Delta Variant को लेकर WHO ने दी चेतावनी, कई देशों में बन सकता है तीसरी लहर की वजह
डेल्टा वैरिएंट ने पूरी दुनिया की चिंता को बढ़ा दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन इसको लेकर दुनिया को आगाह कर रहा है। इसकी वजह से कुछ देशों ने अपने यहां पर आंशिक लॉकडाउन लगाया है तो कुछ इस पर फिर से विचार कर रहे हैं।
नई दिल्ली (एजेंसियां)। डेल्टा वायरस के मामले हर रोज बढ़ रहे हैं। इसके बढ़ते मामलों के मद्देनजर विश्व स्वास्थ्य संगठन लगातार पूरी दुनिया को इसके प्रति आगाह कर रहा है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक अब तक दुनिया के 98 देशों में ये पहुंच चुका है। इन देशों ने इसके मामले सामने आने की पुष्टि की है। WHO का कहना है कि जल्द से जल्द अधिकतर लोगों का टीकाकरण कर इस समस्या से बचा भी जा सकता है। संगठन की तरफ से ये भी कहा गया है कि डेल्टा वैरिएंट के अधिकतर मामले वहां पर सामने आ रहे हैं जहां पर वैक्सीनेशन नहीं हुआ है।
रविवार को इसके प्रति दुनिया को सचेत करते हुए संगठन के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉक घेबरेसस ने कहा था कि दुनिया ऐसे खतरनाक दौर से गुजर रही है जहां डेल्टा जैसे वैरिएंट विकसित हो रहे हैं और अपना रूप भी बदल रहे हैं। उनके मुताबिक वैक्सीनेशन में पिछड़ने वाले देशों में इसकी बदौलत एक बार फिर हालात खराब होते दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि डेल्टा वैरिएंट कई देशों में तेजी से फैल रहा है। इसकी वजह से कई देशों में लोगों के बीच तनाव का माहौल बन रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि कई देशों में डेल्टा वैरिएंट महामारी की तीसरी लहर का बड़ा कारण बन सकता है।
टेड्रोस ने चेताया है कि डेल्टा वैरिएंट लगातार अपना रूप बदल रहा है। उन्होंने कहा है कि सभी देशों में आक्सीजन, टेस्टिंग, इलाज, पीपीई किट समेत उन सभी चीजों की उपलब्धता होनी चाहिए जो इस महामारी को रोकने में सहायक साबित हो सकती है। आपको बता दें कि संगठन की तरफ से डेल्टा वैरिएंट के यूरोप में भयानक रूप इख्तियार करने की चेतावनी पहले ही संगठन की तरफ से दी जा चुकी है।
एपी के मुताबिक यूरोपीयन सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने कहा है कि जो लोग अब तक वैक्सीनेट नहीं हुए हैं उनको इससे संक्रमित होने का रिस्क काफी अधिक है। एजेंसी ने स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से बताया है कि यहां पर अगस्त के अंत तक यूरोपीयन यूनियन के अंतर्गत आने वाले 27 देशों में करीब 90 फीसद लोगों को वैक्सीन लगा दी जाएगी। इस बीच अमेरिकी विशेषज्ञ डॉक्टर एंथनी फॉसी ने कहा है कि इस वैरिएंट में इंसान से इंसान के बीच अधिक तेजी से फैलने की क्षमता है। इसलिए ही ये अधिक खतरनाक होता जा रहा है।