विपक्षी गठबंधन रह पाएगा एकजुट? कांग्रेस-आप की भिड़ंत के बाद बजट सत्र में होगी I.N.D.I.A. की अग्निपरीक्षा
दिल्ली चुनाव अभियान के दौरान कांग्रेस-आप की भिड़ंत के बाद बजट सत्र में विपक्षी एकजुटता की कड़ी अग्निपरीक्षा होगी। दिल्ली चुनाव में कांग्रेस व आप की सियासी जंग से बजट सत्र में विपक्षी एकता पर असर दिखेगा। तृणमूल कांग्रेस का सियासी रूख कांग्रेस को पहले से ही परेशान करता रहा है। राहुल गांधी ने केजरीवाल पर शराब घोटाले को लेकर सीधा हमला बोला।

संजय मिश्र, जागरण नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव की सियासी गरमागरमी के बीच शुक्रवार से शुरू होने जा रहे संसद के बजट सत्र के दौरान विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए की एकजुटता अंदरूनी मतभेदों की कसौटी पर रहेगी। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच राजधानी के चुनावी अखाड़े में जिस तरह आमने-सामने की तीखी भिड़ंत का दौर चल रहा उसे देखते हुए विपक्षी दलों में संयुक्त रणनीति पर सहमति बन पाएगी इसको लेकर आशंकाओं के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं।
कांग्रेस के साथ तृणमूल कांग्रेस की अर्से से चलती रही सियासी खींचतान के बाद अब आप से बढ़ा टकराव साफतौर पर संसद में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की सिरदर्दी बढ़ाएगा। राजधानी के चुनावी अखाड़े में कांग्रेस को भले आप और अरविंद केजरीवाल की जरूरत नहीं है, मगर संसद में ज्वलंत मुद्दों पर मोदी सरकार को बैकफुट पर रखने के लिए आइएनडीआइए के सभी घटकों का समर्थन अपरिहार्य है।
शीतकालीन सत्र के दौरान कई बार दिखी विपक्षी गठबंधन की दरार
2024 के लोकसभा चुनाव के बाद हुए संसद के पहले कामकाजी सत्र में विपक्षी एकजुटता की वजह से सरकार जवाबदेही से जुड़े कई सवालों को नजरअंदाज नहीं कर पाई। लेकिन हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव में कांग्रेस की अप्रत्याशित पराजय के बाद विपक्षी गठबंधन की इस एकजुटता में दरार शीत सत्र के दौरान कई बार नजर आई।
अदाणी मुद्दे पर टीएमसी ने नहीं दिया कांग्रेस का साथ
तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे दलों ने अदाणी मुद्दे पर एनडीए-भाजपा सरकार को घेरने की कांग्रेस की आक्रामक रणनीति का एक सीमा के बाद साथ नहीं दिया। टीएमसी ने तो विपक्ष का नेतृत्व करने के कांग्रेस की स्वाभाविक दावेदारी पर भी राजनीतिक बयानबाजी के जरिए सवाल उठाए थे।
टीएमसी, आप और सपा में दिखी एकजुटता
वस्तुत: बीते शीत सत्र के मध्य में ही टीएमसी और सपा के साथ आप ने लगभग एक होकर विपक्ष की संसदीय रणनीति बदलने के लिए कांग्रेस को बाध्य कर दिया। वह तो संविधान पर बहस के दौरान गृहमंत्री अमित शाह के बाबा साहब आंबेडकर से जुड़े बयान पर हुए सियासी संग्राम का नतीजा रहा कि विपक्षी खेमे की अंदरूनी खटपट यहीं ठहर गई।
चुनाव अभियान में आप और कांग्रेस के बीच तीखे हमले
लेकिन आप नेताओं विशेषकर अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के चुनाव अभियान के दौरान कांग्रेस के शीर्षस्थ नेता राहुल गांधी के खिलाफ आक्रामक निजी हमला बोला है उसे देखते हुए चुनाव मौसम में उनकी पार्टी कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष की साझी रणनीति का हिस्सा बनेगी इसमें संदेह है। वैसे अजय माकन, संदीप दीक्षित, देवेंद्र यादव जैसे दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केजरीवाल पर प्रहार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।
राहुल गांधी ने शराब घोटाले पर केजरीवाल को घेरा
वहीं लगातार दूसरे दिन चुनाव अभियान में उतरे राहुल गांधी ने शराब घोटाले के भ्रष्टाचार को लेकर जिस तरह केजरीवाल पर बुधवार को एक बार फिर सीधे हमला बोला उससे साफ है कि फिलहाल संसद में विपक्षी एकजुटता की रणनीति नहीं पार्टी की राजनीति कांग्रेस की प्राथमिकता में है।
सपा दिल्ली में आप का नैतिक समर्थन करने की घोषणा पहले ही कर चुकी है। जबकि तृणमूल कांग्रेस ने अपने सांसद सिने स्टार बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा को आप का प्रचार करने के लिए नामित कर अपने इरादों का कांग्रेस को संकेत दे दिया है और ऐसे में विपक्षी एकता को सियासी ट्रैक पर बनाए रखना कांग्रेस के लिए कहीं ज्यादा चुनौती रहेगा।
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