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समझिए क्या है तेल का खेल, पेट्रोल-डीजल के दाम क्यों छू रहे आसमान

पेट्रोल-डीजल की कीमतें मौजूदा समय में अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं। कहा जा रहा है कि कीमतें अभी और बढ़ सकती हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 22 May 2018 08:43 AM (IST)Updated: Wed, 23 May 2018 09:43 AM (IST)
समझिए क्या है तेल का खेल, पेट्रोल-डीजल के दाम क्यों छू रहे आसमान

[जागरण स्पेशल]। पेट्रोल-डीजल की कीमतें मौजूदा समय में अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं। कहा जा रहा है कि कीमतें अभी और बढ़ सकती हैं। एक दिलचस्प बात यह है कि जो देश भारत से तेल खरीदते हैं, वे हमसे सस्ती कीमत में इसे बेचते हैं। देखते हैं कि पेट्रोल के दाम आसमान क्यों छू रहे हैं और कैसे तय होती है इनकी कीमत :

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तो इसलिए तेल में लग रही आग
कच्चे तेल की कीमत और पेट्रोल-डीजल की बढती मांग इसकी मुख्य वजह है। कच्चे तेल की कीमत हालांकि अभी 70 डॉलर प्रति बैरल है। याद होगा कि 2013-14 में यह रेट 107 डॉलर प्रति बैरल तक पहंच गया था। उस वक्त जब कीमतें सरकारी नियंत्रण से मुक्त हो गईं तो इसका सीधा असर कीमतों पर पड़ा। हालांकि इंडियन बास्केट के कच्चे तेल की कीमत घटी, लेकिन कई तरह के टैक्स की वजह से देश में पेट्रोल-डीजल महंगा होता चला जा रहा है।

कैसे तय होते हैं दाम
सबसे पहले खाड़ी या दूसरे देशों से तेल खरीदते हैं, फिर उसमें ट्रांसपोर्ट खर्च जोड़ते हैं। क्रूड आयल यानी कच्चे तेल को रिफाइन करने का व्यय भी जोड़ते हैं। केंद्र की एक्साइज ड्यूटी और डीलर का कमीशन जुड़ता है। राज्य वैट लगाते हैं और इस तरह आम ग्राहक के लिए कीमत तय होती है।

चार साल में 12 बार बढ़ीं कीमतें
बीते चार साल में सरकार ने कम से कम एक दर्जन बार ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी यानी उत्पाद शुल्क में इजाफा किया है। नतीजतन मौजूदा सरकार को पेट्रोल पर मनमोहन सिंह की सरकार के कार्यकाल में 2014 में मिलने वाली एक्साइज ड्यूटी के मुकाबले 10 रुपये प्रति लीटर ज्यादा मुनाफा होने लगा। इसी तरह डीजल में सरकार को पिछली सरकार के मुकाबले 11 रुपये प्रति लीटर ज्यादा मिल रहे हैं।

पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी में 105. 49 फीसदी और डीजल में 240 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। दरअसल, फिलहाल पेट्रोल डीजल में कई सारे टैक्स शामिल हैं। मसलन, एक्साइज ड्यूटी और वैट (मूल्य संवर्धित कर)। इसके अलावा डीलर की ओर से लगाया गया रेट और कमीशन भी कीमतों में जुड़ते हैं। एक्साइज ड्यूटी तो केंद्र सरकार लेती है, जबकि वैट राज्यों की आमदनी (राजस्व) में जुड़ता है।  


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