महिलाओं के लिए सबसे अनसेफ है दिल्ली, जयपुर और रांची, मुंबई पर भरोसा अब भी बरकरार; रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
भारत में 40% महिलाएं अपने ही शहरों में असुरक्षित महसूस करती हैं। 31 शहरों के सर्वे में रांची श्रीनगर कोलकाता दिल्ली असुरक्षित पाए गए। कोहिमा विशाखापत्तनम भुवनेश्वर सुरक्षित शहर हैं। नारी रिपोर्ट में सार्वजनिक स्थानों पर उत्पीड़न की बात भी सामने आई जिसमें 7% महिलाओं ने उत्पीड़न का सामना किया पर सिर्फ 33% ने रिपोर्ट किया।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। देश की 40 प्रतिशत महिलाएं अपने ही शहर में स्वयं को असुरक्षित महसूस करती हैं। ये बात महिलाओं की सुरक्षा पर आयी एक ताजा रिपोर्ट से पता चलती है। सभी राज्यों के 31 शहरों में किए गए सर्वे के मुताबिक रांची, श्रीनगर, कोलकाता, दिल्ली, फरीदाबाद, पटना और जयपुर महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित शहर पाए गए जबकि सबसे सुरक्षित शहर कोहिमा, विशाखापत्तनम, भुवनेश्वर, आइजोल, गंगटोक, ईटानगर और मुंबई हैं।
ये आंकड़े पीवैल्यू एनालिटिक्स की महिलाओं की सुरक्षा पर आयी ताजा रिपोर्ट नारी (नेशनल एनुअल रिपोर्ट एंड इन्डेक्स ऑन वोमेन्स सेफ्टी) में दिए गए हैं। गुरुवार को राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया किशोर रहाटकर ने दिल्ली में यह रिपोर्ट जारी की। सर्वे में प्रत्येक राज्य का एक बड़ा शहर शामिल किया गया है जबकि उत्तर प्रदेश के दो शहर लखनऊ और आगरा शामिल किये गए।
40 फीसदी सुरक्षित महसूस नहीं करतीं
सर्वे 18 वर्ष से ज्यादा आयु की 12770 महिलाओं की राय जानी गई। देश भर में महिला सुरक्षा को महिलाओं की निगाह से देखने से पता चलता है कि औसतन 64.6 प्रतिशत महिलाएं अपने शहर में खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं यानी बाकी की 40 प्रतिशत स्वयं को सुरक्षित नहीं महसूस करतीं।
जिन मानकों पर महिला सुरक्षा को आंका गया है उसमें संपूर्ण सुरक्षा, के साथ ही पड़ोस, परिवहन, शिक्षा, कार्यस्थल, स्वास्थ्य, मनोरंजन के स्थान और ऑनलाइन उत्पीड़न शामिल हैं। इसमें ढांचागत संसाधन के अलावा उत्पीड़न की घटनाएं और उनकी शिकायतें भी शामिल हैं।
7 फीसदी महिलाओं ने उत्पीड़न का सामना किया
- रिपोर्ट में सार्वजनिक स्थानों में उत्पीड़न को भी रेखांकित किया गया है। इसमें पाया गया है कि 2024 में सात प्रतिशत महिलाओं ने उत्पीड़न का सामना किया जिसमें 18 से 24 वर्ष की महिलाओं में जोखिम सबसे अधिक था। ये सात फीसद का आंकड़ा एनसीआरबी के 2022 के 0.07 फीसद के आंकड़े से काफी ज्यादा है। हालांकि एनसीआरबी के आंकड़े एफआईआर पर आधारित होते हैं जबकि ये रिपोर्ट महिलाओं द्वारा बताई गई घटनाओं पर आधारित हैं। जिसमें अनरिपोर्टेड मामले भी सामने आते हैं।
- सात प्रतिशत में से सिर्फ 33 फीसद ने रिपोर्ट किया और 16 फीसद में ही कार्रवाई हुई। रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं को रात के समय सुरक्षा चिंताएं ज्यादा होती हैं जिसका कारण पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर जिसमें लाइटिंग, पैट्रोलिंग के अलावा सामाजिक पहलू हैं। सुरक्षा को लेकर शासन तंत्र पर विश्वास को देखा जाए तो सिर्फ 25 प्रतिशत ने प्रभावी कार्रवाई को लेकर भरोसा जताया है जिसका मतलब निकलता है कि चार में से एक महिला को ही उचित कार्रवाई का भरोसा है।
मुंबई की महिलाएं सुरक्षित महसूस करती हैं
दिल्ली में असुरक्षा की भावना ज्यादा होने के बारे में पीवैल्यू एनालिटिक्स के प्रोजेक्टर डायरेक्टर सुमित अरोड़ा कहते हैं कि राजधानी में महिलाओं में सुरक्षा को लेकर अपेक्षाएं ज्यादा हैं। उनका कहना है कि राजधानी में रात-दिन महिलाओं का आना-जाना सुरक्षित होना चाहिए। वहीं कोलकाता में पिछले वर्ष अचानक महिलाओं के प्रति अपराधों में हुई बढ़ोत्तरी से भी सुरक्षा की पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
जबकि मुंबई की महिलाएं स्वयं को अपेक्षाकृत ज्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं। रहाटकर ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि महिलाओं की सुरक्षा चिंताओं को समझने की दिशा में एक बड़ा कदम है। हमारी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि हर महिला घर, कार्यस्थल, सार्वजनिक स्थान और ऑनलाइन स्वयं को सुरक्षित महसूस करे।
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