BMC Elections: मुंबई नगर निकाय चुनाव पर क्यों है पूरे देश की नजर? पढ़ें पूरी डिटेल
बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (बीएमसी) चुनाव जल्द होने वाले हैं। हालाँकि ये चुनाव मुंबई के लिए हैं, पर इनकी राजनीति और कैंपेन ने इसे राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया है। तीन साल बाद हो रहे इन चुनावों पर सबकी नजर है। पिछली बार 2017 में चुनाव हुए थे, लेकिन वार्ड परिसीमन के कारण देरी हुई। सुप्रीम कोर्ट ने 31 जनवरी तक चुनाव कराने का आदेश दिया है। बीएमसी का बजट लगभग 75,000 करोड़ रुपये है, जो इसे एशिया का सबसे अमीर निकाय बनाता है।

बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन चुनाव पर सभी की निगाहें।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (बीएमसी) चुनावों की घोषणा जल्द ही होने की संभावना है। हालांकि ये चुनाव मुंबई शहर और उसके आस-पास के इलाकों के लिए हैं, लेकिन राजनीति, पैसा, कैंपेन और राजनीतिक संदेश ने इसे एक राष्ट्रीय मामला बना दिया है।
महाराष्ट्र में तीन साल बाद स्थानीय निकाय के चुनाव हो रहे हैं और सबसे ज्यादा नजर बीएमसी चुनाव पर है। पिछली बार 2017 में नगर परिषद, नगर पंचायत और नगर निगम के सदस्यों को चुनने के लिए लोकल चुनाव हुए थे। चुनाव 2022 में होने थे लेकिन वार्ड परिसीमन और आरक्षण के मुद्दों की वजह से इसमें देरी हुई। इस साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव 31 जनवरी तक पूरे होने चाहिए।
एशिया का सबसे अमीर निकाय
पिछले बीएमसी बजट में इस वित्तीय वर्ष के लिए लगभग 75,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया था। यह रकम बेंगलुरु की नागरिक निकाय से लगभग चार गुना है, जो हर साल सिर्फ लगभग 20,000 करोड़ रुपये खर्च करती है। इस बड़े बजट की वजह से बीएमसी को एशिया का सबसे अमीर नागरिक निकाय में से एक होने का नाम मिलता है।
बहुत बड़ी आबादी
बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन 483 स्क्वायर किमी. में फैले 1.3 करोड़ से ज्यादा लोगों को सर्विस देता है। साउथ मुंबई के पॉश इलाकों से लेकर बांद्रा और जुहू जैसे लोकप्रिय उपनगरों तक, फिर दहिसर और देवनार जैसे दूर-दराज के उपनगरों तक, पूरी मुंबई का बीएमसी चुनाव में हिस्सा है।
इसलिए है पूरे देश की नजर
हालांकि बीएमसी चुनाव ज्यादा मुंबई शहर और उसके आस-पास के इलाकों के सिविक मुद्दों से जुड़े होते हैं, लेकिन इसमें एक बड़ा राजनीतिक कैंपेन भी होता है। इस मैसेज का असर अक्सर पूरे देश में होता है। मुंबई शहर भारत का एक छोटा सा रूप है और चुनावों पर उन लोगों की भी कड़ी नजर रहती है जिनका इससे सीधे तौर पर कोई लेना-देना नहीं है।
यह चुनाव शिवसेना में फूट के बाद हो रहा है, जिसका मुंबई नागरिक निकाय पर काफी हद तक दबदबा था। 2017 में फूट के कारण, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट के पास सबसे ज्यादा कॉर्पोरेटर थे। लेकिन इस बार उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाला शिवसेना गुट और राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना भी अहम भूमिका निभा रही है।
भाजपा लंबे समय से बीएमसी पर कंट्रोल करने की उम्मीद कर रही है और यह पार्टी नेतृत्व का एक खास प्रोजेक्ट रहा है। 2017 में पार्टी 82 सीटें जीतकर करीब पहुंच गई थी, लेकिन मेयर का पद अविभाजित शिवसेना को चला गया, जिसने 84 सीटें जीती थीं। इस बार भाजपा यह पक्का करना चाहती है कि वह सबसे ज्यादा कॉर्पोरेटर सीटें जीते।

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