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    विदेशों में भारत का डंका बजाते हैं ये भारत के टॉप पहलवान, जानिए कब हुई थी भारत में कुश्ती की शुरुआत

    By Preeti GuptaEdited By: Preeti Gupta
    Updated: Fri, 28 Apr 2023 06:33 PM (IST)

    Wrestlers History in India खून-पसीना बहाकर विदेशों में हिंदुस्तान का डंका बजाने वाले भारतीय पहलवानों ने हर समय देश का गौरव बढ़ाया है। कभी गोल्ड तो कभी सिल्वर और ब्रान्ज मेडल भारत को दिए हैं। जानिए भारत में कुश्ती की शुरुआत कब हुई थी और कौन हैं टॉप पहलवान(जागरण ग्राफिक्स)

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    जानिए कब हुई थी भारत में कुश्ती की शुरुआत

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Wrestlers History in India: दुनिया में भारत का नाम रोशन करने वाले भारतीय पहलवान विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक समेत कई रेस्लर आज जंतर-मंतर पर धरना प्रर्दशन कर रहे हैं। कुश्ती के महान पहलवानों ने जहां भारत के लिए सोने से लेकर कांस्य पदक जीते हैं, वहीं आज वे अपने लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। उन्होंने भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न और धमकी देने का आरोप लगाया गया है। जिसके चलते वे सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, लेकिन इन्हीं पहलवनों ने हरदम भारत का मान बढ़ाया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कुश्ती की शुरुआत कब हुई थी और भारत के शीर्ष पहलवानों ने कितनी बार भारत का गौरव बढ़ाया था।

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    भारत में कुश्ती का इतिहास

    कुश्ती, फारसी शब्द कोश्ती से लिया गया है। जिसका मतलब रेसलिंग/किलिंग होता है। कुश्ती खेलने वाले खिलाड़ियों को पहलवान कहा जाता है और प्रशिक्षण देने वाले को उस्ताद कहा जाता है। भारत में कुश्ती रामायण काल और महाभारत काल से ही मशूहर है। भारत में कुश्ती के शुरुआती रूप को 'मल्ल-युद्ध' (हाथों से मुकाबला) के रूप में जाना जाता था और इससे जुड़ी कई कहानियां रामायण और महाभारत जैसे प्राचीन महाकाव्यों में मिल जाएंगी। उस वक्त भारत में कुश्ती को फिट रहने के रूप में देख जाता था।

    1830 में खेली गई थी पेशेवर कुश्ती

    दुनियाभर में पेशेवर कुश्ती साल 1830 में सामने आई, जिसमें पहलवानों को अपना टैलेंट दिखाने का मौका मिला और अपना दल बनाने के लिए यूरोप का सफर तय किया। कुश्ती के दो प्रकार हैं- ग्रीको-रोमन शैली और फ्रीस्टाइल कुश्ती। 1830 के आसपास कुश्ती पर फ्रांसीसी प्रभाव की वजह से ग्रीको-रोमन शैली अस्तित्व में आई थी। वहीं, साल 1904 में फ्रीस्टाइल कुश्ती की शरुआत हुई थी।

    1.'अजेय' गामा पहलवान

    भारत में कुश्ती का चलन बेहद ही पुराना है। इसलिए भारत में सबसे पहले पहलवान गामा पहलवान थे। उनका पूरा नाम गुलाम मोहम्मद बक्श है। भारत में कुश्ती के इतिहास में गामा पहलवान का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। वह भारत के ऐसे पहलवानों में शुमार हैं जिन्हें कभी भी किसी से भी हार का सामना नहीं करना पड़ा है। वह एक अजेय पहलवान हैं, इनका जन्म 22 मई 1878 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था।

