'हम नहीं कर रहे कानून की अवहेलना', 'एक्स कॉर्प' ने कंटेंट हटाने के संबंध में 'सहयोग' पोर्टल की वैधता को दी चुनौती
इंटरनेट मीडिया कंपनी 'एक्स कॉर्प' ने कंटेंट हटाने के संबंध में 'सहयोग' पोर्टल की वैधता को कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी है। कंपनी का कहना है कि आईटी अधिनियम की धारा 69ए को दरकिनार किया गया है। एक्स कॉर्प ने कोर्ट को बताया कि उसे कंटेंट हटाने के कई अनुरोध मिले, जिनमें से अधिकांश का पालन किया गया। कंपनी ने भारतीय कानून का उल्लंघन करने के आरोपों का खंडन किया है।

एक्स कॉर्प पहुंचा कोर्ट।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंटरनेट मीडिया कंपनी 'एक्स कॉर्प' ने कंटेंट हटाने के संबंध में 'सहयोग' पोर्टल की वैधता को कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी है। 'एक्स' ने कहा कि आईटी अधिनियम की धारा 69ए को दरकिनार किया गया है जो भारत में ऑनलाइन कंटेंट ब्लॉक करने की एकमात्र वैधानिक प्रक्रिया है।
एक्स ने डाटा का हवाला देते हुए कहा कि कंपनी भारत के कानून की अवहेलना नहीं कर रही है। कंपनी ने कर्नाटक हाई कोर्ट बताया कि उसे जनवरी से जून 2025 के बीच कंटेंट हटाने के 29,118 सरकारी अनुरोध प्राप्त हुए, जिनमें से 26,641 का अनुपालन किया गया और अनुपालन की दर 91.49 प्रतिशत है।
एक्स की रिट अपील के तहत पेश किया गया
यह डाटा केंद्र सरकार के 'सहयोग' पोर्टल को बरकरार रखने वाले आदेश के खिलाफ एक्स की रिट अपील के तहत पेश किया गया। 'सहयोग' पोर्टल इंटरमीडियरीज को कंटेंट हटाने के निर्देश जारी करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ऑनलाइन प्रणाली है। गौरतलब है कि एकल पीठ के 24 सितंबर के फैसले में कहा था कि एक्स की मंशा भारतीय कानून की अवहेलना करने की है।
अपील में 'एक्स' ने कहा कि सरकारी एजेंसियां कंटेंट हटाने के आदेश जारी करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 79(3)(बी) के साथ-साथ 2021 आईटी नियमों के नियम 3(1)(डी) का गैरकानूनी रूप से उपयोग कर रही हैं। धारा 79 सरकार को कंटेंट अवरुद्ध करने का निर्देश देने का अधिकार नहीं देता है।
इसके बावजूद कथित तौर पर मंत्रालयों और राज्य सरकारों के अधिकारियों को धारा 79(3)(बी) और नियम 3(1)(डी) के तहत अवरोध (ब्लॉकिंग) निर्देश जारी करने के लिए अधिकृत किया गया।
कंपनी ने क्या कहा?
कंपनी ने कहा कि आईटी अधिनियम की धारा 69ए भारत में ऑनलाइन कंटेंट ब्लाक करने की एकमात्र वैधानिक प्रक्रिया है। श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ (2015) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने धारा 69ए के ढांचे और इसके अंतर्निहित सुरक्षा उपायों को बरकरार रखा था। कंपनी ने दावा किया कि गृह मंत्रालय ने, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के निर्देशों पर कार्य करते हुए, बिना किसी वैधानिक समर्थन या पारदर्शिता के ऐसे आदेशों को पूरा कराने के लिए 'सहयोग' पोर्टल बनाया। यह शासकीय शक्ति का अनुचित विस्तार है।

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