज को दूर करने में मदद करता है।
सावधानी: पीठ दर्द वालों को इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिये।
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