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Papua New Guinea: भारत के लिए क्यों अहम है पापुआ न्यू गिनी, पीएम मोदी की यात्रा के क्या हैं मायने

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पापुआ न्यू गिनी की यात्रा बेहद खास है। पीएम मोदी का यह दौरा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए एक कूटनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है। फोटो- एएनआई।

By Sonu GuptaEdited By: Sonu GuptaPublished: Tue, 23 May 2023 01:26 AM (IST)Updated: Tue, 23 May 2023 01:26 AM (IST)
Papua New Guinea: भारत के लिए क्यों अहम है पापुआ न्यू गिनी, पीएम मोदी की यात्रा के क्या हैं मायने
भारत के लिए क्यों अहम है पापुआ न्यू गिनी, पीएम मोदी की यात्रा के क्या हैं मायने। फोटो- एएनआई।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान, पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर हैं। हालांकि, पीएम मोदी इन सभी देशों की यात्रा के अंतिम चरण में पापुआ न्यू गिनी के बाद अब ऑस्ट्रेलिया पहुंच गए हैं। पीएम मोदी का यह दौरा भारत के लिए बेहद खास है। मालूम हो कि यह पहली यात्रा है, जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने हिंद-प्रशांत देश पापुआ न्यू गिनी की यात्रा की हो। हालांकि, पीएम मोदी से पहले साल 2016 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी यहां गए थे।

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हिंद-प्रशांत में क्यों बढ़ी है भारत की चिंता?

पीएम मोदी की पापुआ न्यू गिनी की इस यात्रा को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए एक कूटनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है। पापुआ न्यू गिनी में चीन के बढ़ते प्रभाव का खामियाजा पूरे हिंद-प्रशांत में देखने को मिल सकता है और इस क्षेत्र में सुरक्षा के लिए घातक साबित हो सकता है।

भारत और पापुआ न्यू गिनी के बीच कैसे हैं संबंध?

कोरोना महामारी के दौरान दुनिया के कई देशों ने जब इसकी टीका बनाने में कामयाब हो गए थे और कोरोना वैक्सीन को दूसरे अन्य देशों में निर्यात करने पर रोक लगा दिए थे, इस दौरान भारत ने इस द्वीपीय देश पापुआ न्यू गिनी की मदद की। भारत ने कोरोना महामारी के दौरान पापुआ न्यू गिनी को एक लाख 31 हजार खुराक भेजी थी।

  • भारत ने द्वीपीय देश पापुआ न्यू गिनी में अपना पहला उच्चायोग आज से 27 साल पहले वर्ष  1996 में खोला था।
  • पापुआ न्यू गिनी में उच्चायोग खोलने के 10 साल के बाद द्वीपीय देश ने साल 2006 में भारत में उच्चायोग शुरू किया था। 
  • पापुआ न्यू गिनी में यात्रा करने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं नरेंद्र मोदी, इससे पहले साल 2016 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस देश की यात्रा की थी।
  • भारत पापुआ न्यू गिनी को कई प्रकार का सामान निर्यात करता है, जिसमें टेक्सटाइल, दवा, सर्जिकल आइटम, साबुन, मशीनरी, आदी जरूरी सामान शामिल है।
  • पापुआ न्यू गिनी को भारत समय-समय पर मानवीय सहायता देता रहता है। कोरोना महामारी के दौरान भारत ने इस द्वीपीय देश को एक लाख 31 वैक्सीन का खुराक मुहैया कराया था।
  • पापुआ न्यू गिनी में करीब 3000 रहते हैं भारतीय

 

क्या चीन की तरफ झुकाव दिखा रहा है पापुआ न्यू गिनी?

मालूम हो कि चीन ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना के तहत पापुआ न्यू गिनी के करीब सोलोमन द्वीप समूह के साथ एक सुरक्षा समझौता किया था, जिसके बाद चीन ने राजधानी होनियारा में बंदरगाह बनाने का एक अनुबंध हासिल किया। चीन के इस कदम को देखते हुए पापुआ न्यू गिनी बीजिंग की ओर झुकाव दिखा रहा है, जो क्वाड समूह के देश भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के लिए एक बहुत बड़ी चिंता है।

पुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मरापे ने साल 2022 में बैंकॉक में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की थी, जिसके बाद बीजिंग ने कहा था कि चीन और पापुआ न्यू गिनी दोनों एक अच्छे दोस्त हैं। इस दौरान चीन ने मारापे को चीन की यात्रा के लिए निमंत्रण दिया था।  

पापुआ न्यू गिनी ने पीएम मोदी के लिए तोड़ा परंपरा

पीएम मोदी ने जापान के हिरोशिमा में आयोजित जी-7 समूह की बैठक और क्वाड समूह की बैठक में शामिल होने के बाद पापुआ न्यू गिनी पहुंचे। इस दौरान पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मरापे ने उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया और पीएम मोदी के पैर भी छुए।  

मालूम हो कि पापुआ न्यू गिनी की सरकार ने इस दौरान अपने पारंपरिक प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए पीएम नरेंद्र मोदी की अगवानी की। प्रशांत महासागर में स्थित यह द्वीपीय देश रात्रि पहर में विदेशी मेहमानों की राजकीय सम्मान के साथ अगवानी नहीं करता है लेकिन भारत की अहमियत व वैश्विक मंच पर पीएम मोदी की बढ़ती साख को देखते हुए वहां की सरकार ने ऐसा किया।

पापुआ न्यू गिनी को क्या देगा भारत?

पापुआ न्यू गिनी में पीएम मोदी ने FIPIC के तीसरे सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस दौरान पीएम मोदी ने हिंद-प्रशांत के देशों के लिए 12 सूत्रीय एक्शन प्लान का भी एलान किया।

  • पापुआ न्यू गिनी को भारत आईटी और साइबर सिक्योरिटी का हब बनाएगा।
  • छोटे और मझौले उद्योगों को स्थापित करने में मदद करेगा भारत।
  • सागर अमृत स्कॉलरशिप के तहत अगले पांच साल में 1000 छात्रों को  स्कॉलरशिप प्रदान की जाएगी। 


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