अगले डेढ़ दशक के भीतर वायुसेना से रिटायर होंगे मिग-29, जगुआर सहित कई लड़ाकू विमान, चरणबद्ध तरीके से होंगे बाहर
भारतीय वायुसेना अब पुराने हो चुके मिग-29 और जगुआर लड़ाकू विमानों को अगले 12-13 सालों के दौरान अपने बेड़े से बाहर करते हुए रिटायर कर देगी। वायुसेना चरणबद्ध तरीके से सन 2035 तक इन विमानों को अपने लड़ाकू बेड़े से बाहर कर देगी।

संजय मिश्र, नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना अब पुराने हो चुके मिग-29 और जगुआर लड़ाकू विमानों को अगले 12-13 सालों के दौरान अपने बेड़े से बाहर करते हुए रिटायर कर देगी। वायुसेना चरणबद्ध तरीके से सन 2035 तक इन विमानों को अपने लड़ाकू बेड़े से बाहर कर देगी। हालांकि वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल वीआर चौधरी ने दो टूक साफ कर दिया है कि भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों के तय 42 बेड़े के लक्ष्य में किसी तरह की कोई कटौती या समीक्षा नहीं की जाएगी। चीन और पाकिस्तान की दोहरी चुनौतियों के साथ मौजूदा वैश्विक परिदृश्य के मद्देनजर भारतीय वायुसेना अपने अधिकतम बेड़े के लक्ष्य में कटौती को मुनासिब नहीं मानती।
इन विमानों को किया जाएगा चरणबद्ध तरीके से बाहर
वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल वीआर चौधरी ने भारतीय वायुसेना की 90वीं वर्षगांठ से पूर्व अपनी सालाना प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पुराने पड़े रहे वायुसेना के विमानों को बाहर करने से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए कहा कि अगले डेढ दशक के दौरान वर्तमान में संचालित तीन मिग-29 बाइसन बेड़े को वायुसेना चरणबद्ध तरीके से रिटायर कर देगी। लंबी सेवा उम्र को देखते हुए जगुआर लड़ाकू विमानों के बेड़े को भी 2025 तक चरणबद्ध तरीके से बाहर किया जाएगा और 2032 तक जगुआर के छह बेड़े वायुसेना से बाहर हो जाएंगे। इसके बाद मिराज 2000 के अपग्रेडेड विमानों की भी वायुसेना के बेड़े से विदाई हो जाएगी।
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आधुनिक लड़ाकू विमानों को बेड़े में किया जाएगा शामिल
वायुसेना प्रमुख ने कहा सन 2035-36 तक भारतीय वायुसेना 35 बेड़े के लक्ष्य को हासिल कर लेगी। इन लड़ाकू विमानों को बाहर करने से पूर्व वायुसेना आधुनिक चौथे-पांचवे जेनरेशन के लड़ाकू विमानों को अपने बेड़े का हिस्सा बनाने की कार्ययोजना पर अमल कर रही है। इस क्रम में राफेल से लेकर हल्के लड़ाकू विमान तेजस के साथ मध्यम रेंज के कई लड़ाकू विमानों को शामिल करने की योजना पर आगे बढ़ रही है। वायुसेना के पास इस समय 31 विमानों के बेड़े हैं और उसका लक्ष्य 42 बेड़े तैयार करना है।
रणनीतिक संतुलन बनाए रखना जरूरी
वायुसेना प्रमुख ने 42 बेड़े की इस संख्या के लक्ष्य को पाने की चुनौतियों से जुड़े सवाल पर स्वीकार किया कि इसे हासिल करने में चाहे डेढ़-दो दशक लगे मगर हम बेड़े की संख्या में कमी पर किसी तरह का विचार नहीं कर रहे। वहीं वायुसेना उप प्रमुख एयर मार्शल संदीप सिंह ने कहा कि चीन-पाकिस्तान की चुनौती के साथ वैश्विक परिस्थितियों के हिसाब से रणनीतिक संतुलन बनाए रखना जरूरी है और इसलिए वायुसेना अपने 42 बेड़े के लक्ष्य में कटौती नहीं कर सकती।
तेजस लड़ाकू विमानों के लिया दिया गया है आर्डर
उन्होंने कहा कि हम चीन के साथ एक तनावपूर्ण स्थिति में नहीं आना चाहते हैं, लेकिन हमें इसे संतुलित करना होगा। यह एक जटिल स्थिति है और निश्चित रूप से संख्या को कम नहीं किया जा सकता है। खासतौर से सरक्रीक से सियाचीन तक अलग अलग भौगोलिक चुनौतियों के कारण हमें संख्या भी चाहिए। वायुसेना प्रमुख ने कहा कि पहले ही 83 एलसीए तेजस एमके-1ए लड़ाकू विमानों को हासिल करने का आर्डर दिया जा चुका है।
2042 तक 42 लड़ाकू विमानों के बेड़े को तैयार करने का लक्ष्य
तेजस एमके 2 के साथ-साथ स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के लिए एक ऑर्डर देने की योजना है और ये दोनों अभी डिजाइन के चरण में हैं। इसके अलावा वायुसेना पहले ही 114 मध्यम श्रेणी के लड़ाकू विमान को हासिल करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। एयरचीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि 2042 तक वायुसेना अपने स्वीकृत 42 लड़ाकू विमानों के बेड़े के लक्ष्य को हासिल करने का प्रयास करेगी।
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