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Lachit Borphukan Birth Anniversary: जानें कौन थे 'पूर्वोत्तर के शिवाजी' लचित बोरफुकन, मुगलों से लिया था लोहा

Lachit Borphukan Birth Anniversary लचित बोरफुकन अपने जज्बे के लिए जाने जाते थे जिन्होंने कई बार मुगलों को युद्ध में हराया। लचित को पूर्वोत्तर का शिवाजी भी कहा जाता है ऐसा किस लिए कहा जाता है वह आज आप जान पाएंगे।

By Mahen KhannaEdited By: Published: Wed, 23 Nov 2022 10:24 AM (IST)Updated: Wed, 23 Nov 2022 10:40 AM (IST)
Lachit Borphukan Birth Anniversary लचित बोरफुकन की कल जयंती मनाई जाएगी।

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। पूर्वोत्तर में मुगलों को धूल चटाने वाले लचित बोरफुकन की कल जयंती मनाई जाएगी। असम सरकार इसको लेकर आज से ही एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन भी कर रही है। लचित अपने जज्बे के लिए जाने जाते थे, जिन्होंने कई बार मुगलों को युद्ध में हराया था। बता दें कि लचित बोरफुकन को पूर्वोत्तर का शिवाजी भी कहा जाता है, ऐसा किस लिए कहा जाता है वो आप इस खबर को पढ़कर जान पाएंगे।

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मुगलों को गुवाहाटी से किया बाहर

लचित ने मुगलों को कई बार धूल चटाई और हमेशा युद्ध में हराया। लचित ने मुगलों के कब्जे से गुवाहाटी को छुड़ा कर उसपर फिर से अपना कब्जा कर लिया था और मुगलों को गुवाहाटी से बाहर धकेल दिया था। इसी गुवाहाटी को फिर से पाने के लिए मुगलों ने अहोम साम्राज्य के खिलाफ सराईघाट की लड़ाई लड़ी थी। इस युद्ध में मुगल सेना 1,000 से अधिक तोपों के अलावा बड़े स्तर पर नौकाओं का उपयोग किया था, लेकिन फिर भी लचित की रणनीति के आगे उनकी एक नहीं चली थी।

पूर्वोत्तर के शिवाजी के नाम से जाने जाते थे

लचित बोरफुकन को पूर्वोत्तर का शिवाजी भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने शिवाजी की तरह मुगलों की कई बार रणनीति फेल की थी और युद्ध के मैदान में हराया था। गुवाहाटी पर मुगलों का कब्जा होने के बाद लचित ने शिवाजी की तरह ही उनको बाहर निकाला था।

24 नवंबर को मनाया जाता है लचित दिवस   

मुगलों को हराने वाले लचित बोरफुकन के पराक्रम और सराईघाट की लड़ाई में असमिया सेना की विजय की याद में हर साल असम में 24 नवंबर को लचित दिवस मनाया जाता है। लचित के नाम पर नेशनल डिफेंस एकेडमी  में बेस्ट कैडेट गोल्ड मेडल भी दिया जाता है, जिसे लचित मेडल भी कहा जाता है। 

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