    1200 किलो का उठाया था पत्थर

    गामा पहलवान ने 50 साल में लगभग तकरीबन 5000 से अधिक मुकाबले लड़े और वह इनमें से किसी भी मुकाबले में नहीं हारे थे, इसलिए वह भारतीय कुश्ती के सबसे महान पहलवान कहे जाते हैं। महान गामा पहलवान ने बड़ौदा के सयाजीबाग में बने एक संग्रहालय के शिलालेख में 1200 किलो का पत्थर उठाया था। उन्होंने बिना किसी ट्रेनिंग के विदेशों के बड़े-बड़े पहलवानों को धूल चटाई है।

    विश्व चैंपयनशिप में रचा इतिहास

    गामा पहलवान ऐसे पहलवान थे जिन्हें उनके छोटे कद के कारण विश्व चैंपयनशिप में भाग लेने नहीं दिया गया था लेकिन उन्होंने लोकप्रिय अमेरिकी पहलवान बेंजामिन रोलर को खुली चुनौती दी और उसे दो बार 40 सेकण्ड और 10 सैकण्ड में ही धूल चटा दी। वहीं उन्होंने साल 1927 में पोलैंड के विश्व चैंपियन स्टैनिस्लॉस को भी करारी हार दे दी। इस तरह विश्व चैंपियन बने गामा को इनकी उपलब्धियों के कारण ही द ग्रेट गामा (The Great Gama) और रुस्तम-ए-हिन्द के नाम से जाना गया।

    2.केडी जाधव

    केडी जाधव ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले थे, उन्होंने 1952 के हेलसिंकी खेलों में कांस्य पदक जीता था। इनका पूरा नाम खशाबा दादासाहेब जाधव था। केडी जाधव स्वतंत्र भारत के पहले इंडिविज़ुअल ओलंपिक मेडल विजेता बने थे। केडी जाधव ने वेटलिफ्टिंग, तैराकी, रनिंग और हैमर थ्रो में बेहतरीन प्रदर्शन किया था। उन्हें साल 2000 में अर्जुन पुरुस्कार से नवाजा गया था।

    3.सुशील कुमार

    चीन के बीजिंग में हुए 2008 ओलंपिक खेलों में सुशील कुमार ने कांस्य पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया था। सुशील कुश्ती में भारत के एकमात्र विश्व चैंपियन और राष्ट्रमंडल खेलों के तीन बार के स्वर्ण पदक विजेता हैं। 2010 में कुमार, विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने। ओलंपिक में दो व्यक्तिगत पदक जीतने वाले वह एकमात्र भारतीय खिलाड़ी हैं। कुश्ती का विश्व में डंका बजाने के लिए इन्हें अर्जुन अवार्ड, राजीव गाँधी खेल रत्न अवार्ड और पद्मश्री अवार्ड से नवाज़ा गया है।

    4.गीता फोगाट

    हमारी छोरी छोरों से कम हैं के...यह वाक्य गीता फोगाट पर एकदम सटीक बैठता है। गीता फोगट भारत की सबसे प्रसिद्ध महिला पहलवानों में से एक हैं और देश में पहली महिला पहलवान हैं। गीता फोगाट ने भारत के लिए 2010 नई दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में कुश्ती में भारत का पहला स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने 55 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक को अपने नाम किया था। इसके अलावा उन्होंने ग्लासगो 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में 58 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक प्राप्त किया था। वहीं कॉमनवेल्थ रेसलिंग चैंपियनशिप में फिर गीतो फोगाट को गोल्ड मेडल मिला था और 2011 में कॉमनवेल्थ रेसलिंग चैंपियनशिप में दोबारा गोल्ड मेडल को अपने नाम किया था।

