1 लाख महीना कमाने वाली महिला ने छिपाई ये बात, मद्रास हाईकोर्ट ने बदला अपना फैसला
Madras High Court: एक कामकाजी महिला ने तलाक के बाद पति से अधिक गुजारा भत्ता पाने के लिए अदालत में अपनी आय (जो लगभग 1 लाख रुपये प्रति माह थी) के बारे में गलत जानकारी दी। पहले अदालत ने पति को 15,000 रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। बाद में, पति के वकील ने महिला की वास्तविक आय का खुलासा किया, जिसके बाद मद्रास हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ता घटाकर 10,000 रुपये कर दिया।

मद्रास हाईकोर्ट का मेंटेनेंस पर बड़ा फैसला। फाइल फोटो
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तलाक के बाद पति से मोटी रकम वसूलने के लिए एक महिला ने अदालत को गलत जानकारी दी। महिला खुद एक वर्किंग वूमन है और उसे 1 लाख रुपये प्रति महीने सैलरी मिलती है। हालांकि, पति से मेंटेनेंस लेने के लिए महिला ने कोर्ट को अपनी गलत सैलरी स्लिप दे दी, जिसके मद्देनजर अदालत ने पति को हर महीने अपनी पूर्व पत्नी को 15000 रुपये मेंटेनेंस अदा करने का आदेश दिया।
यह मामला मद्रास हाईकोर्ट का है। मामला सामने आने के बाद हाईकोर्ट ने मेंटेनेंस राशि को 15000 से घटाकर 10000 रुपये कर दिया है। बचाव पक्ष (पति) के वकील ने एपी लोगनाथन अदालत में बताया कि महिला ने अपनी नौकरी और सैलरी के बारे में झूठी जानकारी दी है।
अदालत से सामने आया सच
लोगनाथन ने अपने पक्ष को साबित करने के लिए अदालत के सामने कुछ दस्तावेज भी पेश किए, जिससे साफ हो गया कि महिला की प्रति माह आय 1 लाख रुपये के लगभग है। हालांकि, महिला ने दिसंबर 2022 में अपनी सैलरी स्लिप दिखाते हुए 87,876 रुपये की आय दर्शायी थी।
लोगनाथन के साक्ष्यों से साफ हो गया कि महिला ने अदालत में गलत हलफनामा दायर किया था। कोर्ट का कहना है कि बच्चे के भरण-पोषण की जिम्मेदारी सिर्फ पिता पर नहीं, बल्कि माता-पिता दोनों पर होती है। ऐसे में खुद के लाभ के लिए कानून का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है।
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि यह मामला दिसंबर 2022 का है। इस कपल का एक बेटा भी है, जिसके पालन-पोषण के लिए पत्नी ने 15,000 रुपये प्रति महीने का भत्ता मांगा था। भत्ता हासिल करने के लिए महिला ने अपनी असली आय को छिपाया और अदालत के सामने गलत दस्तावेज पेश किए। मगर, अब मामला सामने आने के बाद अदालत ने मेंटेनेंस से 5000 रुपये कम कर दिए हैं और पति को हर महीने 10,000 रुपये अदा करने का आदेश दिया है।

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