Road Accident: WHO ने जारी किए हेलमेट के इस्तेमाल संबंधी वैश्विक दिशा-निर्देश, कम हो सकते हैं सड़क हादसों में मौत के मामले
World Health Organization के अनुसार सड़क हादसों में सबसे अधिक पांच साल के बच्चों से लेकर 29 साल के युवा तक मारे जाते हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक सभी सड़क हादसों में से करीब तीस फीसद मौतें दो पहिया और तिपहिया वाहनों में सवार लोगों की होती हैं।

नई दिल्ली, एजेंसी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया भर में सड़क हादसों में होने वाली मौतों पर चिंता जताते हुए सड़क सुरक्षा नियमों को लेकर वैश्विक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दो नीतियों में दो पहिया और तिपहिया वाहनों में सुरक्षित हेलमेट के अनिवार्य प्रयोग के साथ ही उनकी जान बचाई जा सकती है। पदयात्रियों की सुरक्षा के लिए भी बेहतर उपाय करने को कहा गया है। चूंकि दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में दो पहिया व तिपहिया वाहनों पर चलने वाले 64 फीसद लोग मारे जाते हैं। इसके बावजूद दुनिया भर के सड़क हादसों में सबसे अधिक हताहत पैदल चलने वाले ही होते हैं। पूरे विश्व के लिए इन गाइडलाइंस को तैयार करने में दिल्ली आइआइटी के विशेषज्ञों की अहम भूमिका है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार पूरी दुनिया में हर साल सड़क हादसों में 13 लाख लोग मारे जाते हैं। इस आधार पर दुनिया में हर एक मिनट में दो से अधिक मौतें होती हैं। इसमें भी सबसे चिंताजनक बात यह है कि हर दस में से नौ मौतें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं।

सड़क हादसों में सबसे अधिक पांच साल के बच्चों से लेकर 29 साल के युवा तक मारे जाते हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक सभी सड़क हादसों में से करीब तीस फीसद मौतें दो पहिया और तिपहिया वाहनों में सवार लोगों की होती हैं। इसमें भी दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में जहां दुपहिया और तिपहिया वाहनों का भरपूर उपयोग होता है, वहां सड़क हादसों में 64 फीसद लोग मारे जाते हैं और करीब 74 फीसद लोगों को ब्रेन इंजरी होती है।

डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों के अनुसार जानमाल के इस नुकसान से बचने के लिए दो पहिया वाहनों और तीन पहिया वाहन सवारों को पूरी तरह से सिर को कवर करने वाले मजबूत हेलमेट पहनना जरूरी है। साथ ही, पैदल यात्रियों की सुरक्षा के लिए कई केस स्टडीज और नए सुबूत जुटाने समेत कई उपाय करने के निर्देश दिए गए हैं।
सड़क हादसों में पैदल यात्रियों की मौत लगभग दोगुनी हो गई
डब्ल्यूएचओ में सुरक्षा व गतिशीलता के प्रमुख डा. हान ट्रान ने कहा, ''इस नई नियमावली से नीति निर्माताओं को सुरक्षित संचार प्रणाली बनाने में मदद मिलेगी। ताकि वर्ष 2030 तक सड़क हादसों में होने वाली मौतों की रोकथाम हो सके। ''उन्होंने कहा कि खराब बुनियादी ढांचा, खासकर विकासशील देश में पैदल चलने वालों की मौत का मुख्यत: कारण बनता है। वह सड़कों पर सबसे ज्यादा खतरे में होते हैं।
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इसी तरह साइकिल, मोटर साइकिल, स्कूटर और ई-बाइक चलाने वालों की मौत अक्सर तेज चलने और जीवनरक्षक हेलमेट नहीं पहनने के कारण हो जाती है। विकासशील देशों में दो पहिया और तिपहिया वाहनों में लोगों के हेलमेट नहीं पहने से सड़क हादसे जानलेवा बन जाते हैं। इन्हीं परेशानियों को देखते हुए नई गाइडलाइंस जारी की जा रही हैं।
आइआइटी दिल्ली के विशेषज्ञ के अनुसार वैश्विक स्तर पर पैदल यात्री सड़क हादसों के दौरान सबसे अधिक खतरे में होते हैं। वर्ष 2013 से 2016 के बीच मरनेवाले पैदल यात्रियों की मौत लगभग दोगुनी हो गई थी। आइआइटी दिल्ली की प्रोफेसर गीतम तिवारी ने बताया कि भारत में सड़क हादसों में मरने वाले पद यात्रियों की संख्या करीब तीस फीसद तक है। कुछ बड़े भारतीय शहरों में पैदल यात्रियों के मारे जाने का प्रतिशत साठ तक हो चुका है।
इसलिए सड़कों का माहौल सुधारने, संबंधित कानूनों में सुधार करने समेत सड़क पर चलने वालों को शिक्षित करने की जरूरत है। ताकि उनका व्यवहार बदले और पैदल चलने वाले लोग सड़कों पर सुरक्षित महसूस करें। इन दिशा-निर्देशों को दिल्ली के दिनेशमोहन मेमोरियल सिम्पोजियम में एक अंतरराष्ट्रीय फोरम पर लांच किया गया।

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