    5.बजरंग पुनिया

    बजरंग पुनिया हरियाणा के एक भारतीय पहलवान हैं जो अपने एथलेटिक्स और फुर्ती के लिए प्रसिद्ध हैं। बजरंग पुनिया विश्व चैंपियनशिप में 4 पदक (1 सिल्वर, 3 ब्राॉन्ज) जीतने वाले एकमात्र भारतीय पहलवान बने थे। वह एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता और दो बार के राष्ट्रमंडल स्वर्ण पदक विजेता भी हैं। हालाँकि, पुनिया की सबसे बड़ी उपलब्धि 2020 के टोक्यो ओलंपिक में ब्राॉन्ज पदक जीतने का है। उन्होंने टोक्यो में घुटने की चोट के बावजूद कजाकिस्तान के दौलत नियाजबेकोव को 8-0 के अंतर से हराया था। पूनिया को 2024 पेरिस ओलंपिक में फिर से भारत का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। उन्होंने अब तक कुल 7 गोल्ड, 8 सिल्वर और 6 ब्राॉन्ज मेडल जीते हैं।

    6. साक्षी मलिक

    महिला पहलवनों में साक्षी मलिक सबसे सफल पहलवानों में से एक हैं। भारतीय पहलवान साक्षी मलिक ने राष्ट्रमंडल खेल 2022 के वूमेंस 62 किग्रा फ्रीस्टाइल रेसलिंग फाइनल में कनाडा की एना गोंजालेज को हराकर भारत के लिए आठवां स्वर्ण पदक हासिल किया था। राष्ट्रमंडल खेलों में यह साक्षी मलिक का पहला स्वर्ण पदक था। इससे पहले उन्होंने ग्लासगो 2014 में 58 किग्रा में ब्रॉन्ज और गोल्ड कोस्ट 2018 में सिल्वर पदक जीता था।

    7. रवि कुमार दहिया

    ओलंपिक सिल्वर पदक विजेता, विश्व चैंपियनशिप के ब्रॉन्ज पदक विजेता, कॉमनवेल्थ गेम्स के गोल्ड पदक विजेता और तीन बार के एशियाई चैंपियन रवि कुमार दहिया हाल के समय के भारत के बेहतरीन पहलवानों में से एक हैं। उन्होंने 2020 टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर पदक जीतकर प्रसिद्धि हासिल की। उन्होंने अब तक 2 गोल्ड, तीन सिल्वर और 1 ब्रॉन्ड मेडल जीता है।

    8. विनेश फोगाट

    विनेश फोगाट ने 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में 48 किग्रा वर्ग में गोल्ड मेडल जीतते हुए अपना पहला बड़ा इंटरनेशनल खिताब जीता था। विनेश ने इस्तांबुल में अपना ओलंपिक क्वॉलिफाइंग इवेंट जीतकर रियो 2016 के लिए अपना कोटा स्थान पक्का कर लिया था। 2018 कॉमनवेल्थ और एशियाई गेम्स दोनों में गोल्ड मेडल जीते थे। वह एशियन और कॉमनवेल्थ गेम्स दोनों में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं। उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में 3 गोल्ड और एशियन गेम्स में एक गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने 2019 में कजाकिस्तान में ब्रॉन्ज मेडल भी जीता, जो उनका पहला वर्ल्ड चैंपियनशिप मेडल था।

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    9. योगेश्वर दत्त

    योगेश्वर दत्त भारत के एक और प्रसिद्ध पहलवान हैं। दत्त ने कम उम्र में ही ट्रेनिंग शुरू कर दी थी और ओलंपिक, एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने के लिए कई बाधाओं को पार किया। दत्त 2019 में राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।

    भारत के नाम हुए अब तक कितने पदक

    राष्ट्रमंडल खेलों में अगर भारत के कुश्ती में जीते गए पदकों की बात की जाए तो ये आंकड़ा शतक पार कर चुका है। भारत ने अभी तक इन खेलों में कुल 102 पदक जीते हैं। वह इन खेलों में कुश्ती में सबसे ज्यादा पदक जीतने के मामले में कनाडा के बाद दूसरे नंबर पर है। भारत ने इन खेलों में कुश्ती में अभी तक 43 स्वर्ण, 37 सिल्वर और 22 ब्रॉन्ज पदक जीते हैं।

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