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जंगल में उतरीं ‘शेरनियां’ तो बदल गई इस टाइगर रिजर्व की तस्वीर

महिला गार्ड और गाइड जब एक साथ अचानकमार में उतरीं तो उनके भीतर न सिर्फ आत्मविश्वास जागा, बल्कि दूसरी युवतियों के लिए रोजगार का रास्ता खुल गया।

By TaniskEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 10:19 AM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 11:35 AM (IST)
जंगल में उतरीं ‘शेरनियां’ तो बदल गई इस टाइगर रिजर्व  की तस्वीर
जंगल में उतरीं ‘शेरनियां’ तो बदल गई इस टाइगर रिजर्व की तस्वीर

संदीप तिवारी,रायपुर। महिला गाइड और गार्ड के मोर्चा संभालते ही छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व में माहौल बदल गया है। इनका साहस देख अब पर्यटक भी निडर हो तफरी कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के जंगलों में सुरक्षा और मार्गदर्शन की कमान महिलाओं के हाथ में मिली तो रोजगार का नया रास्ता भी खुल गया। राजधानी रायपुर से 190 किमी दूर मुंगेली स्थित अचानकमार टाइगर रिजर्व में साल 2017 में पहली बार कुछ स्थानीय युवतियों को गाइड के तौर पर तैनात किया गया तो परिणाम सुखद निकले। 

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गार्ड और गाइड जब एक साथ अचानकमार में उतरीं तो उनके भीतर न सिर्फ आत्मविश्वास जागा, बल्कि दूसरी युवतियों के लिए रोजगार का रास्ता खुल गया। गांव में लड़कियों को कम आंकने वाले भी अब बगलें झांकने लगे। अचानकमार में पर्यटकों की संख्या बढ़ने का कारण महिला गाइडों को माना जा रहा है। उनके आने से महिला पर्यटकों को पारिवारिक माहौल मिलने लगा है। साल 2014-15 में 630 जिप्सी टिप में 3128 पर्यटकों ने भ्रमण किया था। वहीं साल 2017-18 में छह हजार से अधिक पर्यटक टाइगर रिजर्व घूमने पहुंचे। इनमें ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, इंडोनेशिया और बेल्जियम से आने वाले पर्यटक भी शामिल हैं। पर्यटकों की सुविधा के लिए यहां महिला गाइड को फॉरेस्ट अफसरों ने विशेष ट्रेनिंग भी दी है।

महिला फॉरेस्ट गार्ड के जिम्मे डॉग स्क्वॉड 

अचानकमार में साल 2013 में नियुक्त महिला गार्ड सरिता पैकरा ने राष्ट्रीय श्वान अकादमी ग्वालियर से डॉग स्क्वॉड की विशेष ट्रेनिंग ली है। जंगलों में किसी भी तरह की संदिग्ध परिस्थितियों पर ये अपने डॉग के साथ लगातार मॉनिटरिंग करती हैं। बम डिटेक्ट करना हो या नशीले पदार्थ सभी को ट्रेस करती हैं। पर्यटकों को गाइड भी करती हैं। कहती हैं, मेरा मायका और ससुराल दोनों ही जंगल के किनारे बसे हैं, शुरू से ही जंगलों से चिर-परिचित हैं। यहां फॉरेस्ट महिला गार्ड दीपिका कुर्रे और अंजली भारद्वाज खुद ही जंगलों के जानवरों के पग चिह्न लेती हैं। 

जंगल में बना पारिवारिक माहौल 

कुछ साल पहले तक जंगलों में महिला सुरक्षा गार्ड या गाइड का नामोनिशान नहीं था। महिला गाइड का प्रयोग तो सिर्फ अचानकमार में ही हो पाया। एक महिला गाइड कहतीं हैं, पहली बार जब यहां पर्यटकों को गाइड करने का काम मिला तो लगा कि कैसे करूंगी, अब ङिाझक दूर हुई। रोजगार भी मिला और अब दूसरी लड़कियां भी यहां आने के लिए तैयार हैं। उनके मां-बाप भी खुश हैं। यहां महिला गाइड या गार्ड होने से पारिवारिक माहौल बन गया है।

गांव की युवतियों ने तोड़ा मिथक

अचानकमार से लगे गांव बिंदावल की सात युवतियों ने यह मिथक तोड़ दिया कि युवतियां जंगल में काम नहीं कर सकतीं। साल 2013 में सरकार ने एकतरफ अचानकमार में पांच महिला फॉरेस्ट गार्ड की नियुक्ति की तो दूसरी तरफ जनवरी 2017 में सात महिला गाइड को तैनात किया गया। ये सभी युवतियां बिंदावल गांव की हैं। युवतियां पर्यटकों का गाइड करती हैं।

स्थानीय होने के नाते कोर एरिया और बफर एरिया में टाइगर, तेंदुआ, भालू, सोनकुत्ता, बायसन, हाथी जैसे खतरनाक जंगली जानवरों तक पर्यटकों को पहुंचाती हैं। यहां चीतल, बारहसिंघा, सांभर और मोर भी बहुतायत हैं। यही वजह है कि अभयारण्य से टाइगर रिजर्व बनने के कुछ सालों में पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ है। सातों युवतियां इलाके की होने के कारण जंगल के चप्पे- चप्पे से वाकिफ हैं, यही कारण है कि उन्हें ज्यादा दिक्कत नहीं हुई।

अचानकमार रिजर्व के डीएफओ संदीप बलगा ने कहा कि अचानकमार में पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है। महिला फॉरेस्ट गार्ड व गाइड की अहम भूमिका रहती हैं। उनके आने बाद यहां परिवार के साथ आने वाले या महिला पर्यटकों का आत्मविश्वास बढ़ा है।


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